‘स्वामी’ के नारे पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के ‘फेवरिट’ बाबा ने मारी दहाड़… सोशल मीडिया मच गया कोहराम स्वामी का नारा- मिले मुलायम-कांशीराम, हवा उड़ गए जय श्रीराम… पंडित धीरेंद्र शास्त्री के गुरु ने भी दिया नारा… तो बहुतों को मिर्च लग गई ! बाबा प्रमाणिक हैं… श्रीराम के पक्के वाले भक्त हैं… श्रीराम का अपमान सुन ना सके… कही ऐसी बात जिसने भी सुना वो हिल गए !

‘स्वामी’ के नारे पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के ‘फेवरिट’ बाबा ने मारी दहाड़… सोशल मीडिया मच गया कोहराम
स्वामी का नारा- मिले मुलायम-कांशीराम, हवा उड़ गए जय श्रीराम… पंडित धीरेंद्र शास्त्री के गुरु ने भी दिया नारा… तो बहुतों को मिर्च लग गई !
बाबा प्रमाणिक हैं… श्रीराम के पक्के वाले भक्त हैं… श्रीराम का अपमान सुन ना सके… कही ऐसी बात जिसने भी सुना वो हिल गए !

सोशल मीडिया पर एक वी़डियो वायरल है… जिसमें एक संत… जो रामकथा दशकों से पढ़ते आए हैं… श्रीराम के भक्तों में उनकी गिनती की जाती है… अब उन्ही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया… जिसे सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से उस नारे का जवाब माना गया है… जिसमे स्वामी नारा देते नजर आते हैं… कि मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्रीराम… इस पर बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री के सबसे परम प्रिय गुरु ने नारा दिया… तो हंगामा शुरू हो गया… इस बाबा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को एक बार पहले भी करारा जवाब दिया था… तब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर धाम प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री को घेरा था… तब स्वामी ने रामचरितमानस पर सवाल उठाया था… तब बाबा ने जवाब दिया था… स्वामी प्रसाद मौर्य की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है… वो सठिया गए हैं… अब स्वामी ने जो 90 के दशक के नारे की एंट्री अखिलेश की उपस्थिति में 2023 में दलित वोट साधने के लिए करवाई तो बाबा ने कुछ इस तरह से जवाब दिया…

अब जिन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के नारे को जवाब देने के लिए ये नारा दिया… वो हैं… चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी श्रीरामभद्राचार्य…जिन्हें धीरेंद्र शास्त्री अपना गुरु मानते हैं… भद्राचार्य नेत्रहीन हैं और उन्हें मानस मर्मज्ञ माना जाता है… उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है… रामभद्राचार्य का नाम बहुत ही आदर के साथ हिन्दू संत समाज में लिया जाता है… धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य वही हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी…उनके बारे में यह बातें सोशल मीडिया पर उन दिनों वायरल हुई…कि जब श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वो वादी के रूप में मौजूद थे…तो उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई…कहा जाता है जो उन्होंने बताया ठीक वैसा ही था…जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है…उसी स्थान पर है.. कहा जाता है सिर्फ दो माह की उम्र में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की आंखों की रोशनी चली गई, उन्हें 22 भाषाएं आती हैं, 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं… वो न तो पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं..वो केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं… पद्मविभूषण रामभद्राचार्य संत समाज में एक ऐसे संन्यासी के तौर पर जाने जाते हैं…जो अपनी दिव्यांगता को हराकर जगद्गुरु बने…. लेकिन धर्मगुरु रामभद्राचार्य ने ये कहकर स्वामी प्रसाद समर्थकों को नाराज कर दिया है… अब उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर तरह तरह की बाते हो रही है…
एक यूजर ने लिखा-

https://twitter.com/yadavpramod171/status/1643818439163904001?s=48&t=HJyo4GvcbrTzN_-cqUpz9g

सावधान! बाबा के भेष में शैतान हैं।

तेरे जैसा बताएगा की पाखंडी है…कितने दिव्यांगों को पढ़ाकर समाज में जीना सीखाया

तो एक औऱ यूजर ने लिखा…

पाखंडी है ये लोग संत के चोला ओढ़कर कर समाज को बाटकर अपना धंधा कर रहे है

तो जवाब दिया गया…

गल जाओगे नमक की तरह पूज्य राम भद्राचार्य जी सिद्ध संत है। पाप का बोझ उठा नहीं पाओगे जो कर रहे हो।

आपको को क्या लगता श्रीरामभद्राचार्य ने ये नारा क्यों दिया… इसकी वजह क्या हो सकती है…अपनी राय जरूर दे… साथ ही पेज को लाइक और सब्सक्राइब जरूर करें…