मेरठ जिले के 124 गांवों का मानचित्र शासन से आदेश होने तक जिला पंचायत ही पास करेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के उद्योग, फैक्ट्री, स्कूल-कॉलेज आदि को बड़ी राहत मिलेगी। जिला पंचायत की शनिवार को होने वाली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वैसे इस पर 2020 से विचार चल रहा है। 

जिला पंचायत के एएमए की ओर से जारी एजेंडे के अनुसार 124 गांवों में मानचित्र स्वीकृति को लेकर असमंजस की स्थिति है। इन गांवों में उद्योग, फैक्ट्री, स्कूल-कालेज आदि के मानचित्र पास नहीं हो रहे हैं। एक साल से मवाना रोड, इंचौली के एक उद्योग का मामला लंबित है। न तो एमडीए मानचित्र पास कर रहा है और न ही जिला पंचायत। ऐसे में शासन से अंतिम आदेश होने तक इन 124 गांवों में जिला पंचायत ही मानचित्र पास करे। शनिवार को होने वाली बोर्ड बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया जाएगा। इस कारण कई उद्योगों की स्थापना भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में अब जिला पंचायत ही नक्शा पास करेगा तो उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी। 

इसको लेकर पूर्व में निर्णय लिया गया था, जिस पर बैठक में अनुमोदन कर दिया जाएगा। उधर जिला पंचायत मेरठ के विभिन्न स्थानों पर खाली पड़ी भूमि पर दुकान, गोदाम और अन्य व्यवसायिक उपयोग के लिए किराए पर दिए जाने और पूर्व में निर्मित दुकानों के दुकानदारों को नियमानुसार भूमि और किराए में बढ़ोतरी पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही जिला पंचायत की दुकानों को किरायेदारों से विनियमितीकरण शुल्क शहरी क्षेत्र में एक लाख और ग्रामीण क्षेत्र में 50 हजार जमा कराने, पुराना संपूर्ण किराया जमा कराने एवं किराए में 25 प्रतिशत वृद्धि कर किराया निर्धारण करने और शासन के आदेश के तहत तीन वर्ष बाद किराए में वृद्धि की स्वीकृति पर विचार किया जाएगा। साथ ही ठेकेदारों के पंजीकरण के लिए भी 20 लाख की हैसियत प्रमाण पत्र होने, नवीनीकरण शुल्क 5000 और नए पंजीकरण शुल्क 10 हजार निर्धारित किए जाने पर स्वीकृति की जाएगी। इसके अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।  विपक्ष के जिला पंचायत सदस्य डेंगू का मामला बोर्ड में उठाएंगे। सपा के सदस्य सम्राट मलिक का कहना है कि डेंगू से जिले की जनता कराह रही है। इलाज नहीं मिल रहा है। सब कुछ कागजों पर है।