modi rahul

बिहार में जाति जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद सभी दलों की धड़कनें तेज हो गई हैं… नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई जिसमें पता चला कि बिहार में करीब 64 प्रतिशत आबादी पिछड़ी जातियों की है… वोट बैंक के लिहाज से यह सबसे बड़ा खेमा है जिस पर डोरे डालने की कोशिश में ही जाति जनगणना करवाई गई है… उधर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के बीच गहरे पैठ बना चुकी बीजेपी की मुश्किल ये है कि वो इस वर्ग के जिन मतदाताओं को अब तक साध नहीं सकी है, उन्हें नए विपक्षी गठबंधन इंडिया के पीछे एकजुट होने से कैसे रोके? पार्टी ये सोचकर भी छटपटा रही होगी कि कहीं उसका साथ निभा रहे पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का छोटा सा हिस्सा भी जाति जनगणना के जाल में फंस गया तो अगले लोकसभा चुनाव का परिणाम बहुत अलग हो सकता है… यही वजह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस आशंका की परछाई को भी बीजेपी से दूर रखने की कवायद में जुट गए हैं… उन्होंने छत्तीसगढ़ की एक रैली में पूर्व की यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान दुहराकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया…


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के जगदपुर में आयोजित चुनावी रैली में कांग्रेस पर जोरदार प्रहार किया… उन्होंने कहा, कल से कांग्रेस ने एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है… ये कहते हैं- जितनी आबादी, उतना हक… मैं कहता हूं इस देश में अगर सबसे बड़ी कोई आबादी है तो वह गरीब है, इसलिए गरीब कल्याण ही मेरा मकसद है. प्रधानमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने लोगों को पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का वो बयान याद दिला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है… पीएम बोले,


अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि पहला हक किसका होगा। कांग्रेस की ये बातें सुनकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह जी क्या सोच रहे होंगे?
पीएम मोदी का जो एक सवाल कांग्रेस को सबसे ज्यादा उहापोह में डालेगी, वह है, ‘क्या कांग्रेस अब मुसलमानों के अधिकारों को कम करना चाहती है?’ पीएम ने ये भी कहा कि अगर आबादी के हिसाब से ही देश के संसाधनों का बंटवारा होगा, तो सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदू आगे बढ़कर अपना सारा हक ले लें… अब इसपर कांग्रेस प्रवक्ता ने एक यू्ट्यूब चैनल का हवाला देकर पीएम मोदी को जवाब दिया…

सुप्रिया श्रीनेत कहती है… प्रधानमंत्री मोदी बेहद बेशर्मी से झूठ बोलते हैं – असल में वो ख़ुद फेक न्यूज़ फैलाने में सबसे आगे हैं! भाजपा झूठ की एक फैक्ट्री है, झूठ बोलो, खूब बोलो, ज़ोर से बोलो और ये ट्रेनिंग ख़ुद मोदी जी देते हैं… इनके ट्रोल बन चुके सांसद, मंत्री और बददिमाग़ प्रवक्ता इनसे दो हाथ आगे निकलने की फ़िराक़ में रहते हैं….डॉक्टर मनमोहन सिंह जी के एक वक्तव्य के बारे में PM मोदी ने आदतन झूठ बोला. इसीलिए डाक्टर साहब ने जो कहा था – वो नीचे अंकित कर रही हूँ क्योंकि आपको तो सच जानने का हक़ है…


मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएँ स्पष्ट हैं… कृषि, सिंचाई, जल संसाधन, स्वास्थय, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी विकास के ढाँचे में महत्वपूर्ण निवेश और सामान्य बुनियादी ढाँचे में आवश्यक सार्वजनिक निवेश की ज़रूरत है…साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम हो… अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों के लिए कार्यक्रम हों। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की भी ज़रूरत है… हमें नई योजनाएँ लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का मुसलमानों का भी उत्थान हो सके…इन सभी का संसाधनों पर पहला हक़ है… केंद्र के पास बहुत सारी ज़िम्मेदारियों हैं और संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों का समावेश करना होगा…


ये वकतव्य डॉक्टर मनमोहन सिंह साल 12 दिसंबर 2009 को दिया था… बहरहाल प्रधानमंत्री के बयानों से ये समझना मुश्किल नहीं है कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की मिलीजुली खिचड़ी में जाति का जहर डालने की जो कोशिश की, उसकी काट में बीजेपी ने हिंदू बनाम मुसलमान का विमर्श आगे बढ़ाने की ठान ली है… बिहार जैसे प्रदेश में जहां पहले लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में 32 वर्षों से पिछड़ों का ही राज हो, वहां आज भी पिछड़ों के पिछड़ा रह जाने का राग अलापा जाए तो सवाल इन्हीं शासकों पर खड़े होंगे… ऐसे में संभव है कि फायदे की चाह में करवाई गई जाति जनगणना कहीं बीजेपी विरोधियों के गले की फांस न बन जाए… आखिर, खुद पिछड़े वर्ग से आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले नौ सालों में पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को व्यापक रूप से बीजेपी के साथ जोड़ने में सफलता हासिल की है…


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जब यह कह रहे हैं कि सबसे बड़ी आबादी गरीबों की है तो इसके पीछे भी बहुत बड़ा संदेश छिपा है… वो यह बता रहे हैं कि गरीब-गरीब होता है, वो अगर जातियों में बिखर गया तो फिर उसके साथ वही होगा जो लंबे समय से होता आया है- पिछड़े, गरीब की रट लगा-लगाकर सत्ता सुख भोगते रहो… पीएम ने पिछड़े वर्ग के मतदाताओं ही नहीं, हर जाति-धर्म के गरीबों को बीजेपी से जोड़ने में बहुत कामयाब रही है तो इसका श्रेय उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जाता है… सवाल है कि क्या महज जाति जनगणना करवा देने से वह लाभार्थी वर्ग पाला बदल लेगा? सवाल ये भी है कि क्या जाति जनगणना का तीर निशाने से बिल्कुल चूक जाएगा? सवाल है कि क्या पीएम मोदी की गरीब-पिछड़े हितैषी की छवि विपक्ष की इस कवायद पर भी भारी पड़ जाएगी?