लखनऊ : जहां एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर देशभर में समर्थन और विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर सियासी गलियारे में एक नई बहस छिड़ गई है। योगी सरकार के इस फैसले पर सपा और बसपा ने अपने अपने तरीके से विरोध जताना शुरू कर दिया है ।
पहले बसपा प्रमुख सुश्री मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि
सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
— Mayawati (@Mayawati) 24 January 2020
तो वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर योगी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा
सुनने में आया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में CAA को रखा जा रहा है. अगर यही हाल रहा तो शीघ्र मुखिया जी की जीवनी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी व लेक्चर की जगह उनके प्रवचन होंगे और बच्चों की शिक्षा में उनकी चित्र-कथा भी शामिल की जाएगी. pic.twitter.com/6UABUeM1du
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) 24 January 2020
दूसरी तरफ आपको बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र की HOD शशि शुक्ला ने बताया कि हम एक प्रस्ताव ला रहे हैं जिसमें एक नए पेपर को शामिल किया जाएगा जिसका विषय भारतीय राजनीति में समसामयिक मुद्दे होंगे उन्होंने बताया कि अभी यह विचाराधीन है कि CAA का मुद्दा भी इस पेपर में शामिल होगा या नहीं लेकिन हम इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए बोर्ड को एक प्रस्ताव देंगे और बोर्ड से पास हो जाने पर इसे एकेडमिक काउंसिल के पास भेजा जाएगा वहां से पास हो जाने के बाद इसे पाठ्यक्रम में शामिल कर इसकी पढाई शुरू कर दी जाएगी | साथ ही उन्होंने ये बताया कि इसके अलावा छात्रों की एक मांग ये भी थी कि वार्षिक वाद विवाद प्रतियोगिता में भी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर चर्चा कराई जाए |