सुप्रीम कोर्ट से तिकुनिया हिंसा मामले के मुख्य आरोपी और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र की जमानत रद्द होने के बाद मंगलवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से संबंधित ई-मेल जिला जज को भेजा गया। मेल का संज्ञान लेते हुए जिला जज मुकेश मिश्र ने मामले में आगे की कार्यवाही तेज कर दी है।
मंगलवार को तिकुनिया हिंसा कांड के प्रमुख आरोपी आशीष मिश्र मोनू की जमानत रद्द होने के संबंध में हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के सीनियर रजिस्ट्रार पंकज सिंह की ओर से जिला जज को जमानती आदेश निरस्त करने की बात कहते हुए एक ई-मेल भेजा गया है। मेल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने को कहा गया है।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से भेजे गए ईमेल का संज्ञान लेते हुए जिला जज मुकेश मिश्र ने अदालत में सरकार बनाम आशीष मिश्र मोनू शीर्षक से लंबित चल रही तिकुनिया थाने से संबंधित पत्रावली तलब कर ली है। इसके बाद जिला जज ने जमानत पर रिहा आशीष मिश्र मोनू के वकील को जमानत निरस्तीकरण की सूचना देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश जारी किया है। साथ ही जिला जज मुकेश मिश्र की ओर से थानाध्यक्ष तिकुनिया को पत्र लिखकर आशीष मिश्र मोनू को अदालती आदेश तामील कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।
आशीष मिश्र के वकील बोले, 25 अप्रैल से पहले कराएंगे आत्मसमर्पण
तिकुनिया हिंसा मामले में हाईकोर्ट से मिली जमानत सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद आशीष मिश्र के वकील अवधेश सिंह ने दावा किया है कि वह आशीष मिश्र को 25 अप्रैल से पहले ही सरेंडर करवाएंगे। अवधेश सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी को नए सिरे से सुनने के लिये रिमांड किया है और वादी पक्ष को सुनवाई का मौका देने का निर्देश देते हुए तीन महीने के भीतर नए सिरे से जमानत अर्जी को निस्तारित करने का आदेश दिया है।
उधर, तिकुनिया हिंसा केस की पैरवी कर रहे जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है। अभी आदेश की प्रतिलिपि नहीं देखी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करवाया जाएगा।
कानून के जानकार मानते हैं नहीं हुआ सही होमवर्क
लखीमपुर खीरी। वकील और कानून से जुड़े जानकार मानते हैं की तिकुनिया कांड में अन्य फौजदारी मामलों की तरह रणनीति नहीं बनाई गई। अधिकतर मामलों में पहले सहायक अभियुक्तों व कमतर भूमिका वाले आरोपियों की ओर से जमानत की पैरवी की जाती है, जिनकी जमानत के बाद उनसे अधिक भूमिका वाले आरोपियों की ओर से अदालती पैरवी शुरू होती है, लेकिन इस हाईप्रोफाइल मामले में प्रमुख नामजद आरोपी की ओर से ही कवायद शुरू की गई।