जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद से बवाल चल रहा है। अब देवबंद के उलेमा का सख्त रिएक्शन सामने आया है। उलेमा का कहना है कि सिर्फ नाम रखने से ही कोई मुसलमान नहीं होता बल्कि उसको इस्लाम के नियम का पालन करना पड़ता है। मजहबे इस्लाम में शिर्क (यानी अल्लाह के साथ किसी और को शरीक करना) की कोई गुंजाइश नहीं है। जो पक्का और सच्चा मुसलमान होता है, उसे यह मालूम है कि क्या काम करने से में मुसलमान रहूंगा और क्या काम करने से मैं मुसलमान नहीं रहूंगा। ये कहकर उन्होंने महबूबा मुफ्ती पर टिप्पणी क
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने पुंछ स्थित नवाग्रह मंदिर पहुंचकर शिवलिंग पर जल चढ़ाया था। इसे भाजपा ने आलोचना करते हुए नौटंकी बताया था। वहीं देवबंदी उलेमा ने भी इसे गैर इस्लामिक करार दिया है। देवबंदी उलेमा ने महबूबा मुफ्ती के शिवलिंग पर जल चढ़ाने को गलत बताते हुए नाराजगी जाहिर की है और दूसरे धर्म की परंपराओं पर अमल करने को गैर इस्लामी बताया है।
महबूबा मुफ्ती का अमल गैर मुनासिब: मौलाना मसरूर
देवबंदी उलेमा मसरूर अहमद कासमी का कहना है कि महबूबा मुफ्ती ने जो अमल किया है वह वह गैर मुनासिब है और शरीयत के खिलाफ है। मुसलमानों को ऐसे अमल से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को शरीर पर अमल करना चाहिए। इस्लाम के अंदर जो भी अहकामात बताए गए हैं उन पर चलें। किसी मुशरिकाना फैल से बचना चाहिए। इसी में मुल्क की और मुसलमानों की बहतराई है।
मजहब इस्लाम में शिर्क की नहीं है गुंजाइश: गोरा
जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और प्रसिद्ध आलिम मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा है कि इस्लाम में सिर्फ नाम रख लेना ही काफी नहीं होता है। बल्कि उसको इस्लाम के रूल्स को भी फॉलो करना पड़ता है। मजहबे इस्लाम में शिर्क की कोई गुंजाइश नहीं है। जो पक्का और सच्चा मुसलमान होता है, उसे यह मालूम होता है कि क्या काम करने से में मुसलमान रहूंगा और क्या काम करने से में मुसलमान नहीं रहूंगा।
अगर मुसलमान है तो मुसलमानों वाले काम करें:कासमी
देवबंद के मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मुसलमानों को अपने मजहब के तौर-तरीकों पर ही अमल करना चाहिए। किसी दूसरे धर्म की परंपराओं को अपनाने की इजाजत शरीयत में नहीं है। अगर कोई मुसलमान है तो वह मुसलमानों वाले काम करें। मुसलमान को गैरमजहबी काम नहीं करने चाहिए। उन्होंने कहा कि है यह कोई फतवा नहीं है। बल्कि यह मेरी निजी राय है। इस्लाम उसके बारे में क्या कहता है, मैंने सिर्फ यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मुसलमान को चाहिए कि वह वो काम करें जिसका हुकुम इस्लाम में दिया गया है। इसके अलावा किसी गैर