उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कल किसानों से हुई हिंसक झड़प में आठ लोगों की जान चली गई। इस घटना को लेकर आज सुबह से प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। किसानों ने आज पूरे प्रदेश में जिलाधिकारी कार्यालयों पर प्रदर्शन का ऐलान किया है। विपक्ष के तमाम नेताओं को लखीमपुर जाने से रोकने के लिए कल रात से सरकार और पुलिस-प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का करीब 20 दिन पुराने एक बयान की खूब चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि मंत्री अजय मिश्र टेनी ने एक सभा को सम्बोधित करते हुए आंदोलनकारियों को सुधर जाने की हिदायत दी थी
इस सभा में उन्होंने कहा था-‘आप भी किसान हैं आप क्यों नहीं उतर गए आंदोलन में…अगर मैं उतर जाता तो उनको भागने का रास्ता नहीं मिलता। पीठ पीछे काम करने वाले 10-15 लोग यहां पर शोर मचाते हैं तो फिर तो पूरे देश में आंदोलन फैल जाना चाहिए था। क्यों नहीं फैला दस ग्यारह महीने हो गए? मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं सुधर जाओ…नहीं तो सामना करो आकर हम आपको सुधार देंगे दो मिनट लगेगा केवल…मैं केवल मंत्री नहीं हूं या केवल सांसद या विधायक नहीं हूं। जो लोग हैं विधायक या मंत्री बनने से पहले मेरे बारे में जानते होंगे कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं…।
बताया जा रहा है कि रविवार को लखीमपुर के हालात बिगड़ने के पीछे काफी हद तक मंत्री अजय मिश्र के इस बयान की भूमिका है। अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर मंत्री को यह कहने की जरूरत क्यों पड़ी कि- वह केवल मंत्री नहीं हूं या केवल सांसद या विधायक नहीं हैं। मंत्री अजय मिश्र खुद को पेशे से किसान और व्यवसायी बताते हैं। वह 2012 के विधानसभा चुनाव में लखीमपुर-खीरी की निघासन सीट से जीते थे। साल-2014 में भाजपा ने उन्हें खीरी लोकसभा सीट से टिकट दिया। इस चुनाव में वह करीब 1.10 लाख वोटो से बसपा के अरविंद गिरि से विजयी रहे। 2019 में भी उन्होंने जीत का यह सिलसिला कायम रखते हुए समाजवादी पार्टी की पूर्वी वर्मा को सवा दो लाख वोटों के अंतर से हराया। हाल ही में हुए केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में उन्होंने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है
बताया जाता है कि विधायक बनने से पहले अजय मिश्र वकालत भी कर चुके हैं। किसी जमाने में वह पहलवानी भी करते थे। उनकी छवि एक दबंग नेता की रही है। वर्ष- 2000 में उनके ऊपर हत्या का एक केस दर्ज हुआ था जिसमें 2004 में स्थानीय अदालत ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया था।
दंगल से पहले बवाल
लखीमपुर खीरी में रविवार को हुए इस बवाल की शुरुआत हेलीपैड पर कब्जे से हुई। दरअसल, रविवार को मंत्री के गांव बनबीरपुर में एक दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें लखीमपुर दौरे पर आए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित थे। डिप्टी सीएम के आने की सूचना पर वहां बड़ी संख्या में किसान जमा हो गए। कहा जा रहा है कि किसानों ने डिप्टी सीएम के हेलीपैड पर कब्जा कर लिया। वे डिप्टी सीएम के काफिले के सामने प्रदर्शन और उन्हें काले झंडे दिखानेकी तैयारी में थे। इसी दौरान कथित रूप से दो एसयूवी प्रदर्शन कर रहे किसानों पर चढ़ गई। इस घटना और इसके बाद हुए बवाल में चार किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई।