एक जिले से CM Yogi के तीन कद्दावर मंत्री… फिर भी Akhilesh Yadav की ही नेता पर गई नजर…क्या है माजरा?

एक जिला… उस जिले से योगी सरकार में तीन मंत्री, फिर भी बीजेपी को अखिलेश के नेता ही पसंद !
तीन मंत्रियों को योगी मंत्रिमंडल में मिला पावरफुल मंत्रालय… लेकिन निकाय चुनाव बीजेपी को अखिलेश की नेता की राजनीति पर ही हुआ विश्वास !
सपा की उस नेता ने बीजेपी की ली सदस्यता… उस जिले के भाजपाईयों पर गुजरी खूब … दर्द छलक तो रहा ही होगा !

तस्वीर देख लीजिए… सुस्वागतम हैं… सुचिता की संस्कृति में राजनीति की ये नई परिभाषा है… आइए आपका स्वागत है… आपका अब मंगल ही मंगल होगा… आप आ गई तो अब छा जाएंगी… जीत के परमोउत्सव को आनंदित करने का मौका आए… और उसे छोड़ दिया जाए ना भाई ना… जीतने का जिसमे मद्दा है… उसका तो स्वागत होना ही चाहिए है… तस्वीर देख लीजिए… उन्हें धैर्य शांत चित्त और हल्की मुस्कुराहट के मिश्रण में हर्षोउल्लास से स्वागत किया जाएगा ही… अब परिवार के सदस्य पर दाग लगा है… तो भी क्या, इनके जीत के पूर्वानुमान 99 फीसदी दम है… तो इसलिए दाग अच्छे हैं… किसी को दाग नजर आ रहा है… तो क्या ये तो बेदाग है… तस्वीर देख लीजिए… तस्वीर में दिख रही महिला नेता है… लेकिन इनके परिवार की विरासत बेनाम नहीं है… परिवार की राजनीति में तो दम है… लेकिन इसी दम पर दाग भी तो लगा है…

नेताइन महोदया आयातित है… वो भी उस शाहजहांपुर से जहां से योगी मंत्रिमंडल में तीन-तीन मंत्री हैं… है ना कमाल की बात… उसी शाहजहांपुर से बीजेपी अपने संगठन से एक प्रत्याशी को ढूंढ नहीं पायी… अब सपा के अंदर संगठन पर सवालिया निशान लगाने के लिए उनकी नेता की सोच को बीजेपी ने अपनी ओर तो मोड़ लिया… लेकिन पूछने वाले तो पूछ रहे हैं… अरे भाई ये क्या बात हुई जिस जिले से सीएम योगी ने तीन नेताओं को मंत्री बनाया… वहां से बीजेपी को अपना नेता मेयर पद के लिए क्यों नहीं मिला… लिया तो उन्हें लिया… जिनके ससुर पर संगीन इल्जाम है… एक पत्रकार को जिंदा जलाने का आरोप है…
अब सोचिए शाहजहांपुर से योगी सरकार में जो तीन मंत्री बने हैं… वो हल्के फुल्के नहीं… सियासी अनुभव के मामले में भारी भरकम है…

सुरेश खन्ना बीजेपी के पुरोधा हैं, कई बार से विधायक है, इनका जलवा
जलाल कायम है… जिद्द के लिए जानते जाते हैं… फिर नेता आयातित
JPS राठौर कुद को संगठन का योद्धा बताने से गुरेज नहीं करते, संगठन
शिल्पी के करीबी भी रहे लगातार, अब मंत्री हैं, फिर भी मेयर पद के
प्रत्याशी चुनी गई तो दूसरी पार्टी से जितिन प्रसाद की राजनीतिक हैसियत को तो जानते ही होंगे, बड़े
घराने से हैं भाजपा में रेड कॉर्पेट से आये, इनके पास बचाव का
मज़बूत तर्क है, मंत्रालय में कोई सुन नहीं रहा, संगठन कहां से सुनेगा

बहरहाल ये महिला नेता पहले शाहजहांपुर में सपा में थी… सपा की ओर से मेयर पद का टिकट भी मिला… लेकिन वक्त रहते पाला बदल लिया अब भाजपाई हो गई हैं…यूपी के शाहजहांपुर में पहली बार नगर निगम का चुनाव होने जा रहा है, चुनाव से पहले ही वहां बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिल गया है…. अर्चना वर्मा जिन्हें समाजवादी पार्टी ने मेयर का प्रत्याशी बनाया था उन्होंने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है…. अर्चना वर्मा सपा काल में ज़िला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं, पूर्व मंत्री राम मूर्ति वर्मा की बहू हैं जिनपर शाहजहांपुर में पत्रकार को ज़िंदा जलाने का आरोप लगा था… तब बीजेपी ने खूब हल्ला काटा था, आज उन्ही की बहू बीजेपी में हो गई…अर्चना वर्मा उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुई हैं…

जानकारी के लिए बता दें कि अर्चना लोधी समाज से ताल्लुक रखती हैं और अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राममूर्ति वर्मा की बहू हैं… अर्चना शाहजहांपुर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं…वो साल 2005 और 2015 में जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थीं… साल 2006 में अर्चना शाहजहांपुर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं… वहीं अर्चना के पति राजेश वर्मा साल 2022 में सपा की टिकट पर ददरोल से विधानसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था…जबकि सपा सरकार में मंत्री रहे और अर्चना वर्मा के ससुर राममूर्ति सिंह वर्मा 4 बार विधायक रहे, इसके अलावा वे 2 बार शाहजहांपुर लोकसभा सीट से दो बार सांसद भी चुने गए थे…