यूपी में उपचुनाव की जंग…स्वार में चढ़ेगा भगवा रंग ?
आजम के वर्चस्व पर खतरा…बीजेपी नेताओं का पहरा !
दोनों को प्रत्याशी की तलाश…क्या पूरी होगी आस ?
नतीजा तय करेगा जनता का हाथ…सपा या बीजेपी के साथ ?
रामपुर…वो जिला जहां कभी आजम खान की तूतू बोलती थी…जहां आजम ने जौहर यूनिवर्सिटी समेत कई ऐसे काम किए हैं जिसकी दीवानी रामपुर की जनता आज भी है….लेकिन पिछले कुछ सालों से आजम खान की मुसीबतें बढ़ी ही हैं…न तो राहत मिली है और नही मिलने के आसार दिख रहे हैं…यहां तक की अब तक की चुनावी परीक्षा में भी आजम खान फेल ही रहे हैं….लेकिन एक बार फिर से लड़ाई होने जा रही है….आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी जाने के बाद खाली हुई सीट स्वार पर जंग होगी…सांसदी सीट और आजम खान की खाली हुई सीट रामपुर दोनों बीजेपी के पास है….लेकिन अब बीजेपी की रणनीति क्या होगी…..ये बड़ा सवाल होगा….क्योंकि साथ में निकाय चुनाव के आसार भी दिख रहे हैं तो 2024 में लोकसभा चुनाव….मैनपुरी की लोकसभा सीट जितने के बाद से अखिलेश भी गदगद हैं.,.और चाचा का साथ भी भरपूर मिल रहा है…लेकिन अब सवाल है कि…बीजेपी ऐसे में क्या करेगी….क्योंकि पिछले चुनावों में अखिलेश और शिवपाल में दूरिया थीं….लेकिन जैसे ही मैनपुरी जीत हुई तो पार्टी विलय के साथ साथ मतभेद भी खत्म हो गए…ऐसे में सपा का जोश भी हाई है…..इन सबसे बीच लड़ाई होगी प्रत्याशी को लेकर….विधानसभा चुनाव के दौरान सपा से अब्दुल्ला आजम थे तो बीजेपी-अपना दल एस से गठबंधन प्रत्याशी नवाब परिवार के सदस्य नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा अली मैदान में थे….नतीजा ये रहा कि….अब्दुल्ला आजम ने विधायकी जीत ली….लेकिन कुछ ही महीने में वो चली भी गई…..
बीजेपी-सपा को प्रत्याशी की तलाश
दरअसल बीजेपी की रणनीति क्या है आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि..स्वार विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी पूरा जोर लगा रही है…बीजेपी की कोशिश रामपुर से आजम खान के वर्चस्व को पूरी तरह समाप्त करने का है…स्वार विधानसभा सीट पर चुनावी बिगुल फूंके जाने के बाद उम्मीदवारों के नामों पर कयासबाजी शुरू हो गई है….आजम खान की ओर से घोषित होने वाले उम्मीदवार पर नजर होगी…लेकिन दिलचस्पी बीजेपी की ओर से घोषित होने वाले उम्मीदवार भी टिक गई है….यूपी चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के बाद पहली बार स्वार विधानसभा सीट एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार को दी थी…दरअसल गठबंधन के तहत यह सीट अपना दल एस के खाते में गई थी….लेकिन अबकी बार बीजेपी क्या फिर अपना दल एस के प्रत्याशी को उतारेगी या फिर कुछ नया इंतजाम करेगी…उधर सपा किसे मैदान में उतारेगी….फिलहाल आजम की बहू का नाम रेस में है…
आजम के लिए चुनौती तो बीजेपी के लिए जीत जरूरी
नवाब काजिम अली कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं….उनकी आजम खान से अदावत काफी पुरानी है…. पिछले दिनों रामपुर लोकसभा और रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में वे खुलकर बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में दिखे…. बीजेपी के पक्ष में मुसलमान वोटों को गोलबंद करने में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है….उनकी गतिविधियों के देखते हुए कांग्रेस ने उन पर एक्शन लिया है…. ऐसे में बीजेपी करीब 9 साल बाद यूपी की राजनीति में एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतार सकती है….उधर आजम खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने जिले में वर्चस्व को बचाए रखने की है…. रामपुर जिले को आजम का गढ़ माना जाता रहा है…. लेकिन पिछले दो चुनावों में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है…रामपुर शहर सीट की हार ने आजम को बड़ी चोट दी है….रामपुर लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट पर हार के बाद आजम के सामने बेटे अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सीट स्वार पर कब्जा जमाए रखने का है…