akhilesh yadav rahul gandhi
akhilesh yadav rahul gandhi

हाइलाइट्स

  • अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की ली ऐसी परीक्षा… पास करेंगे तो ही यूपी में कांग्रेस की होगी पूरी इच्छा
  • शर्त मामूली है… कांग्रेस अगर चाहे तो आसानी से कर सकती है पूरी… अगर हो गई पूरी ‘दोस्ती’ होगी पक्की
  • ‘इंडिया’ की मजबूती के लिए अखिलेश की बात पर राहुल कितना करेंगे गौर… उम्मीदों की टकटकी निगाहों से से देख रहे समर्थक


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के सामने अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा एक छोटा सा हिस्सा रखा… बस छोटी सी मांग की है… बस एक छोटा सा दावा किया… कांग्रेस को बड़ी पार्टी मानकर बड़ा दिल दिखाने की ख्वाहिश पाली है… कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से खुद को ‘इंडिया’ का हिस्सा मानकर अपना हक मांगा… अधिकार के तहत मांग की… वैसे सियासी गलियारे में कहने वाले तो कह रहे हैं… ये राहुल की कांग्रेस की बड़ी परीक्षा ली है… इस परीक्षा में कांग्रेस अगर पास होगी… तो ही यूपी में उनकी बात बनेगी…. अखिलेश की ओर से राहुल के सामने सपा के भविष्य को धार देने के लिए बेहद ही मामूली शर्त रखी गई… अगर अखिलेश की ये मामूली शर्त पूरी हो गई तो माना जा रहा है… राहुल और अखिलेश के बीच दोस्ती पक्की हो जाएगी… 2017 वाली दोस्ती से भी ज्यादा मजबूत… सब एक टकटकी निगाहों से इंडिया की मजबूती के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के फैसले पर गौर कर रहे हैं… अब आप लोग सोच रहे होंगे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐसी क्या मांग कांग्रेस के सामने रखी है… जिसपर सपाईयों की तो नजर है ही… साथ ही इंडिया गठबंधन की पार्टियां भी राहुल के फैसले पर नजरे टिकाकर बैठी है…


दरअसल मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनाव इस साल नवंबर में है… सपा भी तैयारी कर रही है… बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव आधा दर्जन सीटों की मांग कर रहे हैं… सपा ने कांग्रेस के सामने गठबंधन कर चुनाव लड़ने का प्रस्‍ताव रखा है… माना जा रहा है 2024 लोकसभा चुनाव के पहले एनडीए के खिलाफ बने विपक्षी गठबंधन के कॉर्डिनेशन की पहली परीक्षा है… इंडिया में शामिल अलग-अलग दल इन राज्यों में एक-दूसरे से मुकाबिल होते रहे हैं… इसलिए, पहली चुनौती विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे और साथ दिखने की होगी… यूपी में समाजवादी पार्टी से गठबंधन की आस लगाए कांग्रेस के सामने भी मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में सपा को कुछ सीटें देने का दबाव है… सपा आधा दर्जन से अधिक सीटें फिलहाल मांग रही है… एमपी में साथ पर ही यूपी में काफी हद तक बात बनने की उम्मीद है…


सपा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगभग एक साल से लगी हुई है… अप्रैल में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उनकी जन्मस्थली मुहू में आयोजित जनसभा में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हिस्सा लिया था… उनके साथ भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद भी थे… पार्टी पहले ही अगस्त में दो चरणों में छह सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है…

निवाड़ी से पूर्व विधायक मीरा दीपक यादव, छतरपुर के राजनगर से बृजगोपाल पटेल, दतिया के भांडेर से सेवानिवृत्त जज आरडी राहुल, भिंड के मेहगांव से बृजकिशोर सिंह गुर्जर, धोहनी से विश्वनाथ सिंह मरकाम और चितरंगी विधानसभा सीट से श्रवण कुमार गोंड को प्रत्याशी घोषित किया गया है
अखिलेश ने एमपी नेताओं के साथ चुनावी रणनीति को लेकर बैठक भी की थी… वहां होने वाले धरना-प्रदर्शन, आयोजनों की खबरें भी यूपी में सपा का मीडिया सेल जारी कर रहा है…यूपी से बाहर के राज्यों में विस्तार कर राष्ट्रीय पार्टी की संभावना तलाश रही सपा का मध्य प्रदेश को लेकर दावा यूं ही नहीं है…

  • 2018 के विधानसभा चुनाव में छतरपुर की बिजावर विधानसभा से उसके प्रत्याशी राजेश शुक्ला जीते थे
  • इसके अलावा पारसवाड़ा, बालाघाट, पृथ्वीपुर, निवाड़ी और गुढ़ विधानसभा में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी


हालांकि, कांग्रेस में हुई टूट के बाद भाजपा की जब सरकार बनी जो राजेश शुक्ला ने भी भाजपा का दामन थाम लिया… 1998 में सपा ने एमपी में 4 और 2003 में 7 सीटें जीती थीं… सपा को यहां 5 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे… 2008 में भी सपा का एक विधायक जीता था लेकिन 2013 में खाता नहीं खुल पाया था… यूपी की सीमा से सटे जिलों पन्ना, छतरपुर, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, सतना, रीवा आदि में सपा का जमीनी असर है… इसलिए, पार्टी यहां हाथ आजमाने की रणनीति पर काम कर रही है… सपा के राज्यसभा सांसद और गठबंधन की समन्वय समिति के सदस्य जावेद अली खान कहते हैं कि हमने बैठक में कांग्रेस के समक्ष एमपी में गठबंधन का प्रस्ताव रखा है… जीती और दूसरे नंबर पर रही सीटों पर हमारा दावा है और हमने उस पर हिस्सेदारी मांगी है…
यूपी में कांग्रेस की मौजूदा जमीन को देखते हुए उसे गठबंधन की सख्त दरकार है…. सपा मुखिया अखिलेश यादव कई मौके पर कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाने को कह चुके हैं… ऐसे में यूपी में साझेदारी के लिए कांग्रेस को एमपी सहित दूसरे राज्यों में भी भागीदारी देने का दबाव है… खास तौर पर यूपी में उसके पास सपा ही फिलहाल सबसे उम्मीदों भरा विकल्प है… इसलिए, सपा एमपी में सपा को कुछ सीटें देने का दांव खेल सकती है… सियासी तौर पर भी उसका इसमें नुकसान नहीं है क्योंकि सपा जिन सीटों पर दावेदारी कर रही है वहां आपसी साथ चुनावी संभावनाओं को और मजबूत बनाएगा… माना जा रहा है कि सपा राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित अन्य चुनावी राज्यों के लिए दबाव भी नहीं बना रही…सपा एमपी में ही सीट मांग रही है क्योंकि यहां उसके पास जमीनी आधार है… इन चुनावों में कांग्रेस का रुख उसके लिए यूपी में भी दोस्ती के रास्ते तय करेगा…