जिले में महामारी का रूप धारण कर चुके डेंगू वायरल बुखार ने हाहाकार मचा दिया है। चारो तरफ करुण क्रंदन, चीखे, रोने की आवाज सुनाई देने वाला बन चुका फ़िरोज़ाबाद सरकारी आंकड़े हॉस्पिटल की मौतों को बयां कर रहे हैं पर गावों में मौतों की कोई गिनती नहीं है। ऐसी महामारी दिल कंपा देने वाली किस संदेश को छोड़ रही है। फ़िरोज़ाबाद जिले में डेंगू वायरल से मौतों का आंकड़ा पचास से पचपन बताया जा रहा है, लेकिन गांवों में हुई मौतों की न तो गिनती है और न ही कोई लेखाजोखा गुमनाम मौतों और उनके परिजनों की कौन सुने।
अभी दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनपद में आये थे, उन्होंने मौतों को 39 माना था। 32 बच्चे, 7 बड़े की मौत स्वीकार की, लेकिन ये वही आंकड़े हैं जो अधिकारियों ने उपलब्ध कराए थे। क्षेत्रीय विधायक मनीष असीजा का कहना है कि उनका मानना है, जिले में 52 मौतें आज तक हो चुकी हैं। ये आंकड़े शहर के हैं। मरघटी, जलालपुर, शाहजलपुर, कपा बली, नगला, अमान तथा अन्य गांव हैं जहां लोगों की मौते हुई हैं। जिले के हॉस्पिटल में अभी 240 बच्चे भर्ती हैं, जिनके बारे में डॉक्टर अपने अपने विचार रखते हैं। डॉक्टर से बात की गई तो बताया कि 240 मरीजों में 70 डेंगू पॉजिटिव हैं।
जिले में हॉस्पिटल काफी है लेकिन स्टाफ नहीं। डॉक्टरों की कमी प्राइवेट सेवा देने की वजह से है। अधिकतर डॉक्टर प्राइवेट हॉस्पिटल में सेवा दे रहे हैं या फिर घर पर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। ज्यादातर मरीज झोलाछाप डॉक्टर और बिना रजिस्ट्रेशन पैथोलॉजी के हवाले हैं। आजकल प्रत्येक व्यक्ति सरकारी हॉस्पिटल में जाना कम पसंद करता है। इसकी वजह भी है, वहां जाने पर डॉक्टर नहीं मिलते। मिलते हैं तो लंबी लाइन, घंटों इंतजार, डॉक्टर की मनमानी से परेशान होना पड़ता है। पैथोलोजिस्ट सरकारी पैथोलॉजी में बैठने के बजाय हॉस्पिटल के आसपास प्राइवेट पैथोलॉजी खोले बैठा होता है।