आगरा में कोरोना संक्रमण की रफ्तार से प्रशासन हलकान है । इसके साथ ही प्रशासन में फिर उस स्थिति को पाने की बेताबी है जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासन की पीठ थपथपाई थी । 12 अप्रैल तक ‘आगरा मॉडल’ की चर्चा हो रही थी अब वह सवालों के घेरे में है । पिछले 18 दिनों से कोरोना की चेन को तोड़ने में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो हुआ है ।
आइए इसे ऐसे समझते हैं पिछले 24 घंटे में आगरा में 46 नए मामले सामने आए, जिसकी वजह से संक्रमित मरीजों की संख्या 479 पहुंच गई है । जिले में अभी तक 15 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो चुकी है । जिन 46 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उसमें एक LPG सिलेंडर की डिलीवरी करने वाला है ।
वहीं 108 एम्बुलेंस के कॉल सेंटर में कार्यरत कर्मचारी भी शामिल है । इससे पहले भी कॉल सेंटर के एक कर्मचारी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. अब कॉल सेंटर को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर, प्राइवेट हॉस्पिटल का कर्मचारी, डायलिसिस सेंटर में काम करने वाला चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व टेक्नीशियन और हरिपर्वत क्षेत्र के आठ सब्जी वाले भी पॉजिटिव मिले हैं ।
आगरा में सबसे पहले कोरोना वायरस का मामला तब सामने आया था जब इटली से लौट शू कारोबारी के परिवार वाले संक्रमित पाए गए थे । जिसके बाद एक्टिव मोड में आए जिला प्रशासन ने इलाके को सील कर संक्रमितों को ट्रेस करना शुरू किया । नतीजा यह रहा कि अप्रैल की शुरुआत तक संक्रमितों की संख्या 12 पर ही रुकी हुई थी । और इसी के बाद आगरा मॉडल की चर्चा देश भर में हुई । लेकिन अभी की वास्तविकता यही है कि जिला प्रशासन तमाम सख्ती के बाद भी संक्रमण की चेन तोड़ने में नाकामयाब रहा है ।