आदि विश्वेश्वर की नगरी में गिरिजानंदन गणेश पूजन का श्रीगणेश हुआ। पिता की नगरी में पुत्र का पूजन कर भक्तों ने विघ्नहर्ता से सुख, समृद्धि, बुद्धि, ज्ञान के साथ ही कोरोना महामारी के विघ्न को दूर करने की कामना की। कोरोना प्रोटोकॉल के साथ ही कहीं ऑनलाइन तो कहीं आफलाइन आयोजन आरंभ हुए तो भक्तों ने भगवान गणेश को अपने घरों में विराजमान किया। मणिकर्णिका घाट स्थित पंचकोशी प्रमुख श्री सिद्धिविनायक महाराज का विविध शृंगार किया गया। मंदिर के महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि रिद्धि-सिद्धि के साथ यहां विराजे श्री सिद्धिविनायक महाराज का यह मंदिर अति प्राचीन है। 

श्री बड़ा गणेश मंदिर में उमड़ी श्रृद्धालुओं की भीड़।

दुर्ग विनायक मंदिर में किया हरियाली शृंगार
दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक मंदिर में भव्य हरियाली शृंगार किया गया। फलों से बना पांच किलो का केक भी काटा गया। मंदिर के व्यवस्थापक पं. ताड़केश्वर दुबे के अनुसार 11 सितंबर को विशाल भंडारा लगाया जाएगा। बड़ा गणेश मंदिर में भी भगवान का शृंगार हुआ।

श्री बड़ा गणेश मंदिर में उमड़ी श्रृद्धालुओं की भीड़।

मातृ शक्तियों ने की शिव तांडव की प्रस्तुति, मेधावी हुए पुरस्कृत
नूतन बालक गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल की ओर से काशी की मातृ शक्तियों ने शिव तांडव की मनोहारी प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि संजय गोरे रहे। संस्था की ओर से पं. गणेश शास्त्री पटवर्धन स्मृति पुरस्कार सेजल यादव, स्व. भालचंद चिंतामणि दामले स्मृति पुरस्कार शिवानी यादव, पुरुषोत्तम सप्तर्षि स्मृति पुरस्कार अंश अग्रवाल, केशव मंडलीकर स्मृति पुरस्कार सेजल यादव, रामदास शृंगारिया स्मृति पुरस्कार शिल्पी कुमारी, यशोधरा दामले स्मृति पुरस्कार शिवानी यादव, सुषमा वाशिमकर पुरस्कार  अंश अग्रवाल, दामोदर दास रस्तोगी एवं लक्ष्मी देवी रस्तोगी स्मृति पुरस्कार अंश को दिया गया। धन्यवाद वीरेश्वर नारायण दातार, संचालन डॉ. माधव जनार्दन रटाटे ने किया। 

श्री बड़ा गणेश जी का भव्य श्रंगार।

घरों में विराजे गजानन
डाफी स्थित अशोकपुर कालोनी में डॉ. संतोष सिंह ने घर में श्री गणेश जी की स्थापना कर पूजन आरंभ किया। वहीं सिंधिया घाट पर पूनम ने भी भगवान गणेश को अपने घर में स्थापित किया है। 
लहरतारा निवासी सोनी दीक्षित ने बताया कि बप्पा की ईको फ्रेंडली मूर्ति घर में स्थापित की है। पहले दिन उनका स्वागत हुआ है। आज उनके लिए गोंद के लड्डू का भोग लगाया है।  
कालभैरव निवासी अंजनी मिश्रा ने गंगा की मिट्टी से बप्पा को तैयार किया है। साज-शृंगार करने के साथ उन्होंने मोदक भी तैयार किया है। सुबह बप्पा को स्थापित करने के बाद शाम को घर वालों के साथ उनकी आरती उतारी।

श्री काशी मराठा गणेश उत्सव समिति द्वारा आयोजित गणेशोत्सव में शामिल लोग।

अग्रवाल भवन में विराजे गणपति
अग्रवाल भवन में श्री काशी मराठा गणेश उत्सव समिति ने गणपति की स्थापना की। पूजन खुंटे महाराज ने किया। समिति के संरक्षक संतोष पाटिल, अध्यक्ष सुहास पाटिल ने पूजन किया। इस दौरान मानिक राव पाटिल, संतोष पाटिल, अन्ना मोरे, हनुमान शिंदे आदि मौजूद रहे।  

महमूरगंज स्थित महेश्वरी भवन में गणेश चतुर्थी पर आयोजित कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत करती महिलाएं।

काशी विद्या मंदिर में उत्सव का श्रीगणेश
श्री काशी विद्या मंदिर मच्छोदरी में श्री काशी विश्वनाथ गणपति महोत्सव द्वारा उत्सव का आरंभ हुआ। पूजन आचार्य पं. भाष्कर गोविंद केलकर ने कराया। इस दौरान रामचरण प्रदीप मेहरोत्रा, डॉली चौरसिया, रेनू तिवारी, संध्या मिश्रा, दीप्ति दवे आदि शामिल रहे।

काशी विद्या मंदिर में गणेश जी की आरती का आयोजन।

ऐसे करें पूजन, विषम दिनों में करें विसर्जन
प्रथम पूज्य देव की स्थापना के साथ ही विषम दिनों तक पूजन का विधान है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि धूप, अक्षत दीप के साथ ही मोदक चढ़ाकर हर दिन पूजन करना श्रेयस्कर होता है। घर में या मंदिर में प्रतिमा की स्थापना के विषम दिनों तक रखना शुभकारी होता है। तीन, पांच, सात, 11 दिनों तक स्थापित प्रतिमा का पूजन श्रेयस्कर होता है। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि दूर्वा से गंगा जल का छिड़काव कर प्रतिमा स्थल का हर दिन शुद्धिकरण करना चाहिए। सुबह शाम श्री गणेश जी की आरती करने मात्र से ही उनकी कृपा मिलती है।

केदार घाट स्थित मंदिर में स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने 1000 लड्डुओं का भोग चढा़या।