मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच करने गुरुवार की देर शाम सीबीआई की छह सदस्यीय टीम गोरखपुर पहुंची। पुलिस लाइन से गाड़ी लेने के बाद टीम रामगढ़ताल थाने पहुंची जहां दो घंटे से अधिक देर तक टीम मौजूद रही। एफआईआर की कॉपी व अन्य डिटेल लेने के बाद थाना परिसर में खड़ी सरकारी जीप का भी सीबीआई ने मुआयना किया।
उधर, सीबीआई के गोरखपुर पहुंचने की सूचना के बाद पुलिसकर्मियों के एक बार फिर हड़कंप मच गया है। शुक्रवार को होटल सहित अन्य स्थानों की सीबीआई की टीम जांच कर सकती है। गोरखपुर आने से पहले सीबीआई ने रामगढ़ताल पुलिस को नोटिस भेज कर केस अपने हाथ में लेने की जानकारी दी थी।
नोटिस में सीबीआई ने केस की जांच करने की जानकारी देने के साथ ही रामगढ़ताल पुलिस से सहयोग की अपेक्षा की थी। वहीं इस केस से जुड़े संबंधित लोगों के बारे में भी सीबीआई ने पूरी जानकारी जुटाने के बाद एसआईटी से पूरे दस्तावेज लेकर गुरुवार को गोरखपुर आई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सर्किट हाउस में सीबीआई रुकी है। गोरखपुर पहुंचते ही टीम ने अपनी जांच शुरू कर दी है। सबसे पहले टीम रामगढ़ताल थाने पर ही पहुंची है।
पिटाई से हुई थी मौत
कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की रामगढ़ताल इलाके के होटल में पिटाई से मौत हो गई थी। इस मामले में मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने में तैनात रहे इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्र सहित छह पुलिसवालों पर पति की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। सभी पुलिसवाले वर्तमान में गोरखपुर जेल में बंद हैं। पिटाई से मौत को लेकर पुलिसवालों पर लोगों में काफी गुस्सा है। यही वजह थी कि इन पुलिसवालों की जेल के अंदर भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। छह बंदी रक्षकों को उनकी सुरक्षा में तैनात किया गया है।
पत्नी मीनाक्षी ने की थी सीबीआई जांच की मांग
मामले की विवेचना कर रही एसआईटी पर भरोसा न होने पर मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने सीबीआई जांच की मांग की थी। वह इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में 12 नवंबर को इस पर सुनवाई होनी है वहीं इससे पहले सीबीआई ने केस अपने हाथ में ले लिया है और मीनाक्षी को इसकी जानकारी दे दी है। वहीं दूसरी तरफ जेल गए सभी छह आरोपित पुलिसवालों की न्यायिक हिरासत 17 नवंबर को पूरी हो रही है। लिहाजा 17 नवंबर से पहले सीबीआई उन्हें अपनी कस्टडी में ले लेगी।
अब तक यह हुआ
27 सितंबर की देर रात गोरखपुर के होटल में पुलिस वालों पर मनीष को पीट-पीटकर मारने का आरोप लगा।
28 सितंबर को पोस्टमॉर्टम के बाद तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की एफआईआर, 6 को सस्पेंड किया गया।
29 सितंबर की सुबह परिजन शव लेकर कानपुर पहुंचे। सीएम से मिलने की जिद पर अड़े थे। अंतिम संस्कार करने से भी इनकार किया।
30 सितंबर को प्रशासन के आश्वासन के बाद सुबह 5 बजे मनीष का अंतिम संस्कार किया गया। फिर उसी दिन सीएम ने मनीष की पत्नी से मुलाकात की।
10 अक्टूबर की शाम रामगढ़ताल पुलिस ने इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार किया।
12 अक्टूबर को पुलिस ने दरोगा राहुल दुबे और कांस्टेबल प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया।
13 अक्टूबर को पुलिस ने मुख्य आरक्षी कमलेश यादव को गिरफ्तार किया था।
16 अक्टूबर को पुलिस ने आखिरी आरोपी दरोगा विजय यादव को गिरफ्तार किया।