प्रयागराज शहर के मीरगंज में लड़कियों से देह व्यापार कराने के अपराध में जिला अदालत ने मंगलवार को 41 आरोपियों को सजा सुनाई। इसमें 15 लोगों को 14-14 साल और 26 को 10-10 साल के कठोर कारावास की सजा मुकर्रर की गई। इसके अलावा आरोपियों पर अलग-अलग धाराओं के अनुसार जुर्माना भी लगाया गया है। आरोपियों में अधिकांश महिलाएं हैं। यह फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रचना सिंह ने उत्तर प्रदेश बनाम दुर्गा कामले आदि की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है।

मीरगंज के रेड लाइट एरिया में 2016 में पुलिस और प्रशासन ने मिलकर एक साथ कार्रवाई की थी। इस दौरान देह व्यापार में जबरन धकेली गईं 71 पीड़िताओं को मुक्त कराया गया था। इनमें 41 नाबालिग लड़कियां भी थीं।  पुलिस ने लड़कियों और महिलाओं को राजकीय संरक्षण में गृह भेजा दिया था। मामले में 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखी गई थी।

मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद गुड़िया संस्था की ओर से भी याचिका दाखिल की गई। फिर हाईकोर्ट के आदेश पर एक मई 2016 को एसडीएम सदर की अगुवाई में रेड लाइट एरिया में कार्रवाई करते हुए पीड़िताओं को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया था। 

प्रकरण में सरकार बनाम दुर्गा कामले सहित 48 आरोपियों के खिलाफ सत्र न्यायालय में विचारण किया गया। सुनवाई के दौरान सात अभियुक्तों की मौत हो गई, जबकि एक अभियुक्त फरार हो गया। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुलाब चंद्र अग्रहरि और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमित मालवीय ने कहा कि कोर्ट ने अभियुक्तों पर लगाए गए आरोपों के अनुसार उनके आचरण के आधार पर सजा सुनाई है। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष अभियोजन अधिकारी आरपी सिंह व गुड़िया संस्थान के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण द्वारा पैरवी की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई पूरी करने का दिया था आदेश

मानव तस्करी और देह व्यापार के मामले में सुनवाई जल्दी पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था। इस वजह से इस मामले में सुनवाई के लिए हर महीने लगातार आठ से 10 तारीखें लगाई जाती रहीं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामले में सुनवाई के लिए अपर सत्र न्यायाधीश रचना सिंह को नामित किया गया था।

इसके अलावा मामले में सरकार की ओर से पैरवी के लिए रणेंद्र प्रताप सिंह को विशेष अधिवक्ता नियुक्त किया गया था। प्रतिवादीगणों की ओर से आधा दर्जन से अधिक अधिवक्ताओं ने भी लगातार पैरवी की। कोर्ट ने लगातार सुनवाई की और मंगलवार को अपने 205 पन्ने के फैसले में आरोपितों को उनके किए की सजा दी। 

अभियुक्तों को किन धाराओं में कितनी-कितनी हुई सजा
अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के अंतर्गत
धारा तीन (1) के तहत दो साल का कठोर कारावास और दो हजार रुपये का जुर्माना।
धारा चार (1) सात साल का कठोर कारावास।
धारा पांच (1) के तहत सात साल का कठोर कारावास और दो हजार रुपये जुर्माना।
धारा छह (1) के तहत सात साल का कठोर कारावास व पांच हजार रुपये का जुर्माना।
धारा  सात (1- क) सात साल का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना।
धारा नौ में सात वर्ष का कठोर कारावास व 10 हजार रुपये का जुर्माना।

भारतीय दंड संहिता 
धारा 373 में  सात साल का कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना।
धारा 370 ( 3) 10 साल का कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना।
धारा 370 ( 4) 10 साल का कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना।
धारा 370 ( 5) 14 साल का कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना। 

ऐसे अपराधी समाज में रहने के लायक नहीं

ऐसे अपराध समाज के लिए अभिशाप हैं। अभियुक्तगणों ने निंदनीय, घिनौना और तुच्छ कार्य किया है। इनको समाज में रहने का अधिकार नहीं है। जिन बालिग और नाबालिग लड़कियों को यहां लाकर उनसे उनकी इच्छा के खिलाफ व्यभिचार कराया और उससे कमाई की और उनके साथ क्रूरता की। इसके लिए अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाए। ऐसी सजा दी जाए जिससे समाज में संदेश जाए कि गलत काम करने पर कानून छोड़ेगा नहीं। 
गुलाब चंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी