सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना को बांटने वाले चीन पर भारत सरकार द्वारा भरोसा करने पर एतराज जताया है । सवाल उठाए हैं । चीन से मंगवाई गई कोरोना जांच की किट में जब खामियां सबके सामने आम हुई तो अखिलेश के सवाल का वास्ता भी उन्हीं जांच किटों से हैं । अभी अभी तो भारत चीन की धोखेबाजी का शिकार बना था, फिर से उस पर भरोसा किया गया । सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नजर में ये धोखा है ।
अखिलेश ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते ट्विट किया…
चीन से आयातित रैपिड टेस्ट किट को बिना गुणवत्ता की जांच किए प्रयोग में लाना जनता के साथ धोखा है। अब टेस्ट स्थगित करने वाली ICMR को इस विषय पर पहले ही चेतावनी देनी चाहिए थी। इतनी बड़ी लापरवाही पर सरकार तुरंत स्पष्टीकरण देकर बताए कि पहले जो जांच हुई हैं, उनके परिणाम कितने सटीक थे।
चीन से आयातित रैपिड टेस्ट किट को बिना गुणवत्ता की जाँच किए प्रयोग में लाना जनता के साथ धोखा है. अब टेस्ट स्थगित करनेवाली ICMR को इस विषय पर पहले ही चेतावनी देनी चाहिए थी. इतनी बड़ी लापरवाही पर सरकार तुरंत स्पष्टीकरण देकर बताए कि पहले जो जाँच हुई हैं, उनके परिणाम कितने सटीक थे.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 22, 2020
ये अखिलेश का सरकार पर सीधा वार है । अभी हाल ही में चीन से आई पीपीई किट पर भी सवाल तो उठे थे । चीन पर आरोप लग रहे थे उसने बेहद ही घटिया पीपीई किट भेजी है । सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में उसके पीपीई किट की आलोचना हो रही है । बावजूद इन सब के भारत ने एक बार फिर चीन पर भरोसा किया और रैपिड टेस्टिंग किट मंगा लीं… अब पता चल रहा है कि चीन से आई रैपिड टेस्टिंग किट में भी गड़बड़ी है।
रैपिड टेस्टिंग किट में गड़बड़ी की शिकायत सबसे पहले राजस्थान ने की । इसके बाद से ही आईसीएमआर ने एंटीबॉडी रैपिड टेस्टिंग पर रोक दो दिन के लिए रोक लगा दी गई । ये रोक सिर्फ राजस्थान में ही नहीं, बल्कि बाकी राज्यों में भी लगाई गई है । इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च सभी राज्यों को कहा है कि वह दो दिन के लिए एंटीबॉडी रैपिड टेस्टिंग रोक दें । फिलहाल आईसीएमआर इस मामले में छानबीन कर रहा है, क्योंकि कई राज्यों ने शिकायत की है कि इसके नतीजों में 6 फीसदी से 71 फीसदी का उतार-चढ़ाव दिख रहा है । आईसीएमआर ने कहा है कि ये बिल्कुल भी स्वीकार योग्य नहीं है और हो सकता है कि किट को बदलने की जरूरत पड़े ।
ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि जिस चीन ने खराब पीपीई किट भेजी थीं, आखिर उसी चीन पर रैपिड टेस्टिंग किट के लिए भरोसा क्यों किया गया? और अगर इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं था तो टेस्टिंग से पहले रैपिड टेस्टिंग किट की जांच क्यों नहीं की गई?