रांची, 28 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में विलय और भाजपा विधायक दल का नेता के रूप में भले ही बाबूलाल मरांडी के चुन लिया गया हो, लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता देने को लेकर पेच फंस गया है। विधानसभा में उन्हें अभी भी भाजपा सदस्य के रूप में मान्यता नहीं मिल सकी है।

बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को झारखंड विधानसभा में इसे लेकर भाजपा के सदस्यों ने जोरदार हंगामा भी किया। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र महतो ने भाजपा की ओर से भेजे गए पत्र में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

विधानसभा अध्यक्ष महतो ने कहा, भाजपा के साथ-साथ प्रदीप यादव और बंधु टिर्की का पत्र आया है। अध्ययन करेंगे। वक्त लगेगा। किसी तरह का पत्र आएगा, उस पर निर्णय लेने में समय लग सकता है, विषय वस्तु पर अध्ययन करना जरूरी होता है। सभी के दावे अलग-अलग हैं।

भाजपा के एक नेता ने कहा कि 24 फरवरी को पत्र भेजकर बाबूलाल मरांडी को भाजपा सदस्य के रूप में मान्यता प्राप्त करने का आग्रह किया गया था, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि झाविमो के 11 फरवरी को प्रस्ताव पारित कर भाजपा में विलय का निर्णय लिया गया था। भाजपा ने इसे स्वीकृति प्रदान की थी। इसी आधार पर पत्र में आग्रह किया गया था कि झाविमो के विलय के बाद बाबूलाल भाजपा के सदस्य हो गए हैं, इस कारण उन्हें विधानसभा में भाजपा सदस्य के रूप में मान्यता दी जाए।

सत्र शुरू होने से पहले नए विधानसभा भवन में गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में भाजपा के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए। इस दौरान बजट सत्र को सुचारु रूप से संचालित करने को लेकर चर्चा हुई।

बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम, झाविमो नेता के तौर पर प्रदीप यादव, राजद प्रतिनिधि सत्यानंद भोक्ता, आजसू प्रतिनिधि सुदेश कुमार महतो, भाकपा माले के विनोद सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि कमलेश कुमार सिंह और निर्दलीय विधायक सरयू राय मौजूद रहे।

भाजपा की ओर से सी़ पी़ सिंह को आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुने जाने का हवाला देकर बैठक में उपस्थित नहीं हुए। इस आशय का पत्र उन्होंने अध्यक्ष को भेज दिया था।

बहरहाल, झारखंड विधानसभा के इतिहास में पहली बार नेता विपक्ष के बगैर शुक्रवार से बजट सत्र की शुरुआत हो गई।

गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में झाविमो तीन सीटें जीती थीं। इसके बाद झाविमो का भाजपा में विलय हो गया। बाबूलाल मरांडी जहां भाजपा में चले गए, वहीं शेष दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप महतो कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

–आईएएनएस