कोरोना से आर्थिक रूप से टूट चुके लोगों के किचन पर महंगे डीजल व बारिश की दोहरी मार पड़ रही है। पहले से ही महंगी बिक रही सब्जियां बारिश के कारण और महंगी हो गई हैं तो पिछले एक साल में डीजल के मूल्यों में हुई भारी बढ़ोतरी के कारण सब्जियों की ढुलाई पर ही लागत दो से तीन रुपये तक बढ़ गई है।

मंडी के सूत्रों के मुताबिक एक साल पहले नासिक से प्याज 3000 रुपये टन आता था। अब माल ढुलाई बढ़कर साढ़े चार हजार रुपये टन तक हो गया है। इसी तरह शाजापुर से प्याज 2250-2400 रुपये टन था। अब करीब 3700 रुपये टन हो गया है। पूर्वाचंल फल-सब्जी विक्रेता एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने बताया कि पहले बेंगलुरु से टमाटर की ढुलाई करीब 6 रुपये किलो पड़ता था। अब ढुलाई 7 रुपये किलो हो गया है। इसके अलावा मंडी से करीब 20-25 किमी की दूरी के लिए छोटी गाड़ियों की बुकिंग पहले 800 रुपये तक में हो जाती थी, अब एक हजार से ग्यारह सौ रुपये तक माल ढुलाई लग रहा है। बारिश से हरी सब्जियों की फसलें कई जगहों पर खराब हुई हैं। हरी सब्जियों के दाम कम होने में अभी कुछ समय और लगेगा।

पिछले साल प्याज भी हुई पर्याप्त पैदावार के कारण आलू व प्याज की कीमतें हद में रहीं। नवम्बर में नई प्याज बाजार में आ जाने की उम्मीद थी। लेकिन बारिश से फसल खराब हो जाने से प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं। प्याज फुटकर में 40-50 रुपये किलो तक तो आलू भी 20-24 रुपये किलो बिक रहा है। फिलहाल आलू और प्याज के दाम में ठहराव की उम्मीद की जा रही है।

गुरुवार को सब्जियों के खुदरा भाव

सब्जी मूल्य

फूल गोभी 60-80

परवल 80

बींस 80

हरी मिर्च 80-100

टमाटर 60-80

बैंगन 60-80

भिंडी 50

करेला 50-60

कुंदरू 40

नेनुआ 40

लौकी 30