1857 के स्वतंत्रता आंदोलन की तमाम यादें हरदोई में रची-बसी हैं। यहां रूइया का टीला उस दिलेरी का गवाह है, जिसके बूते राजा नरपति सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत से डेढ़ साल तक युद्ध लड़ा था लेकिन ऐसी गौरव-गाथाएं इस जिले को कोई बड़ा दर्जा नहीं दिला सकीं। आठ विधानसभा सीटों वाले हरदोई में भी बेरोजगारी, अन्ना जानवर, जाम, बाईपास की जरूरत जैसे मुद्दे हैं। यहां किसी सीट पर जाति का जादू बिलकुल नहीं चलता तो किसी सीट पर जाति परिणाम प्रभावित कर देती है। हरदोई में रसूख, मुद्दे और जाति के समीकरण तीनों अलग-अलग सीटों पर प्रभावी हैं। यहां मुद्दों से ज्यादा साख हावी दिखती है।
लड्डुओं के लिए मशहूर संडीला हरदोई जिले का एक कस्बा है। लोग कहते हैं संडीला के लड्डू में अब पहले वाली बात नहीं रही। अलबत्ता अब संडीला वेबले-स्कॉट रिवाल्वर के लिए मशहूर हो रहा है। लखनऊ सीमा से करीब 30 किमी दूर संडीला इंडस्ट्रियल एरिया में ब्रिटिश कंपनी वेबले-स्कॉट रिवाल्वर निर्माण करने लगी है। रोजगार के कुछ अवसर बढ़े हैं लेकिन इसी इलाके की लाखों बीघा जमीन पर फसल उगाने वाले कहते हैं कि अन्ना जानवरों ने उन्हें तबाह कर डाला है। कितने किसान प्रभावित हैं? जयराम, मंगली, सुरजन और हरी एक साथ बोलते हैं-हजारों हैं साहब। सब बर्बाद हो रहे हैं। कुरेदने पर वे किसान कहते हैं कि जो अन्ना पशुओं से मुक्ति दिलाए, वे उसे ही वोट देंगे। क्या किसान एकजुट हैं? इसका साफ जवाब तो नहीं मिलता पर जाति प्रभावी होने के संकेत जरूर मिलते हैं।
यहां राजकीय पालीटेक्निक भवन बनाने पर आठ करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन यह 10 साल बाद भी अधूरा है। इलाके के बच्चे 60 किमी दूर हरदोई जाने को मजबूर हैं। बिलग्राम चुंगी के पास राजकीय कृषि महाविद्यालय बना खड़ा है। उद्घाटन हुए ढाई साल बीत गए लेकिन अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। 480 सीटें हैं पर दाखिला एक का भी नहीं।
आगे यह रास्ता सीधे सदर विस क्षेत्र को जाता है। शहर में घुसते ही जाम से सामना होगा। पुरानी समस्या है। एक बाईपास की जरूरत है, जो वायदों में है। 12 किमी लंबा बाईपास प्रस्तावित है। एनएचएआई जमीन चिह्नित कर चुका है। तीन साल बाद भी बाईपास निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
लखनऊ, उन्नाव, लखीमपुर फर्रुखाबाद और बरेली जाने वाले जाम में फंसते हैं। स्थानीय निवासी राजीव मोहन कहते हैं कि बाईपास बन जाए तो रोज 30 से 40 हजार लोगों को जाम से छुटकारा मिले। 20 साल से मांग जारी है। यह चुनावी मुद्दा नहीं बनता क्या? राजीव कहते हैं, यहां चुनाव मुद्दे नहीं साख पर होता है।
यहां से करीब 40 किमी दूर बिलग्राम-मल्लावां क्षेत्र में बाढ़ बड़ी दुश्वारी है। गंगा व गर्रा नदी की कटान 100 से ज्यादा गांवों को प्रभावित करती है। कटान से राजघाट में जगह कम हो गई है। राजघाट पक्का बनाने की मांग वर्षों पुरानी है। कटरी पारसोला निवासी श्रीपाल के मुताबिक कटान की आफत पारंपरिक हो चली है।
