Kanshi Ram की रणनीति के साथ Ambedkar के गांव से राजनीति | देखिए..अखिलेश यादव के चक्रव्यूह में कैसे फंस गई बीजेपी
कांशीराम के बाद अखिलेश का नया दांव…सपा नेताओं की मूछों को देगी ताव !
निकाय चुनाव में अगर फॉर्मूला हुआ सफल…अखिलेश को मिलेगा जीत का फल !
निकाय चुनाव से ट्रायल की तैयारी…2024 में करेंगे अखिलेश यादव रणभेरी !
मायावती की वोटबैंक में बीजेपी की सेंध..अब बीजेपी की वोटबैंक में अखिलेश की सेंध !
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास एक मौका है…जिससे चूकना नहीं चाहते…अखिलेश जानते हैं कि…बीजेपी को अगर कोई परेशान कर सकता है…तो वो नाम है अखिलेश यादव….क्योंकि यूपी में कोई ऐसी पार्टी नहीं जो बीजेपी को टक्कर दे सके…ऐसे में निकाय चुनाव का आगाज हो चुका है तो अखिलेश ने जिम्मेदारी संभाल रखी है…और एक बड़े सूखे को खत्म करने की तैयारी में हैं…अखिलेश यादव का मिशन है कि…किसी भी कीमत पर अपने आप को साबित करेंगे…कि सपा की हरा सकती है…लेकिन जीत कैसी होगी…और किस तरह से होगी ये समीकरण बनने लगा है..अखिलेश यादव के पास मौके तो बहुत आए लेकिन हर बार नए नए दांव पेंच को आजमाया..,लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव वाला दांव थोड़ा कामयाब भी हुआ…जिससे सपा का वोट फीसदी बढ़ा और सीटें भी…अब अखिलेश यादव एक बार उसी रणनीति के तहत राजनीति पर उतरे हैं…जो किसी ने नहीं सोचा था…अखिलेश की राजनीति का हर दांव पेच समझने के लिए आपको पूरी रिपोर्ट विस्तार से देखनी होगी…सपा मानती है कि..पिछले निकाय चुनाव से कई सबक सीख चुकी है..ऐसे में इस बार सबक सीखाने की तैयारी है….बीएसपी का कमजोर होना बीजेपी के लिए फायदेमंद हो रहा था…इसिलिए अब अखिलेश ने दलित वोटबैंक का दांव चल दिया..जिससे बीजेपी को डरी ही है बल्कि बीएसपी भी परेशान है.,.,,कि अखिलेश यादव उनके साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं….अखिलेश ने साफ कह दिया है कि..किसी से गठबंधन नहीं…अकेले अपने दम पर चुनावी ताल ठोंकेंगे…ऐसे में अखिलेश यादव का मिशन साफ साफ झलकने लगा है कि..वो क्या चाहते हैं..और किसलिए मायावती को परेशान कर रहे हैं..,.
इसकी शुरुआत होती है…बहुजन समाज पार्टी यानी बीएसपी का कमजोर होना…बीएसपी जितनी कमजोर होती जा रही है..उसे उतना ही नुकसान हो रहा है…ऐसे में अब किसी न किसी कोे फायदा तो होना ही थी…विधानसभा चुनाव में बीजेपी ले गई थी…अब अखिलेश बीजेपी से छिनने वाले हैं…कुछ ऐसी ही रणनीति अखिलेश यादव ने बना रखी है…कि मायावती के वोट सारे सपा की तरफ आ जाएं..और मामला जम जाए..लेकिन ये तभी संभव है जब मायावती लगातार कमजोर रहे…क्योंकि 2014 के बाद से बीएसपी का ग्राफ हमेशा गिर ही रहा है…कहीं न कहीं से बीएसपी को नुकसान हो रहा है…अब बीएसपी की कमजोर रणनीति और मायावती की पार्टी से खिसकते दलित वोट बैंक को समाजवादी पार्टी अब खुला मैदान मान रही है….यही वजह है कि अखिलेश यादव ने भी मायावती के खिसकते जनाधार को समेटने के लिए दलित राजनीति और इस समुदाय से जुड़े लोगों को अपनी और जोड़ने की जुगत लगानी शुरू कर दी है….उत्तर प्रदेश में कांशीराम की प्रतिमा के अनावरण के बाद एक बार फिर से अखिलेश यादव ने दलित दांव चलते हुए बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के गांव का रुख किया है…. सियासी जानकारों का मानना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने सियासी दांवपेच में इस बार दलितों को सबसे आगे रखकर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है….उसी क्रम में 14 अप्रैल को अखिलेश यादव भीमराव डॉक्टर आंबेडकर के मध्यप्रदेश स्थित महू गांव पहुंच रहे हैं……दरअसल बीएसपी की कमजोर रणनीति का फायदा उठाते हुए बीजेपी ने मायावती की पार्टी में जमकर सेंधमारी की है….और अब अखिलेश सोच रहे हैं कि..किसी तरह बीजेपी की इस रणनीति में सेंधमारी करके काम बिगाड़ दिया जाए….और इसका सिलसिला शुरू हो चुका है…क्योंकि बात निकाय चुनाव की नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव की भी है…जिसपर सबकी नजर है….