कहते है सियासत में ना कोई परमानेंट दोस्त है और ना ही परमानेंट दुश्मन । लेकिन लगता है बीएसपी प्रमुख मायावती इस धरना को बदलने में लग गई है । आप पूछेंगे कैसे ? तो जवाब ये है कि राजस्थान में मायावती को जो घात कांग्रेस से मिला था वो अब तक भूली नहीं है । चंद्रशेखर आजाद को विकल्प के तौर पर किसने राजनीति के मैदान पर किसने लाया मायावती जानती है । मायावती को कही ना कही लगता कांग्रेस उसकी बीएसपी के अस्तित्व को मिटाने में जुट गई है । शायद इसलिए कांग्रेस, बीएसपी प्रमुख मायावती के लिए अब भी दुश्मन नंबर एक है ।

शायद इसलिए बीएसपी प्रमुख मायावती ने ना तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विपक्ष की बुलाई गई बैठक में हिस्सा लिया और अब लॉकडाउन में गरीब और मजदूरों की त्राहिमाम वाली स्थिति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मान रही है । मायावती ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए एक ट्वीट किया… जिसमे लिखा

आज पूरे देश में कोरोना लॉकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है, उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गांव/शहरों में की होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता?

मायावती का ये सवाल कांग्रेस से यही तक नहीं है । उन्हों ने सीधा सा सवाल कांग्रेस से पूछा । सवाल यही कि कांग्रेस ने अब तक कितने लोगों की वास्तविक मदद की । मायावती कहती हैं,

वैसे ही वर्तमान में कांग्रेसी नेता द्वारा लॉकडाउन त्रासदी के शिकार कुछ श्रमिकों के दुःख-दर्द बांटने सम्बंधी जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह हमदर्दी वाला कम व नाटक ज्यादा लगता है. कांग्रेस अगर यह बताती कि उसने उनसे मिलते समय कितने लोगों की वास्तविक मदद की है तो यह बेहतर होता ।

ये कांग्रेस पर निशाना है लेकिन वही मायावती जो कभी बीजेपी को पानी पी-पीकर कोसती थी उन्होंने बीजेपी के लिए अपना रुख मौजूदा दौर में साफ्ट रखा है । अपने तीसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा

साथ ही, बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर न चलकर, इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों/शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर यदि अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी

ऐसे में सवाल उठता है कांग्रेस के लिए मायावती तल्ख क्यों ? सत्ता पक्ष यानी बीजेपी के प्रति इस रुख के पीछे क्या रणनीति है ? क्या मायावती, अरविंद केजरीवाल की राह पर चल पड़ी है ? कही मायावती ये मानकर तो नहीं चल रही है कि कांग्रेस फिर से यूपी में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है जिसका नुकसान उन्हें और उनकी पार्टी को हो सकता है । ऐसे तमाम सवाल है जिसका जवाब जनता जानना चाहेगी । लेकिन यक्ष प्रश्न यही है क्या मायावती जवाब देंगी ?