यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोरोना काल में एक बड़ा फैसला लिया है । कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित उद्योगों को मदद देने के लिए उन्हें अगले तीन साल के लिए श्रम कानूनों में छूट देने की घोषणा की है । यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा वार किया है । उन्होंने योगी सरकार के इस फैसले को मजदूरों और गरीबों के खिलाफ बताया है । यही नहीं सीएम योगी से अखिलेश अपने इस फैसले के लिए इस्तीफा भी मांगा । इसके लिए उन्होंने ट्वीट किया ।
उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने एक अध्यादेश से मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम-क़ानून के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है। यह बेहद आपत्तिजनक व अमानवीय है । श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए ।
उप्र की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मज़दूरों को शोषण से बचानेवाले ‘श्रम-क़ानून’ के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है. ये बेहद आपत्तिजनक व अमानवीय है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 8, 2020
श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली ग़रीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।
इससे पहले अखिलेश ने एक और ट्वीट करके वंदे मातरम से घर लाए जा रहे विदेश में फंसे लोगों के मामले में केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था । अखिलेश ने ट्वीट किया, मुश्किलों में अपना घर बहुत याद आता है, जाने दो हमको वतन…कोई हमें बुलाता है. अमीरों को विदेश से वापस लाने का रेकॉर्ड बनाने की चाह रखनेवाले अगर देश में गरीबों को भी मुफ्त में वापस लाने का रेकार्ड बनाएं तो कितना अच्छा हो ।
गौरतलब है कि कोरोना की वजह से बड़े पैमाने पर कारखाने और उद्योग बंद पड़े हुए हैं । लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर यूपी आ रहे हैं । इसी क्रम में यह मसहूस किया गया है कि कोरोना का संकट कब तक रहेगा कुछ कह नहीं जा सकता है ।