उत्तर प्रदेश के बिजनौर में खो खो की राष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ी ने हत्या से पहले दरिंदों का विरोध किया और दम तोड़ने तक संघर्ष किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने से उनकी मौत होने की पुष्टि हुई है। उनके शरीर पर छह से आठ चोटें आई हैं, एक दांत भी टूटा हुआ था। हालांकि दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है, इस संबंध में अंतिम निर्णय पर पहुंचने के लिए स्लाइड जांच के लिए भेजी गई है।
शुक्रवार को रेलवे स्टेशन के पास रखे स्लीपर के बीच हुई नेशनल खो खो खिलाड़ी की हत्या ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी है। शनिवार को पोस्टमार्टम हाउस पर सैकड़ों लोग जमा थे। दोपहर ढाई बजे बिटिया का पोस्टमार्टम हुआ। इसमें मौत की वजह गला दबाना है। हालांकि दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस की ओर से इतना ही बयान जारी किया गया और पूरी रिपोर्ट जीआरपी को जाने का दावा किया गया। पोस्टमार्टम में बिटिया को छह से आठ चोटें आई हैं और उनका एक दांत भी टूटा मिला है। माना जा रहा है कि दुपट्टे से गला घोंटने की कोशिश भी हुई। उधर, दुष्कर्म की पुष्टि न होने के बाद यह भी माना जा रहा है कि बिटिया ने अस्मत बचाने के लिए खूब संघर्ष किया और वहीं पहचान उजागर होने के डर से दरिंदों ने उसे मौत के घाट उतार दिया।
जल्द गिरफ्तार होंगे हत्यारे: एसपी
एसपी डॉ. धर्मवीर सिंह ने बताया कि कई टीमें हत्यारों की तलाश में लगी हैं। मामला जीआरपी में दर्ज है। प्रयास किया जा रहा है कि जल्द हत्यारे गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।
धारा 302 और 376 में केस, चल रही जांच
जीआरपी प्रभारी सर्वेज खां ने बताया कि हमने परिजनों की तहरीर पर हत्या और दुष्कर्म की धाराओं में केस दर्ज कर लिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। मामले की जांच चल रही है। आगे कहा कि इस संबंध में और ज्यादा नहीं बताया जा सकता, हम जांच पूरी करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।
लखनऊ ने तरेरी आंखें तो सक्रिय हुई बिजनौर पुलिस
रेलवे स्टेशन के सामने राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी की हत्या होने के मामले में जब शासन ने आंखें तरेरी तो बिजनौर पुलिस एक्शन में नजर आई। शुरुआती छह घंटे सीमा विवाद में पुलिस उलझी हुई थी। शनिवार को जीआरपी और सिविल पुलिस दोनों ही जांच में जुटे नजर आए। बिजनौर एसपी से लेकर जीआरपी एसपी तक घटना स्थल, पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और परिजनों से बात की। विशेष अभिसूचना इकाई के माध्यम से शासन लगातार इस मामले में जानकारी ले रहा है।
बदमाशों की तलाश के बजाए छह घंटे
राष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ी के हत्या के बाद पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। घटना का पता चलने के बाद कोतवाली शहर पुलिस और जीआरपी के बीच इसी पर विवाद होता रहा कि घटनास्थल किस थाने क्षेत्र में आएगा, कौन आगे की कार्रवाई करेगी। परिजन भी दोनों थानों के चक्कर काटते रहे। घटनास्थल के थाना क्षेत्र का निर्धारण करने के लिए गूगल मैप की मदद ली गई, इसके बाद जाकर तय हुआ कि घटनास्थल जीआरपी थाना क्षेत्र का है।
शुक्रवार दोपहर दो बजे हत्या होने का पता चल गया और कोतवाली पुलिस के साथ जीआरपी भी मौके पर पहुंच गई। लेकिन मामला एक-दूसरे के क्षेत्र का होना बताकर कोई खास कार्रवाई नहीं की। डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक टीम भी मौके पर गई थी, पर इस मामले में केस दर्ज कौन करेगा, इसका फैसला शाम तक नहीं हुआ। परिजन भी कभी कोतवाली शहर तो कभी जीआरपी के चक्कर काटते रहे। रात करीब आठ बजे थाना क्षेत्र का निर्धारण होने के बाद रिपोर्ट दर्ज की गई और उसके बाद आगे की कार्रवाई हुई।
इसी के चलते बिटिया के शव का पोस्टमार्टम भी करीब 23 घंटे बाद हो पाया। समय-समय पर शासन से निर्देश जारी होते रहे हैं कि संगीन वारदातों में सीमा विवाद में उलझने के बजाए जो भी थाने की पुलिस मौके पर पहुंचे वह कार्रवाई शुरू कर दें और शून्य पर रिपोर्ट दर्ज कर बाद में संबंधित थाने को भेज सकती है। इसके बाद भी विवाद होता रहा और इसे सुलझाने में ही छह घंटे लग गए। इन छह घंटों में हत्यारोपी बहुत दूर निकल सकते हैं। पुलिस ने समन्वय से काम किया होता और यह घंटे हत्यारोपियों की तलाश में लगाए होते तो पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते थे और वह उनके नजदीक पहुंच सकती थी।