akhilesh yadav congress

कांग्रेस के मन में क्या है… कांग्रेस नेता राहुल गांधी उसकी टीम की क्या चाहत है… मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने जो किया… वो एक तरह से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विश्वास के साथ धोखा है… कांग्रेस मध्यप्रदेश में बड़ी पार्टी है… इंडिया की मजबूती के लिए उसे बस अखिलेश की एक छोटी सी मांग पूरी करनी थी… लेकिन उन्होंने वो किया जो नहीं करना चाहिए… उससे ज्यादा राहुल गांधी की ओर से वो कदम उठाया गया…जो उनकी ओर उठाए गए एक ऐसे मुद्दे के साथ विश्वासघात है… कथनी और करनी में मध्यप्रदेश ये फर्क दिखने लगा… इस मामले में सपा की राजनीति कांग्रेस औऱ बीजेपी भारी पड़ गई… इस रिपोर्ट को आखिर तक देखिए पूरी तरह से समझ जाएंगे… सबसे पहले कांग्रेस से सपा ने जो उम्मीद की थी… उसके साथ क्या हुआ जान लीजिए….


दरअसल लोकसभा चुनाव के लिए बने INDIA की दो पार्टियों की सोच में दो महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी फिलहाल मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आ गए… विधानसभा सीटों के बंटवारे और गठबंधन के कवायद के बीच समाजवादी पार्टी ने 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं…इसमें 4 सीटें ऐसी हैं, जिस पर कांग्रेस ने भी अपने चेहरे उतारे…सपा ने 15 अक्टूबर को जो सूची घोषित की है, इसमें मेहगांव से तो अपना प्रत्याशी वापस ले लिया है, लेकिन पहले घोषित पांच सीटों के साथ ही तीन सीटों पर और दावा ठोक दिया है… सपा ने सिरमौर से लक्ष्मण तिवारी, बिजावर से मनोज यादव, कटंगी से महेश सहारे और सीधी से रामप्रताप सिंह यादव को उम्मीदवार घोषित किया है… अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के सपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की…ये बैठक कांग्रेस के 144 उम्मीदवारों की सूची आने के बाद हुई… कांग्रेस ने अपनी सूची में भांडेर, राजनगर, बिजावर और कटंगी विधानसभा भी उम्मीदवार घोषित कर दिए… जबकि सूत्रों की मानें तो सपा जिन 8 सीटों पर लड़ना चाहती थी, उसकी सूची कांग्रेस नेतृत्व को दी जा चुकी थी…भांडेर और राजनगर से सपा पहले ही उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी, जबकि 2018 में बिजावर में सपा जीती थी…ये बात सपा नेतृत्व को नागवार गुजरी जिसके बाद उन्होंने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए… इन चार सीटों पर अबसपा और कांग्रेस उम्मीदवार दोनों आमने-सामने हैं, उसमें दोनों के दावे की अपनी जमीन है…


कांग्रेस और सपा के चार सीटों पर आमने-सामने आने के बाद अब नजर इस पर है कि दोनों ही दलों में खटास बढ़ेगी या बात बनेगी… सपा ने जिन 8 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें दो कांग्रेस के पास और पांच भाजपा के पास हैं.. एक सीट पर उसका विधायक था… चार सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही जबकि दो सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर रही… इसमें एक निवाड़ी सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा है… इसलिए अभी नजर कांग्रेस की अगली सूची पर भी है कि क्या वो सपा के दावेदारी वाली बाकी चार सीटों पर भी उम्मीदवार उतारेगी?… अब इससे आगे एक ऐसे मुद्दे पर बात जो कांग्रेस नेता राहुल गांधी का इस वक्त एक फेवरिट मुद्दा है…राहुल गांधी को पिछले कुछ दिनों से OBC की बहुत चिंता हो रही है.. लेकिन देखने में तो अब ये लग रहा है कि ये कोशिश सिर्फ वोट लेने की है…मध्य प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी की है… इस लिस्ट में 144 कैंडिडेट हैं… इनमे पिछड़े समाज के उम्मीदवारों की कितनी संख्या है… उसे जानिए…


सवर्णों की संख्या 53 है… जिसमें राजपूत जाति से आने वाले 25 उम्मीदवार है… ब्राह्मणों की संख्या 15 और अन्य सवर्णों की संख्या 13 है… जबकि एससी-एसटी की संख्या 52 और पिछड़े समाज से आने वाले नेताओं की संख्या 39 है… अब यहां गौर करने लायक है कि सवर्णों की आबादी मध्य प्रदेश में मुश्किल से 15% है जबकि OBC की आबादी 50% से भी ज़्यादा है… 15 फीसदी को 52 सीट जबकि 50 फीसदी को 39 सीट… तो क्या कहा जाए…कांग्रेस का सामाजिक न्याय यही है… अब एक नजर सपा की ओर से घोषित उम्मीदवारों की लिस्ट के बारे में जान लेते है… सपा ने 8 उम्मीदवार उतारे… जिनमे से 5 OBC समाज आने वाले उम्मीदवार है… इनमे 3 यादव, 1 कुर्मी और 1 अन्य OBC है…3 दलित और आदिवासी और 1 सवर्ण जो कि ब्राह्मण हैं


तो साफ है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस पीडीए फॉर्मूले की बात कर रहे हैं… उसे अपनी सियासी जमीन पर अमल में भी ला रहे हैं… अखिलेश एक तरफ से अपने फैसले से साबित कर रहे हैं… मान कर चल रहे हैं… अगर दलित आदिवासी पिछड़ा का वोट लेना है तो उनका हक़ भी देना पड़ेगा…