आगे सवायजपुर है। रामगंगा-गंगा के बीच चियासर क्षेत्र है। गंगा नदी पर पैंटून पुल की जरूरत है। 70 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं। रामगंगा के पार हरदोई तक सब्जियों की खेती करने वालों को फसल लाने व बेचने में भाड़ा ज्यादा लगता है। हरपालपुर के मोहर्रम अली ने बताया- गंगा पार किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन है। किसान किसी तरह नाव से जाते हैं। सैकड़ों बीघा जमीन बंजर पड़ी रहती है। पुल बन जाए तो खेती सुधरे। यहां भाजपा-सपा में सीधा संघर्ष माना जा रहा है। आगे 30 किमी दूर मैंगो बेल्ट शुरू हो जाती है। यह शाहाबाद इलाका है।
तहसील मुख्यालय पर मुंसिफ कोर्ट खोलने की मांग कई सालों से लंबित है। मुकदमे के लिए 40-45 किमी दूर हरदोई आना पड़ता है। ऐसे में माना जाता है कि यहां चुनाव अंतत: ध्रुवीकरण से तय होता है।
अन्ना पशु और सड़क जाम है सबसे बड़ी चुनौती
हरदोई के हर विस क्षेत्र में अन्ना पशुओं का मुद्दा बरकरार है। छोटे किसानों के लिए फसल सुरक्षित रख पाना मुश्किल है। खेतों की तारबंदी महंगा काम है। वे रातों में जाग-जाग कर फसल बचाने को मजबूर हैं। शहरी क्षेत्र में बाईपास बड़ा मुद्दा है। करीब बीस साल से बाईपास की मांग उठ रही है। प्रक्रिया शुरू हो चुकी है पर अभी तक निर्माण नहीं शुरू हुआ।
हरदोई सदर
इस सीट से सात बार विधायक व कई बार मंत्री रहे नरेश अग्रवाल के बेटे विधायक नितिन अग्रवाल इस बार भाजपा प्रत्याशी हैं। वह पिछला चुनाव सपा से जीते थे। सपा ने उनके सामने अनिल वर्मा को उतारा है। बसपा से शोभित पाठक और कांग्रेस से आशीष सिंह प्रत्याशी हैं।
सवायजपुर
पिछले चुनाव में भाजपा के माधवेन्द्र प्रताप सिंह रानू ने सपा के पदमराग सिंह यादव को हराया था। इस बार भी दोनों पार्टियों ने इन्हीं को उतारा है। बसपा से राहुल तिवारी और कांग्रेस से राज्यवर्धन सिंह राजू मैदान में हैं।
शाहाबाद
2017 में बसपा से भाजपा में आईं रजनी तिवारी ने बसपा के आसिफ खां बब्बू को हराया था। इस बार भी भाजपा से रजनी तिवारी प्रत्याशी हैं। आसिफ खां सपा, एबी सिंह बसपा और कांग्रेस से अजीमुश्शान मैदान में हैं।
बिलग्राम-मल्लावां
यहां से भाजपा विधायक आशीष सिंह, सपा से बृजेश वर्मा टिल्लू, बसपा से सतीश वर्मा और कांग्रेस से सुभाष पाल चुनाव लड़ रहे हैं।
संडीला
पिछले चुनाव में भाजपा से राजकुमार अग्रवाल जीते थे। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट कर अलका अर्कवंशी को उतारा है। सपा से सुनील अर्कवंशी, बसपा से पूर्व मंत्री अब्दुल मन्नान और कांग्रेस से मो. हनीफ दावेदार हैं।
बालामऊ (सु)
इस सीट पर भाजपा से विधायक रामपाल वर्मा प्रत्याशी हैं। सपा से रामबली वर्मा, बसपा से तिलक चंद्र और कांग्रेस से सुरेंद्र कुमार मुकाबले में हैं।
गोपामऊ
यहां भाजपा के श्याम प्रकाश प्रत्याशी हैं। सपा से राजेश्वरी देवी, बसपा से सर्वेश कुमार जनसेवा और कांग्रेस से सुनीता देवी प्रत्याशी हैं।
सांडी
इस सीट पर भाजपा विधायक प्रभाष कुमार, सपा से पूर्व मंत्री ऊषा वर्मा, बसपा से कमल वर्मा और कांग्रेस से आकांक्षा वर्मा प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
आबादी- 40,91,380
कुल मतदाता- 29,14,124