क्या अखिलेश-जयंत के बीच सबकुछ ठीक है ?
कर्नाटक जयंत गए, लेकिन अखिलेश नहीं गए… तो क्यों नहीं गए ?
क्या अखिलेश को ममता की दोस्ती प्यारी है… और जयंत को राहुल में पीएम का चेहरा दिखता है ?
क्या चौड़ी हो रही हैं अखिलेश और जयंत के बीच दरारे ?



ऐसे तमाम सवाल है… जिसका जवाब ढूंढने के लिए सियासी गलियारे में बैठे सियासी डिकोडर, डिकोड कर रहे हैं… तो परिणाम जो निकलकर आ रहा है… विश्लेषण जो हो रहा है… उससे तो यही निकलकर सामने आ रहा है… दो दोस्त एक दूसरे से दूर हो रहे हैं… एक दोस्त को ममता का साथ पसंद है… तो दूसरे को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजनीति प्यारी लगने लगी… जैसे ममता बनर्जी कर्नाटक में सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं गई… वैसे अखिलेश भी वहा नदारद रहे… लेकिन उन्ही के गठबंधन के सहयोगी जयंत चौधरी उस शपथग्रहण समारोह में नजर आए… तो सवाल उठने लगे… क्या चौड़ी हो रही है… अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच की दरारे…
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी के साथी एक-एक करके उनका साथ छोड़कर जाते रहे लेकिन जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली आरएलडी लगातार अखिलेश के साथ मजबूती से बनी रही… लेकिन अब ऐसा लगता है कि आरएलडी भी सपा से अलग रास्ता अख्तियार करने की तैयारी में है… सियासी गलियारे में जो चर्चा हो रही है… उसके मुताबिक जयंत चौधरी की पार्टी में इसे लेकर सुगबुगाहट भी होने लगी है… आरएलडी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन के छोटे दलों का सम्मान नहीं कर रही है… सपा मुखिया अखिलेश यादव पर आरएलडी को धमकाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं… इसके अलावा महत्वपूर्ण फैसलों में गठबंधन दल की राय न लेने को लेकर भी अखिलेश से आरएलडी नाराज है… बताया जा रहा है कि चौधरी चरण सिंह के पदचिह्नों पर चलने वाली यह पार्टी नए सियासी विकल्पों की तलाश में कांग्रेस का भी दरवाजा खटखटा रही है…
समाजवादी पार्टी और आरएलडी ने लगातार दावा किया है कि उन दोनों का गठबंधन काफी मजबूत है… साल 2019 से दोनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ रही हैं… इस बीच मायावती की बहुजन समाज पार्टी से भी सपा का गठबंधन हुआ लेकिन चुनाव में पराजय के बाद हाथी ने अलग रास्ता अपना लिया… बीते यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने राज्य के छोटे दलों को एक छत के नीचे लाने की कोशिश की और ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा और महान दल के साथ गठबंधन किया… दोनों ही दल सपा का साथ छोड़कर जा चुके हैं…
दावा किया जा रहा है कि सपा की आरएलडी के साथ भी तनातनी चल रही है और जयंत चौधरी की पार्टी सपा से अलग किसी अन्य विकल्प पर विचार कर रही है… दोनों पार्टियों के बीच दरारें पहली बार निकाय चुनाव के दौरान दिखाई दीं.. हालिया उतर प्रदेश निकाय चुनाव में टिकट वितरण के दौरान दोनों पार्टियों में दरार के पहले संकेत दिखाई दिए थे… विवाद का केंद्र थी मेरठ की मेयर सीट, जिस पर रालोद की नजर थी… इस सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा करते समय अखिलेश यादव ने रालोद से सलाह नहीं ली और सीमा प्रधान को पार्टी का उम्मीदवार बना दिया… सीमा सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी हैं… बताया जाता है कि आरएलडी यहां से अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती थी…
इसके अलावा एक और घटना जिसने दिखाया कि जयंत और अखिलेश के बीच सब कुछ ठीक नहीं है, वो निकाय चुनाव के दौरान सपा का 2 मई का चुनावी कार्यक्रम था, जिसमें आरएलडी नेता जयंत चौधरी सपा मुखिया अखिलेश के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। हालांकि, उस समय आरएलडी ने सफाई दी थी कि अखिलेश के साथ आरएलडी के अन्य नेता तो मौजूद थे… जयंत भी 2 मई को अखिलेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे.. इसके अलावा जयंत कर्नाटक में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में भी पहुंचे थे, जबकि अखिलेश ने इससे दूरी बनाई थी…
दोनों ही पार्टियां ये दावा कर रही थीं कि गठबंधन काफी मजबूत स्थिति में है लेकिन फिर भी निकाय की कई सीटों पर दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे…कहा तो ये भी जा रहा है… आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं.. वो अपने विकल्प तलाश रहे हैं और अगर सब ठीक रहा तो आने वाले लोकसभा चुनाव में आरएलडी, कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी को एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते हुए देखा जा सकता है…
सवाल है कि सपा से अलग होकर आरएलडी किसके साथ जा सकती है? इसका जवाब पार्टी के ही तमाम नेता देते हैं… माना जा रहा है… जयंत चौधरी की कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से बात चल रही है। कई मौकों पर मीटिंग में सचिन पायलट भी शामिल रहे हैं…वहीं आरएलडी और कांग्रेस के बीच राजस्थान में सीट बंटवारा भी हुआ है… भरतपुर से पार्टी का एक विधायक भी है… इसके अलावा कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री बने सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में जयंत चौधरी का पहुंचना भी बहुत कुछ कहता है… ऐसा इसलिए भी क्योंकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने व्यस्तता का बहाना देकर समारोह से दूरी बना ली थी.. वैसे आरएलडी और सपा के बीच दरारों को सपा ने सिरे से खारिज किया है…लेकिन दिख तो कुछ और रहा…