5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के सपने को झटका !
जब 12 साल में पहली बार कम रही बिजली की मांग…
तब अखिलेश के निशाने पर आई मोदी सरकार
अर्थव्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर एक बार फिर से सवाल उठाया है… एक बार फिर से करारा प्रहार किया है…. उन्हें घेरने के लिए… निशाने पर लेने के लिए कुछ बात कही है… वो बात क्या वो बताएंगे…. लेकिन इतना बता दे अखिलेश की उस बात का कनेक्शन भारत की अर्थव्यवस्था से हैं…. अर्थव्यवस्था की रफ्तार कैसी है…. इसे अपनी सोच से मापेंगे तो सबकुछ ठीक लगेगा… अच्छा अच्छा सा महसूस होगा…. लगेगा सबकुछ मनमुताबिक चल रहा है… जैसे पहले था… अब भी वैसा ही है… लेकिन जानकारों की नजर से देखेंगे… तो ऐहसास होगा… बहुत कुछ ना सही… कुछ तो झोल है…. कही ना कही कुछ तो गड़बड़ है…. वर्ना बिजली की मांग में पिछले साल के मुकाबले करीब 13 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज ना होती… ये पिछले 12 साल में हुई सबसे बड़ी मासिक गिरावट है… इस आंकड़े ने आंकड़े एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में मंदी के गहराते संकट का सबूत दे दिया है…. भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए बिजली की जरूरत है… लेकिन हाल के महीनों में बिजली के इस्तेमाल में तीसरी बार गिरावट इस बात की ओर इशारा कर दिया… देश की औद्योगिक गतिविधियां मंद पड़ रही हैं… रफ्तार कम होती जा रही है… ऐसे में सवाल यही है…. मोदी सरकार के 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी खड़ी करने के सपने को झटका लगेगा
कंज्यूमर डिमांड और सरकारी व्यय में आई गिरावट के बीच जून तिमाही में जीडीपी छह साल के सबसे सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ी है… अर्थव्यवस्था के जानकार अब बिजली की डिमांड में कमी को आने वाले वक्त को मंदी के कायम रहने से जोड़कर देख रहे हैं… उन्हें लगता है… मंदी ने बेहद गहरी जड़ें जमा ली हैं, खास तौर पर इंडस्ट्रियल सेक्टर में… इकोनॉमिक ग्रोथ के संदर्भ में ये हालत बेचैनी बढ़ाने वाली है…आंकड़ों की बात करें तो उद्योगों से विकसित महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में बिजली के इस्तेमाल में कमी देखने को मिली है…सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है… डेटा के मुताबिक, देश के उत्तर और पूर्व में स्थित चार छोटे राज्यों को छोड़ दें तो सभी क्षेत्रों में मांग में गिरावट देखने को मिली है…. बिजली की मांग में कमी ने सत्ता पक्ष के खिलाफ सियासत को आवाज उठाने का मौका दे दिया… टेढ़ी सियासी गलियारे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को घुसने का मौका दे दिया… अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा है
अखिलेश से लेकर अर्थशास्त्रियों सब बिजली की मांग में कमी आने को धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था से जोड़कर देख रहे हैं… अगर ऐसा है तो सरकार की वो कौन सी नीतियों के कोप का भाजन हुई है