पिता ने दूध बेचकर पढ़ाया, बेटी आज पहाड़ में है DM, देखिए उत्तराखंड की IAS बेटी की संघर्ष भरी कहानी

कहानी पहाड़ की उस बेटी की जिसने अपना सपना पूरा करने के लिए लगा दी पूरी जान
जिसके पिता ने दूध बेचकर पढ़ाया और बेटी ने IAS बनकर उतारा “दूध का कर्ज”
इस IAS अफसर की कहानी सुनकर आप भी कह उठेंगे “वाह”
सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों को ये वीडियो कर देगा प्रेरित

आप अक्सर किसी परेशानी से थककर बैठ जाते होंगे आपको लगता होगा कि आपकी किस्मत ही खराब है जो आपको सफलता नहीं मिलती…लेकिन ये सब बातें आपको बिल्कुल फिजूल लगेंगी जब आप हमारा ये वीडियो पूरा देख लोगे क्योंकि इस वीडियो में हम आपको एक ऐसी कहानी दिखाएंगे जिसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे और तुरंत अपने सपने को पूरा करने के लिए फिर से जी जान से लग जाएंगे…दरअसल हम आपको आज उत्तराखंड की उस बेटी की कहानी दिखाएंगे जो आज जिले की कलेक्टर है लेकिन उसकी पढ़ाई लिखाई और शुरूआती जिंदगी का संघर्ष किसी की भी आंखों में आसूं लाने वाला है….तो चलिए शुरू करते हैं पहाड़ों की उस बेटी की कहानी जिसके पिता ने अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए दूध बेचने का काम किया…ये कहानी बहुत प्रेरित करने वाली है इसे जानने के लिए बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें
दरअसल हम अक्सर विपरीत हालातों से हार मान जाते हैं कि लेकिन पहाड़ों की इस बेटी ने खराब खराब हालात में भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ एक आईएएस अधिकारी बनने का मुकाम हासिल किया बल्कि वर्तमान में वह राज्य के एक जिले के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं। जी हां… बात हो रही है राज्य के बागेश्वर जिले के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रही आईएएस अनुराधा पाल की…चलिए आपको पहाड़ की इस होनहार बेटी की निजी जिंदगी और संघर्ष के बारे में कुछ और गहराई से बताते हैं
दरअसल बागेश्वर की 19वीं जिलाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रही आईएएस अनुराधा मूल रूप से राज्य के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली है।

आईएएस अनुराधा इससे पूर्व सीमांत पिथौरागढ़ जिले के मुख्य विकास
अधिकारी की जिम्मेदारी भी कुशलता पूर्वक निभा चुकी है। अनुराधा पाल
ने अपने सपनों का बोझ कभी भी गरीब माता-पिता पर तनिक भी नहीं डाला।
एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनुराधा के पिता दूध
बेचकर परिवार का भरण पोषण करतें थे।

अनुराधा ने जवाहर नवोदय विद्यालय हरिद्वार में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी
जिसके बाद तुरंत ही उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन में इंजीनियरिंग की
डिग्री ली। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही अनुराधा ने महेद्रा टेक
में नौकरी ज्वाइन कर ली थी इसके बाद उन्होंने लेक्चरर के रूप में कॉलेज ऑफ
टेक्नोलॉजी रुड़की जॉइन किया यहां उन्होंने तीन वर्ष तक अपनी सेवाएं दी।

यहां तक अनुराधा की हालत ठीक ठाक हो गई थी थोड़ा बहुत पैसा भी जमा कर लिया था कोई और लड़की होती तो सोचती चलो बहुत हुआ अब आराम करते हैं लेकिन अनुराधा के मन में तो कुछ और ही चल रहा था जिसके चलते उन्होंने नौकरी छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला लिया और दिल्ली आ गई। दिल्ली में रहते हुए भी उन्होंने कभी पिता पर पैसों का बोझ नहीं डाला। आईएएस की कोचिंग के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ा-पढाकर‌ पैसे जुटाए और उनसे अपनी कोचिंग क्लास की फीस दी।

साल 2012 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली परंतु लेकिन 451वीं रैंक हासिल हुई। जिस वजह से उन्हें आईआरएस अधिकारी बनने का मौका मिला….लेकिन उन्हें तो बनना सिर्फ सिर्फ IAS अधिकारी ही था जिसके लिए करीब दो सालों तक इस पद पर नौकरी करने के साथ ही उन्होंने आईए‌एस बनने की तैयारियों को जारी रखा। बार-बार असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आखिर में वो समय आ ही गया जब अपने कठिन परिश्रम के बलबूते सिविल सेवा परीक्षा 2015 में हिंदी माध्यम की टॉपर बन गई। इस बार मेरिट सूची में उन्हें 62 वां रैंक मिली थी….और इस तरह उत्तराखंड की इस बेटी का आईएएस बनने का सपना पूरा गया

बता दें कि हाल ही में अपने कार्य के प्रति उनके सकारात्मक रवैए को देखते हुए ही उत्तराखंड शासन ने उन्हें प्रमोशन देते हुए बीते अक्टूबर माह में बागेश्वर जिले का नया जिलाधिकारी नियुक्त किया था।

अगर आपको याद हो तो हाल ही में अनुराधा पाल तब चर्चा में आ गई थीं जब उन्होंने जनता दरबार में किसानों को मुआवजा नहीं मिलने की शिकायत पर पीएमजीएसवाई बागेश्वर के अधिशासी अभियंता की सैलरी रोकने का भी आदेश दिया था।……..आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएंगे साथ ही उत्तराखंड से जुड़ी हर खबर के लिए हमारा चैनल भी सब्सक्राइब कर लें…शुक्रिया