मायावती की नजदीक आ रही प्रियंका गांधी वाड्रा… यूपी का सियासी मौसम बदलने वाला है !
बीजेपी ने जिसे लताड़ा… सपा ने जिसे नकारा… उसे मायावती ने क्या गले लगाने का रास्ता अपनाया ?
यूपी में बन रहे नए सियासी समीकरण…कांग्रेस को लेकर अचानक नरम क्यों हो गई बसपा ?



बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गोलबंदी की पहल के लिए पटना में बैठक शुरू होने वाली ही थी कि बीएसपी ने ऐसी रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया… जिसकी उम्मीद ना तो मोदी-शाह को होगी… और ना ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को… कहा जा रहा है… मायावती ने कांग्रेस के सामने एक ऐसा विकल्प रखा है… जो कांग्रेस अखिलेश की सपा, ममता की पार्टी टीएमसी चाहती रही है… जबकि ये दोनों पार्टियां चाहती रही यूपी और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस उतने एक्टिव नहीं रहे… अन्य राज्यों में फोकस करे… लेकिन बीएसपी प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को एक मौका दे दिया… दोस्ती का ऑफर कुछ इस तरह से दिया… अगर ऐसा हो गया तो फायदा कांग्रेस हो या ना हो… लेकिन बीएसपी को तो जरूर होगा… इस स्थिति में बीएसपी मजबूत होकर यूपी में निकलेगी…
कभी समाजवादी पार्टी के साथ रही ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ रही हैं… सपा और जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल के बीच बढ़ती दूरी भी चर्चा में है… वहीं, अब बहुजन समाज पार्टी के रुख ने भी सूबे में बदलते सियासी समीकरणों के संकेत दे दिए हैं….बसपा प्रमुख मायावती ने प्रदेश, मंडल और जिला कमेटी के पदाधिकारियों के साथ बैठक की… ये लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक थी… बसपा प्रमुख ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में लोकसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने की आशंका जताई और बूथ कमेटी का गठन 30 अगस्त की जगह 30 जुलाई तक कर लेने के निर्देश दिए… मायावती ने बैठक के बाद बयान जारी किया तो बीजेपी के साथ ही सपा को निशाने पर लिया… लेकिन कांग्रेस के खिलाफ उनके सियासी तेवर में वो रुप नहीं दिखे… जो अममून दिखता रहा है… इसबार वो कांग्रेस का नाम लेने से बचती नजर आईं… विपक्षी एकजुटता की कवायदों से अब तक खुद को दूर रखने वाली मायावती ने ये जरूर कहा है कि विपक्ष में चल रही राजनीतिक हलचलों पर हमारी नजर है… कांग्रेस का नाम न लेना और फिर विपक्ष में चल रही राजनीतिक हलचल का जिक्र करना… सवाल ये है कि क्या मायावती के सुर क्यों बदल गए हैं?
विपक्षी एकता की बैठक से पहले BSP-INC में पक रही गठबंधन की खिचड़ी… फॉर्मूला लेकर दिल्ली पहुंचे मायावती के दूत

कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे बसपा के प्रतिनिधि… वरिष्ठ पदाधिकारी से की मुलाकात
पहले तीन राज्यों में साझेदारी… फिर 2024 के लिए यूपी में संभावना टटोलने की कवायद
यूपी की 40-40 लोकसभा सीटों पर बंटवारा… कांग्रेस और बसपा के बीच बन सकती है सहमति

बीएसपी ने कांग्रेस से गठबंधन की संभावनाएं टटोलनी शुरू कर दी हैं… समझा जाता है कि बसपा के प्रतिनिधि ने कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी से भेंट कर इसकी संभावनाएं टटोलने की ये कसरत की… सियासी गलियारे में ये चर्चा गर्म है कि बसपा सुप्रीमो की तरफ से कांग्रेस को पहले तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में साझेदारी के विकल्प पर विचार करने को कहा गया है… इसके बाद 2024 में उत्तर प्रदेश की 40-40 लोकसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने का संभावित फार्मूला भी बसपा की ओर से दिए जाने की चर्चा है…अभी कुछ दिन पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एसए संपत कुमार और बसपा के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष आरएस प्रवीन कुमार की मुलाकात हुई थी… इसके बाद कांग्रेस और बसपा की निकटता की अटकलें शुरू हुईं, लेकिन इसे स्थानीय समीकरणों के दृष्टिकोण से देखकर गंभीरता से नहीं लिया गया… लेकिन, इसी कड़ी में नया घटनाक्रम हुआ, जब उत्तर प्रदेश से बसपा के एक वरिष्ठ नेता दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस मुख्यालय में जाकर पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से भेंट की… सियासी गलियारे में ये बात आ हुई कि
बसपा ने कांग्रेस को पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने का प्रस्ताव दिया है… इसके बाद उत्तर प्रदेश में लोकसभा का चुनाव साथ लड़ने की संभावनाओं पर गौर करने को कहा है..

बसपा के प्रस्ताव के मुताबिक, सहमति बनती है तो दोनों पार्टियां के सामने यूपी की 40-40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का विकल्प है…हालांकि अभी कांग्रेस की ओर से पेशकश को लेकर खास दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है… लेकिन तर्क दिया जा रहा है कि दोनों दलों का गठबंधन होता है तो जातीय समीकरण भी मुफीद बैठते हैं… मुस्लिम समुदाय यूपी में सपा और बसपा दोनों पर विश्वास करता रहा है और कर्नाटक चुनाव के बाद जिस तरह से मुस्लिम समुदाय का कांग्रेस के लिए प्यार उमड़ा है… उसे कांग्रेस के साथ जाने में भी अब परहेज नहीं होगा… सवर्ण और दलित कांग्रेस के साथ पहले जुड़े रहे हैं और यूपी में बसपा की सरकार बनवा चुके हैं…माना जा रहा है… विपक्षी दलों की बिहार में बैठक खत्म होने के बाद कांग्रेस की ओर से इस पर प्रतिक्रिया आयेगी… वहीं बसपा खेमे से मिले संकेतों के के मुताबिक

कांग्रेस प्रस्ताव पर इसलिए भी विचार कर सकती है क्योंकि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई दिग्गज नेता कहते रहे हैं कि कांग्रेस को आगे बढ़ने का रास्ता उत्तर प्रदेश में पार्टी की मजबूती से ही मिलेगा
विपक्षी एकता की पहल के बीच 2017 के गठबंधन के विफल प्रयोग को देखते हुए कांग्रेस को बराबर सीटें देने को सपा तैयार नहीं दिख रही… ऐसे में बसपा के साथ 40-40 सीटों के गठबंधन में कांग्रेस के लिए अधिक संभावनाएं बनेंगी…