आयुष की हत्या के आरोप में जेल में बंद अकील जमानत पर बाहर आया तो उसने पुलिस व क्राइम ब्रांच में अपनी नजदीकियों को फायदा उठाया। पुलिस के लिये मुखबिरी करने वाले अकील ने क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मियों से चार निर्दोष युवकों को गिरफ्तार कराया। पारा थाने से इन्हें 10 जनवरी, 2017 को जेल भेजा गया। इन चारों से बयान दिलवाया गया कि श्रवण साहू ने अकील की हत्या के लिये उन्हें सुपारी दी थी। 

क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मियों के कहने पर अकील एसएसपी मंजिल सैनी से भी तब मिला और हत्या का खतरा बताया। इस पर श्रवण साहू के खिलाफ ठाकुरगंज थाने में हत्या की साजिश का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। पर, अकील की इस करतूत का सच कुछ दिन में ही सामने आ गया। इस पर पारा थाने के सिपाहियों के साथ ही क्राइम ब्रांच के 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ ठाकुरगंज, सआदतगंज व हसनगंज में चार मुकदमे दर्ज हुए थे।

इन पुलिस वालों पर हुई थी कार्रवाई 
इस मामले के तूल पकड़ने पर क्राइम ब्रांच के तत्कालीन स्वाट टीम के प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला, अकील के लिये साजिश रचने के आरोपित सिपाही धीरेंद्र यादव, अनिल सिंह को बर्खास्त कर दिया गया था। इनका सहयोग करने में शामिल रहे क्राइम ब्रांच के तत्कालीन सिपाही राजाराम पांडेय, सुजीत, आलोक पाण्डेय, विवेक मिश्रा, लवकुश को निलम्बित कर दिया गया था। इसके अलावा पारा थाने में तब तैनात रहे सब इंस्पेक्टर मोरमुकुट पाण्डेय, पंकज सिंह, क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर संजय खरवार, विनय कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया था। साथ ही श्रवण साहू की हत्या के आरोपितों को बचाने में नाकाम रहे छह पुलिसकर्मियों सआदतगंज कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर सुरेश पटेल, आरआई शिशुपाल सिंह, चौकी इंचार्ज रामकेवल तिवारी, सिपाही विजय, धर्मवीर, राम आसरे को भी निलम्बित कर दिया गया था। तत्कालीन सीओ बाजारखाला विमल किशोर श्रीवास्तव को हटा दिया गया था। एलआईयू के सीओ अजय सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश किये गये थे। 

एसएसपी मंजिल ने कहा था-यह गम्भीर चूक 
तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने श्रवण की हत्या के बाद उनके घर पहुंच कर दुख जताया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने यह सोचा ही नहीं था कि अकील जेल से श्रवण की हत्या करवा देगा। उनके पुलिसकर्मियों ने इस घटना में शामिल होने का हमेशा के लिये दाग पुलिस महकमे पर लगा दिया। उन्होंने कहा था कि श्रवण ने कई बार सुरक्षा की गुहार की थी और उन्होंने गनर देने का आदेश दिया था लेकिन उनके मातहत लापरवाह बने रहे। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया था कि वह श्रवण से खुद बात नहीं कर सकी थी।