मौसम बदलने के साथ इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले रोगियों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन बचाव के उपायों का कहीं पालन नहीं हो रहा है। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र के वायरोलाजिस्ट डा. अशोक पांडेय का कहना है कि ओपीडी में इन्फ्लूएंजा के रोगियों के लिए अलग कक्ष की व्यवस्था होनी चाहिए। कोविड संक्रमण काल में जिन बचाव के उपायों का पालन किया गया था, वही उपाय इसमें भी प्रभावी होंगे। इसी से इसकी रोकथाम हो सकती है। लेकिन, कहीं भी न तो शारीरिक दूरी का पालन हो रहा है और न ही लोग मास्क लगाकर ओपीडी में पहुंच रहे हैं।

OPD में सर्दी-खांसी के रोगियों की भरमार

हर जगह ओपीडी में सर्दी-खांसी के रोगियों की भरमार है। एम्स, जिला अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कालेज के ओपीडी में सर्दी, खांसी, बुखार के लगभग 30 व सांस फूलने के रोगियों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिल्ली में इन्फ्लूएंजा फैलने के बाद सरकार ने सचेत भी कर दिया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसकी जांच नहीं करा रहा है। जिले में इसके नए स्ट्रेन एच3एन2 की जांच के लिए अभी तक एक भी नमूना नहीं लिया गया है। इसकी संक्रमण दर तेज होने के बावजूद इन अस्पतालों में में बचाव की व्यवस्था ध्वस्त है।

एच3एन2 के रूप में हुई हैइन्फ्लूएंजा वायरस की पहचान

दिल्ली में इन दिनों इन्फ्लूएंजा वायरस का प्रकोप फैला हुआ है। इसकी पहचान एच3एन2 के रूप में हुई है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव फेफड़ों पर देखने को मिल रहा है। इसमें खांसी के साथ रोगी को बुखार भी हो रहा है। पहले इस वायरस की वजह से बीमार हुए लोग एक सप्ताह में ठीक हो जाते थे, अब यह 10-15 दिन तक लोगों को परेशान कर रहा है। सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि अभी तक इन्फ्लूएंजा का कोई गंभीर रोगी सामने नहीं आया है। इसलिए किसी का नमूना नहीं लिया गया है। इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले जो भी रोगी आ रहे हैं, वे एक सप्ताह में ठीक हो जा रहे हैं। यदि एक सप्ताह से अधिक समय तक लक्षण बने रहते हैं तो उनके नमूने लेकर जांच के लिए भेज दिए जाएंगे।

अस्थमा व सीओपीडी रोगियों की बढ़ीं दिक्कतें

इस समय अस्थमा, टीबी व क्रानिक आब्सट्रक्टिव डिजीज (सीओपीडी) रोगियों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। डाक्टरों के मुताबिक इस समय मौसम सर्द-गर्म है। ऐसे मौसम में इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। इससे अस्थमा व सीओपीडी रोगियों को ज्यादा दिक्कत हो रही है।

जांच की व्यवस्था नहीं

सरकार ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज व क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र को इन्फ्लूएंजा के नए स्ट्रेन की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है, लेकिन अभी तक किट नहीं आई है। कोरोना जांच की तरह इसकी कोई एंटीजन किट भी नहीं है। इसलिए जांच लैब में होगी और पांच-छह घंटे में रिपोर्ट मिल सकेगी।

निमोनिया से परेशान हो रहे बच्चे

जिला अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ी है। ज्यादातर बच्चे निमोनिया से परेशान हैं। उन्हें बुखार, खांसी व सांस लेने में दिक्कत है। अनेक बच्चों को नेबुलाइजर देना पड़ रहा है। बीआरडी मेडिकल कालेज में निमोनिया के लक्षणों वाले 35 बच्चे भर्ती हैं। उनका उपचार चल रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

  • सीना रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन अग्रवाल ने बताया कि यह मौसम वायरस के लिए अनुकूल होता है। इस समय अस्थमा व सीओपीडी के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। एंटीबायोटिक इसमें काम नहीं करती है। लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा रहा है। इन्फ्लूएंजा के नए स्ट्रेन से घबराने की जरूरत नहीं है। कोविड प्रोटोकाल का पालन कर इससे आसानी से बचा जा सकता है।
  • एम्स के सीना रोग विशेषज्ञ डॉ. सुबोध कुमार पांडेय यदि अस्थमा, टीबी व सीओपीडी के रोगियों को इन्फ्लूएंजा हो जाए तो संक्रमण उनके लक्षणों को बहुत बढ़ा देता है। सांस तेज फूलने लगती है, खांसी रुकती नहीं। ऐसे रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। मास्क लगाएं और सर्दी-खांसी-जुकाम वाले रोगियों से दूरी बनाकर रहें। उपचार से बेहतर बचाव है।