नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषी अक्षय कुमार सिंह की उम्र, सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, बेदाग पिछला जीवन व उसमें सुधार का अवसर निर्थक है, क्योंकि उसके द्वारा किया गया अपराध दुलर्भतम श्रेणी में है और इसलिए मौत की सजा की पुष्टि की जाती है।
अक्षय सिंह ने उसे निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दी गई मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए शीर्ष अदालत से संपर्क किया था। अक्षय के अलावा तीन अन्य आरोपियों को मौत की सजा दी गई है। शीर्ष अदालत ने 2017 में मृत्युदंड को बरकरार रखा और 2018 में अन्य आरोपियों द्वारा दी गई पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति आर.भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, परिस्थितियों के मद्देनजर और यह देखते हुए कि मामला दुर्लभतम मामलों में दुर्लभ की श्रेणी में आता है, मौत की सजा की पुष्टि की जाती है।
इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण व ए.एस. बोपन्ना भी शामिल हैं।
शीर्ष कोर्ट ने उल्लेख किया कि सिंह की पुनर्विचार याचिका दूसरे दोषियों की मिरर इमेज है।
इसमें कहा गया, मौजूदा पुनर्विचार याचिका में जिन आधारों को उठाया गया, वह लगभग पूर्व के पुनर्विचार याचिकाओं की बहस का दोहराव है, जिसे खारिज कर दिया गया और हमारी राय में इसे फिर भी दोहराया नहीं जा सकता।
कोर्ट ने सिंह के वकील से कहा कि पुनर्विचार याचिका अपील की फिर से सुनवाई के लिए नहीं है और एक पक्ष फैसले के पुनर्विचार के लिए की मांग के उद्देश्य से दोबारा अपील करने का हकदार नहीं है।
–आईएएनएस