कभी मुलायम सिंह के थे करीबी… बाद में अखिलेश के बने खास… लेकिन जब यूपी में मोदी-योगी का हुआ राज तो बदल लिया अपना अंदाज
बीजेपी ने यूपी में राज्यसभा चुनाव के लिए 7 वें के बाद 8 प्रत्याशी के तौर पर एक खिलाड़ी को उतरा… जो अखिलेश के हर दांव से हैं वाकिफ
अखिलेश के घर का ‘भेदी’ अब बीजेपी के लिए बना खास… बिगाड़ रहे सपा का खेल… जानें कौन हैं संजय सेठ
अखिलेश को राजा भैया से आस !… राजा भैया जरूर देंगे साथ… डील हो चुका है… बात हो गई… राजा भैया अखिलेश से दोस्ती के लिए कुछ भी करेंगे…
सपा के अंदरखाने उथल पुथल क्या हुआ… बीजेपी का कॉन्फिंडेंस राज्यसभा चुनाव के लिए यूपी में हाई हो गया… स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी पटेल के बोलबचन से बीजेपी को आईडिया मिल गया… कल तक जो बीजेपी ये मानकर चल रही थी… यूपी की 10 राज्यसभा सीटों में सिर्फ 7 सीटों पर वो कब्जा जमा सकती है… अब उसे लगने लगा… 7 नहीं वो तो 8 सीटें जीत सकती है… लेकिन इस दौरान राजा के भैया खेमे से एक ऐसी खबर आयी… अगर सबकुछ ठीक रहा… तो राजा भैया और अखिलेश यादव के बीच कड़वाहट कम हो जाएगी… दोस्ती मजबूत हो जाएगी… लेकिन ये सबकुछ राजा भैया पर डिपेंड है कि वो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विश्वास को जीतने के लिए क्या करते हैं… वैसे राजा भैया कर सकते हैं… अगर वो चाहे तो अखिलेश से अपनी दोस्ती में पड़ी गांठों को खोल सकते हैं… जो खबर सामने आ रही है… उससे तो ऐसा लग रहा है… राजा भैया, अखिलेश के लिए मोदी-योगी से इस बार पंगा ले सकते हैं… वैसे कईयों को इस बात पर यकीन नहीं होगा… समझ में नहीं आएगी… जो राजा भैया में सीएम योगी के चरण को छूने में सार्वजनिक जगहों पर परहेज नहीं करते… जिस राजा भैया ने मोदी-योगी की मौजूदा समय में खूब तारीफ की है…वो कैसे अखिलेश का साथ दे सकते हैं… राजनीति में कुछ भी संभव है… राजनीति में जैसा दिखता है… जरूरी नहीं वैसा ही हो… इसे समझने के लिए इतिहास के पन्नों को उलटेंगे तो पाएंगे… एक ऐसा ही दौर था… जब राजा भैया, मुलायम परिवार के करीब हुआ करते थे… उसी दौर में राज्यसभा चुनाव हुआ… मायावती के साथ अखिलेश के सियासी संबंध प्रगाढ़ हुए… अखिलेश ने मायावती को समर्थन करने का ऐलान किया… इसके लिए मतदान वाले दिन से पहले अखिलेश सपा विधायकों समेत राजा भैया को डिनर पर पांच सितारा होटल में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया… राजा भैया अखिलेश की ओर से आयोजित उस डिनर वाली पार्टी में शामिल हुए… लेकिन जिस दिन राज्यसभा चुनाव का मतदान हुआ… उस दिन उन्होंने मायावती के विधायक के खिलाफ वोट कर दिया… तब से राजा भैया और अखिलेश के बीच सियासी संबंध बिगड़े हुए हैं… अब राजा भैया के पास उस बिगड़े हुए संबंध को सुधारने का मौका है… प्रतापगढ़ और उसके आसपास के जिलों के रहने वाले सपाईयों के एक खेमे का दावा है… राजा भैया इस बार इस विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का साथ जरूर देंगे… इसके बारे में तर्क दिया जा रहा है… राजा भैया की लोकतांत्रिक जनसत्ता पार्टी के दो विधायकों का झुकाव सपा की ओर है… अगर राजा भैया की ओर से इस बार अखिलेश को साथ दे दिया गया… तो अखिलेश के तीनों के तीनों उम्मीदवार जीत जाएंगे
चलिए बीजेपी के उस कॉन्फिंडेंस से वाकिफ कराते हैं जिसकी वजह से उन्होंने 8वें प्रत्याशी के तौर पर संजय सेठ को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है… 8वें प्रत्याशी के तौर पर संजय सेठ ने पर्चा भर दिया है… ऐसे में अब यूपी में 1 राज्यसभा के लिए वोटिंग होगी… इसी की वजह से कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश का राज्यसभा चुनाव काफी दिलचस्प होता जा रहा है… बीजेपी ने सपा के दांव से ही सपा को चित करने की रणनीति बनाई है… बीजेपी ने राज्यसभा के लिए अपने आठवें उम्मीदवार के तौर पर संजय सेठ के नाम का ऐलान कर समाजवादी पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है. राज्यसभा की 10वी सीट के लिए बीजेपी और सपा के बीच शह-मात का खेल होगा…. आपको बता दें कि बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार संजय सेठ एक समय मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के करीबी रहे हैं… संजय सेठ उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी हैं…. सपा ने ही उन्हें पहली बार सला 2016 में राज्यसभा भेजा था और समाजवादी पार्टी के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं… इससे संजय सेठ और सपा के रिश्तों को समझा जा सकता है… हालांकि सूबे की सियासी समीकरण बदल जाने के बाद संजय सेठ ने सपा छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया…. अब वो सपा के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतर गए हैं… संजय सेठ के सपा के शासन के दौरान यूपी ओलंपिक एसोसिएशन, यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और क्रेडाई यूपी के अध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके हैं… संजय सेठ 10 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे… वे शालीमार कॉर्प्स के सह संस्थापक हैं
बता दें यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में BJP के 252, सपा के 108 और कांग्रेस के दो सदस्य हैं… सपा और कांग्रेस राज्य में विपक्षी दल हैं और लोकसभा चुनाव में BJP का मुकाबला करने के लिए विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में भागीदार भी हैं…विधानसभा में BJP के सहयोगी अपना दल सोनेलाल के 13 जबकि निषाद पार्टी के छह सदस्य हैं…. रालोद के नौ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के छह विधायक हैं… इस तरह एनडीए के 286 विधायक होते हैं… जबकि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो और बसपा का एक सदस्य है… अब मतदान 27 फरवरी को होगा और नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे…. राज्यसभा की हर सीट पर जीत के लिए दोनों दलों को 37-37 मतों की आवश्यकता होगी… अगर पल्लवी पटेल मतदान नहीं करती है… ऐसी स्थिति में सपा को दो विधायकों की जरूरत पड़ेगी… और जरूरत राजा भैया की पार्टी 2 विधायकों के जरिए पूरा कर सकती है… अब सबकुछ राजा भैया पर डिपेंड क्या वो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से फिर से वो पुराना वाला रिश्ता चाहते हैं… या फिर कुछ और