निकाय चुनाव में कई जगह BSP रेस से बाहर !… क्या Akhilesh Yadav ने मार ली बाजी ?

नगर निकाय में बीएसपी के पास रखे रह गए उम्मीदवारों के टिकट… मायावती राह तकती रही… दावे आए ही नहीं !
परिणाम आया नहीं निकाय चुनाव में कई जगह BSP रेस से बाहर !… मायावती को क्या नहीं मिले सभी सीटों पर उम्मीदवार?…
क्या अखिलेश ने मायावती की राजनीति पर मार ली बाजी… नगर निकाय चुनाव में बीजेपी का असल मुकाबला क्या सपा से ही होगा ?

नगर निकाय चुनाव से पहले बीएसपी प्रमुख मायावती बड़े बड़े दावे कर रही थी… बड़ी बड़ी बात रख रही थी… अपने अंदाज अपना सियासी रसूख दिखा रही थी… लेकिन इस चुनाव में अब कुछ ऐसी बात सामने निकल कर आयी… जिससे कहने वाले कह रहे हैं… ये क्या बीएसपी के साथ हो गया… मायावती के दावे तो निकाय चुनाव के परिणाम आने से पहले ही दम तोड़ दिए… जो दावा बीएसपी प्रमुख मायावती कर रही थी… उसकी हवा निकल गई…इस चुनाव से एक बात और साबित हो गई… बीएसपी की घुसपैठ यूपी में कहां है… कहां नहीं है… जिस ओर बीएसपी को अबतक सुधार कर लेना चाहिए था… उस ओर किया ही नहीं किया… जिसका खामियाजा नगर निकाय चुनाव में बीएसपी को उठाना पड़ रहा है… देखने वाली बात ये है… कि अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने इस ओर लगता है बहुत सुधार कर लिया है… अब उसकी पहुंच उस ओर हो चुकी है… जिस ओर पहले सिर्फ बीजेपी की ही थी… इसलिए कहने वाले कह रहे हैं… 2024 के चुनाव में बीजेपी का असल मुकाबला तो एक बार फिर से सपा से ही यूपी में होना है… चलिए ऐसा क्यों कह रहे हैं… उस पर आते हैं…
दरअसल दमखम के साथ नगर निकाय चुनाव लड़ने के दावे कर रही बसपा को ज्यादातर निकायों में पार्षद और सभासद की कई सीटों पर प्रत्याशी नहीं मिले हैं… हालांकि नगर निगमों में महापौर की सभी सीटों पर बसपा ने प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन कई नगर पालिका और नगर पंचायतें ऐसी हैं जहां अध्यक्ष पद पर भी प्रत्याशी नहीं उतारे हैं.. ऐसे में इन सीटों पर बसपा चुनाव से पहले ही लड़ाई से बाहर हो गई है… बीएसपी ने इस बार सभी सीटों पर पूरे दम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था… महापौर की सभी 15 सीटों पर प्रत्याशी भी उतारे, लेकिन ज्यादातर नगर निकाय में पार्षद की सीटों पर पूरे प्रत्याशी नहीं दिए…

लखनऊ के 110 में 27 वॉर्ड ऐसे हैं, जिनमें बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं है
गोसाईंगंज और नगराम पंचायत में अध्यक्ष पद पर कोई प्रत्याशी नहीं दिया है…
कानपुर के 110 में 37 वॉर्डों में कोई प्रत्याशी नहीं है यहां एक नगर पंचायत में
अध्यक्ष पद के दावेदार का पर्चा खारिज हुआ है… प्रयागराज के 100 में 41
वॉर्डों में बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं है, जबकि दो नगर पंचायतों में अध्यक्ष
पद की लड़ाई में बसपा नहीं है फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़ में भी नगर पंचायतों
की दो-दो सीटों पर अध्यक्ष पद का कोई उम्मीदवार नहीं है

बसपा में सभी सीटों पर उम्मीदवार न दे पाने की कई वजहें हैं… बीएसपी गांवों में ज्यादा मजबूत पार्टी रही है… यही वजह है कि 2017 से पहले वह शहरों में चुनाव ही नहीं लड़ती थी… शहरों में ऐसे कई इलाके हैं, जहां बीएसपी के कोर वोटर नहीं है… ऐसे में जीतने की कम उम्मीद होने के कारण भी अच्छे प्रत्याशी नहीं आते…इस बार भी बीएसपी के टिकट की सबसे ज्यादा मांग हाल ही में गांवों से नगर निगम की सीमा में शामिल इलाकों में ज्यादा रही है… कहा जा रहा है… बीएसपी ने 2017 से ही नगर निकाय चुनाव लड़ना शुरू किया है…ऐसे में पकड़ बनाने में भी वक्त लगेगा… तो जिस तरह से नगर निकाय चुनाव में बीएसपी का टिकट लेने के दावेदार कम इंटरेस्ट दिखा रहे हैं… उससे ये साबित हो गया… बीएसपी की पैठ अब भी यूपी के गांवों में ही है… यूपी के शहरों तक अभी उसका विस्तार नहीं हुआ है…