ज्ञानवापी प्रकरण में कोर्ट कमिश्नर को हटाने की अपील पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में गत सात मई से चल रही बहस बुधवार को पूरी हो गई। अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए उसे सुनाने के लिए गुरुवार का दिन तय किया है। बुधवार को ही फैसला आने की संभावना के मद्देनजर कचहरी परिसर की सुरक्षा पिछले दिनों की अपेक्षा कहीं अधिक चुस्त कर दी गई थी।
बुधवार को लगातार दो घंटे तक चली बहस में वादी पक्ष के वकील सुधीर कुमार त्रिपाठी, वादी राखी सिंह और विश्वनाथ मंदिर न्यास के अधिवक्ताओं ने विपक्षी अधिवक्ता पर कोर्ट का समय बर्बाद करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि विपक्षी अधिवक्ता कोर्ट कमिश्नर के बदलने पर बहस को छोड़ मंदिर-मस्जिद की बात कर रहे हैं। उन्होंने इस तर्क को मिथ्यापूर्ण बताया कि कमीशन की कार्यवाही में मस्जिद के अंदर जाने का आदेश नहीं है। वहीं विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने एक बार फिर कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलने की मांग की।
वादी पक्ष की दलील : सर्वे से ही स्पष्ट होगी वस्तुस्थिति
कोर्ट में वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अदालत ने विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने की बात कही है। विग्रह कहां हैं, यह कमीशन की कार्यवाही पूरी होने के बाद स्पष्ट होगा। वादी राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौर व विपक्षी काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अधिवक्ता अनूप द्विवेदी ने भी कहा कि विपक्षी बेवजह जिरह खींच रहे हैं। लिहाजा, उनके आवेदन पर कोई विचार न किया जाय।
उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन
विपक्षी अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने जिरह के दौरान कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर प्रवेश करना उपासना स्थल अधिनियम-1991 का उल्लंघन है। साथ ही कोर्ट कमिश्नर जिस आराजी संख्या 9130 पर तहखाना की बात कर रहे हैं, सर्वे से पूर्व उसकी न तो चौहद्दी तय की गई और न ही निर्धारण हुआ। इसलिए मस्जिद में प्रवेश वर्जित है। विपक्षी अधिवक्ता ने सवाल उठाया कि यदि मंदिर के ऊपरी हिस्से को तोड़कर गुंबद बनाया गया है तो क्या कभी गुंबद को अतिक्रमण मानते हुए या अवैध कब्जा के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोर्ट में कोई प्रार्थना पत्र दिया गया है?
डीजीसी ने कहा, ज्ञानवापी में जिम्मेदारियां अलग-अलग
जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने वादी के उस आरोप को खारिज किया कि जिसमें जिला प्रशासन पर कार्यवाही में मदद न करने की बात कही गई थी। डीजीसी ने कोर्ट को अवगत कराया कि पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद जिम्मेदारियां बंट गई हैं। ज्ञानवापी परिसर के रखरखाव की जिम्मेदारी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पर है। वहां की ताला-चाबी की जिम्मेदारी भी कमेटी की है। परिसर के अंदर की सुरक्षा सीआरपीएफ के हाथ में है। तब जज ने पूछा कि क्या जिला प्रशासन के आदेश का सीआरपीएफ पालन नहीं करता है? डीजीसी ने कहा कि शासन-प्रशासन और सरकार कोर्ट के सभी आदेश का पालन करने को बाध्य है। उन्होंने कोर्ट से सभी के लिए अलग-अलग आदेश जारी करने का आग्रह किया।