यूपी की राजनीति में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का एक नया प्रयास… योगी को हो गया आभास…पीड़ितों के दर पर अखिलेश. योगी को घेरने के लिए अखिलेश की डोर टू डोर वाली सियासत… मोदी-शाह की राजनीति के लिए आफत. पीड़ितों की सियासत में अखिलेश के लिए मौका… 24 में जीत के लिए ये भी है एक रास्ता
यूपी में मोदी-योगी की राजनीति बढ़त बनाने का एक शानदार प्रयास का आरंभ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस अंदाज में शुरू किया… जिसकी चर्चा अब सियासी गलियारे में खूब हो रही है… 11 अक्टूबर 2023 सपा के सियासत की वो तारीख है, जिसने अखिलेश यादव और सपा को ज़मीनी सियासत का समाजवाद आसान भाषा में समझा दिया… जनता के बीच चले गए किसी भी राजनीतिक दांव का असर दूर तक और देर तक रहता है… लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर अखिलेश यादव ने जब जेपीएनआईसी के गेट पर चढ़कर उस पार छलांग लगाई थी, तो उसकी सुर्खियों ने सपा को सियासी उड़ान के लिए शुरुआती ईंधन दे दिया…
देवरिया (Deoria) में 2 अक्टूबर को 6 लोगों की हत्या के बाद दोनों पीड़ित परिवारों से मिलने की सामान्य नीति को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनाया… यहां उन्होंने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की… पहला तो जातिवादी सियासत के माहौल से दूर दिखने की कोशिश… दूसरा ये कि पीड़ितों के साथ खड़े होकर सत्ता, पुलिस-प्रशासन के ख़िलाफ़ हमलावर होना… देवरिया कांड के फौरन बाद अखिलेश ने एक और रणनीतिक फैसला लिया है…
देवरिया (Deoria) कांड में 14 दिन बाद तो कानपुर में दो विक्टिम यानी पीड़ितों के घर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद पहुंचे… कानपुर में दवा कारोबारी अमोलदीप भाटिया को BJP पार्षद सौम्या शुक्ला के पति अंकित शुक्ला ने 23 सितंबर को अपने साथियों संग मिलकर बुरी तरह पीटा था… घटना रोड रेज की वजह से हुई थी… अमोलदीप की एक आंख खराब हो गई. घटना के करीब एक हफ्ते बाद 25 हजार का इनाम घोषित होने पर अंकित ने पुलिस के सामने सरेंडर किया था… अखिलेश यादव ने 17 अक्टूबर को उनके घर जाकर परिवार के लोगों से मुलाकात की… आरोप BJP नेता पर होने की वजह से सरकार पर हमला भी बोला…9 सितंबर को कानपुर के चकेरी इलाके में किसान बाबू सिंह यादव ने रेलवे ट्रैक पर सुसाइड कर लिया था… अखिलेश यादव 17 अक्टूबर को बाबू सिंह के घर पहुंचे… पुलिस के मुताबिक बाबू सिंह की जमीन BJP नेता प्रियरंजन अंशु ने जबरन लिखवा ली थी… करोड़ों की जमीन गंवाने के बाद बाबू सिंह ने जान दे दी… आरोपी प्रियरंजन पर एक लाख का इनाम घोषित है. कुर्की का आदेश हो चुका है… BJP ने उसे पार्टी से बाहर कर दिया है… अखिलेश यादव ने यहां बाबू सिंह यादव के परिवार के लिए इंसाफ की मांग की… योगी सरकार पर हमला बोला…
देवरिया से कानपुर (Kanpur) तक पीड़ितों की सियासत का सफर शुरू करने वाले अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अब अपने दांव की राजनीतिक जुम्बिश का आकलन कर रहे हैं… देवरिया में मृतक प्रेम चंद्र यादव पर आरोप था कि वो सपा का करीबी था… सपा के समर्थन से ही जिला पंचायत का सदस्य रह चुका था… राइफल का लाइसेंस भी सपा के दौर में ही मिला था… बहरहाल, वहां अखिलेश ने दुबे और यादव दोनों परिवारों को समान रूप से आर्थिक मदद और इंसाफ की बात कही…कानपुर में पीड़ित अमोलदीप भाटिया और बाबू सिंह यादव के खिलाफ आरोपी BJP नेता ही हैं… इसलिए अखिलेश यादव ने यहां सरकार पर खुलकर हमला किया… हालांकि, देवरिया में 2 अक्टूबर के हत्याकांड के बाद 16 अक्टूबर को अखिलेश के पहुंचने तक एक दर्जन से ज्यादा बड़ी वारदातें हो चुकी हैं… फिर भी अखिलेश उन्हीं दो घरों तक पहुंचे, जो सुर्खियों में हैं… कानपुर में जिन दो परिवारों से मुलाकात की, उनके मामले भी करीब सवा महीने से खबरों में हैं…
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पीड़ितों से मिलने में अब तक ‘सेलेक्शन’ का जो पैमाना रखा है, वो कुछ चुनिंदा मामले हैं… ये ऐसे मुद्दे हैं, जो पंद्रह दिन से लेकर एक महीने से सुर्खियों में हैं… ऐसी जगहों पर अखिलेश के जाने से राजनीतिक माहौल भी बनता है और सियासी पारा भी चढ़ता है… पीड़ितों तक ये संदेश पहुंचाना आसान होता है कि विपक्ष के नेता इंसाफ की लड़ाई में हमारे साथ हैं… क्या अलग-अलग जिलों में बड़ी घटनाओं से प्रभावित परिवारों के पास जाकर वो 2024 के लिए नई तरह के सियासी सरोकार वाली राह बना रहे हैं? अगर ऐसा सच में है, तो अखिलेश को पीड़ितों के बीच फर्क नहीं करना चाहिए… सपा नेताओं को हर जिले में आपराधिक सुर्खियों पर समान नजरिया और भूमिका निभानी होगी.