लखनऊ में अस्पताल की मान्यता के लिए मजदूरों को जबरिया मरीज बनाने का अजब मामला सामने आया है। एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल ने 125 से ज्यादा मजदूरों को बंधक बना लिया।
मजदूरों को इलाज के लिए बेड पर लिटाया। ग्लूकोज के लिए जैसे ही वीगो हाथ में लगाने की कवायद स्वास्थ्य कर्मियों ने शुरू की, मजदूर भड़क उठे। हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान एक मजदूर अस्पताल के कर्मचारियों को चकमा देकर भाग निकला।
उसने पुलिस को सूचना देकर मामले का भंडाफोड़ कर दिया है। इस सूचना पर डीसीपी सोमेन वर्मा, एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा, एसीपी आईपी सिंह फोर्स के साथ वहां पहुंच गये और डरे सहमे लेटे मजदूरों को मुक्त कराया।
पुलिस ने अस्पताल के ज्वाइन्ट डायरेक्टर डॉ.शेखर सक्सेना को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में अस्पताल के ज्वाइन्ट डायरेक्टर व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ ठाकुरगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से अस्पताल को सील करने की संस्तुति की है।
ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में एमसी सक्सेना ग्रुप ऑफ कॉलेज है। दुबग्गा में इससे संबद्ध डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल है। घटना मंगलवार की है। हाफ डाला में इन मजदूरों को अस्पताल लाया गया। बाद में सभी को अलग-अलग बेड पर लेटा दिया गया। इसके बाद कर्मचारी ने कुछ मजदूरों को वीगो लगाने के लिए कहा। कुछ लोगों को इंजेक्शन लगाना शुरू कर दिया।
भड़के मजदूर भागने लगे तो बंधक बना लिया
बिना बीमारी के इलाज करने पर मजदूर भड़क उठे। मजदूरों ने कहा कि हमें तो यह कहा गया था कि सिर्फ बेड पर लेटना है। हम इलाज कराने नहीं आए हैं। यह सुनकर डॉक्टर-कर्मचारी भौचक रह गए। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें तीन वक्त का भोजन देने के अलावा रोजाना 500 रुपये मजदूरी के नाम पर देने को कहा गया था।
डॉक्टरों ने कहा कि इंजेक्शन लगवाना पड़ेगा। बेवजह के इलाज से मजदूर घबरा गए। मजूदरों ने भागने की कोशिश की। तो कर्मचारियों ने मुख्य गेट बंद कर दिया। मजदूर बंधक बना लिए गए।
एक मजदूर भाग निकला तो खुलासा हुआ
सीतापुर निवासी अंशू नामक मजदूर करीब तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहा। उसने पुलिस को इस मामले की सूचना दी तो सब हैरान रह गये। ठाकुरगंज समेत कई थानों की पुलिस शाम करीब चार बजे मौके पर पहुंची। हॉस्पिटल से मजदूरों को रिहा कराया। डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह व डॉ. केडी मिश्रा भी अस्पताल पहुंचे। पूरी जानकारी जुटाई।
मान्यता के लिये किया ये सब
अधिकारियों का कहना है कि मान्यता के लिए मरीजों की आवश्यकता होती है। इस मानक को पूरा करने के लिए ठेके पर अलग-अलग इलाकों के मजदूरों को लाया गया। ताकि निरीक्षण पर आने वाली टीमों को भर्ती मरीज दिखाए जा सके।
प्रशासनिक अधिकारी डॉ. लव शेखर के अनुसार अस्पताल की तरफ से गांव में कॉडिनेटर तैनात हैं। वह इन लोगों को लेकर आए थे। अस्पताल के डॉक्टरों को इन्हें मरीज बताया गया। डॉक्टरों ने मरीज समझकर इलाज शुरू कर दिया। किसी मरीज का जबरन इलाज नहीं किया गया। गलतफहमी से पूरा मामला जटिल हुआ है।
डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह ने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मान्यता के लिए मजदूरों को मरीज बनाया गया। पूरे मामले की तफ्तीश की जा रही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
डीसीपी पश्चिमी सोमेन वर्मा ने कहा कि एमसी सक्सेना कॉलेज में मजदूरों को जबरन भर्ती कर इलाज किए जाने की सूचना मजदूर अंशू कुमार ने दी थी। जिसकी सूचना पर पुलिस और सीएमओ लखनऊ की टीम पहुंची थी। जांच में पाया गया कि मजदूरों को 500 रुपये देकर अस्पताल लाया गया था। जहां उनका बिना किसी बीमारी के इलाज किया जाने लगा। एमसी सक्सेना कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।