मोदी सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों को घरों तक पहुंचाने के लिए चलाई गई श्रमिक ट्रेनों के किराये पर सियासत तेज है । विपक्ष किसी भी तरह से इस मामले में केंद्र सरकार को बख्शने को तैयार नहीं है। पहले ये कहा गया कि इन मजदूरों को उनके गृह जिले पहुंचाने के लिए ट्रेन कोई किराया नहीं लेगा, इनका किराया प्रदेश सरकार को भुगतान करना होगा इसके लिए रेलवे की ओर से एक लेटर भी जारी किया गया था।
विपक्ष ने इसी बात को पकड़ लिया, अब इस पर राजनीति शुरू हो गई। बात उठने पर रेलवे ने इसके लिए बाकायदा एक पत्र जारी किया, उसके बाद भी कंफ्यूजन बना हुआ है और राजनीति गर्माई हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सवाल उठा रहे हैं और बीजेपी नेता संबित पात्रा जवाब दे रहे हैं।
इसी फेहरिस्त में अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सबूत के साथ रेलवे को घेरने के लिए आगे आए हैं । उन्होंने बकायदा सोशल मीडिया पर अपने तंज भरे शब्दों के साथ मजदूरों की तस्वीर को पोस्ट किया । अखिलेश ने ट्वीट किया और लिखा
पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मज़दूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं जबकि देशभर में बेबस मज़दूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं । लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मज़दूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है ।ग़रीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु!
अखिलेश की इस बात और इस आरोप पर सरकार क्या जवाब देगी इसके लिए इंतजार करना होगा । वहीं प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने के मुद्दे पर चल रही राजनीति के बीच रेलवे ने साफ किया है कि उसने प्रवासी मजदूरों से कोई किराया नहीं वसूला है।
रेलवे के मुताबिक राज्य सरकारों से केवल मानक किराया वसूल रहा है, जो रेलवे की कुल टिकट लागत का महज 15 फीसदी है।यानि रेलवे खुद टिकट की 85 फीसदी लागत वहन कर रहा है। रेलवे ने साफ किया कि उसने केवल राज्यों द्वारा प्रदान की गई सूचियों के आधार पर यात्रियों को ट्रेनें में यात्रा की अनुमति दी है।