अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में विवाद का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। जब पद के चक्कर में परिषद के पदाधिकारी एक दूसरे के सामने आए और खुद को पदाधिकारी घोषित कर दिया। हालांकि इस तरह के विवाद कुछ दिन ही चलते हैं और बाद में एक ही परिषद काम करती है।
परिषद के विवादों की बात की जाए तो वर्ष 2010 में तत्कालीन अध्यक्ष महंत ज्ञानदास को हटाकर रातोरात महंत बलवंत सिंह को अध्यक्ष बना दिया गया था। उस वक्त भी मामला यही था कि अखाड़े से कोई पदाधिकारी सालों से नहीं हुआ है। हालांकि बाद में कुछ विरोध के बीच सतों में सुलह हो गई और सभी एक मंच पर आ गए। परिषद अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ही बने रहे।
वहीं वर्ष 2013 में महंत नरेंद्र गिरि को जब अध्यक्ष बनाने की बात हुई थी तो भी महंत ज्ञानदास ने इसका विरोध किया था। इस बार मामला बढ़ता दिख रहा था। लेकिन अखाड़ों की आपसी सूझबूझ के बाद मामला थम गया और फिर महंत नरेंद्र गिरि को ही अध्यक्ष माना गया।
वर्ष 2019 में हुआ चुनाव निविर्रोध रहा था। लेकिन महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद विवाद फिर गहराने लगा। इस बार दिगंबर अखाड़े ने बगावत कर दी। हरिद्वार कुम्भ में जमीन के मामले पर दिगंबर अखाड़े एक साथ परिषद से अलग हो गए। बताया जा रहा है कि जिस जमीन को दिगंबर अखाड़े मांग रहे थे वो वास्तव में उत्तर प्रदेश सरकार की जमीन थी और प्रदेश सरकार ने उसे देने से इंकार कर दिया था। लेकिन दिगंबर अखाड़ों को यह बात नहीं पची और विरोध कर दिया। इसके बाद से ही परिषद दो हिस्सों में बंट सी गई थी। 20 अक्तूबर को इस विवाद पर अखाड़ों ने मुहर लगा दी, जब हरिद्वार में दिगंबर अखाड़ों ने एक मंच पर आकर उदासीन अखाड़ों का समर्थन जुटा लिया। महानिर्वाणी अखाड़ा पूर्व से ही इस बात पर अडिग था कि उसे पदाधिकारी चाहिए। ऐसे में महानिर्वाणी अखाड़ा भी साथ हो गया और सात अखाड़े एक मंच पर आ गए। फिलहाल अगली बैठक में स्थितियां और स्पष्ट हो जांएगी।
बैठक औचित्यहीन, गलत तरीके से हुई: देवेंद्र शास्त्री
निरंजनी अखाड़े में सोमवार की बैठक के ठीक बाद निर्मल अखाड़े के महंत देवेंद्र शास्त्री ने बयान जारी कर बैठक को औचित्यहीन बताया। जारी बयान में उन्होंने कहा कि हरिद्वार में हुई बैठक ही संवैधानिक है। प्रयागराज की बैठक में छह अखाड़े ही थे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रयागराज की बैठक में अखाड़ों को तोड़ने का प्रयास किया गया। निर्मल अखाड़े से जो पदाधिकारी रेशम सिंह की बैठक में शामिल हुए हैं वो अखाड़े की ओर से बैठक में शामिल होने के लिए योग्य नहीं हैं। उन्हें अखाड़े ने ऐसी जिम्मेदारी नहीं दी है।
महंत देवेंद्र शास्त्री ने यहां तक आरोप लगाया कि महंत रेशम सिंह भगवा चोला में गृहस्थ हैं। उन्होंने कहा कि इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। वहीं बैठक में शामिल महंत रेशम सिंह ने पंजाब की एक अदालत का हवाला देकर कहा कि दस्तावेज बताते हैं कि वह अखाड़े के श्रीमहंत हैं। ऐसे में सभी आरोप बेबुनियाद हैं।