Bihar Bahubali : Anand Moham की रिहाई से Prabhunath Singh और Anant Singh के समर्थकों में जगी उम्मीद, क्या इनको भी रिहा करेगी सरकार ?
बिहार में बाहुबली की रिहाई दूसरों में उम्मीद जगाई
आनंद मोहन की रिहाई से दूसरे बाहुबलियों में जगी उम्मीद
क्या आनंद मोहन की रिहाई से दूसरे नेताओं की राह होगी आसान ?
अब प्रभुनाथ सिंह और अनंत सिंह की रिहाई की होनी लगी है मांग
बीजेपी आनंद मोहन की रिहाई पर चुप, दूसरों की रिहाई पर सवाल
नियमों में बदलाव कर बिहार सरकार ने बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ कर दिया जिसके बाद आज…पूर्व सांसद और बाहबुली नेता आनंद मोहन आज जेल से अपने घर भी पहुंच गए…एक तरफ इस रिहाई का पुरजोर विरोध हो रहा है तो वहीं बीजेपी ने इस मामले में बीच का रास्ता अपना लिया है बीजेपी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध नहीं कर रही है लेकिन नीतीश सरकार के नियमों में बदलाव के फैसले को गलत बता रही है….ये भी राजनीति करने का अजब तरीका है…वहीं आनंद मोहन की रिहाई के बाद अब कई और लोगों की उम्मीदों को पंख लग गए गए हैं जो इस समय जेल में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं…अब उन्हें भी उम्मीद होने लगी है कि आनंद मोहन की तरह शायद उन्हें भी जेल से आजादी मिल जाए…कौन हैं ये लोग बताएंगे आपको पूरी खबर बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें….
आनंद मोहन की रिहाई से जगी उम्मीद
दरअसल जब से बिहार सरकार ने नियमों बदलवा किया है और आनंद मोहन की रिहाई हुई है तब से ही कुछ और लोग भी हैं जो अंदर ही अंदर खुश हो रहे हैं उन्हें लग रहा है कि जैसे आंनद मोहन जेल से आजाद हो गए वैसे ही उन्हे भी आजादी मिल जाएगी..इनमें कई पूर्व सांसद और बाहुबली नेता शामिल हैं जो अब अपनी रिहाई की उम्मीद पाले बैठे हैं…ऐसे ही एक हैं आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह जिनकी रिहाई की मांग भी उठने लगी है। इतना ही नहीं दबी जुबान से ही अब अनंत सिंह की रिहाई की भी मांग होने लगी है। हालांकि एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसे अपराधियों का छूटना पसंद नहीं आ रहा…हालांकि इस सबके बीच सबसे अजीब स्थिति बीजेपी की है जो खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रही है और न ही समर्थन कर पा रही है
बीजेपी ने नहीं किया विरोध
बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के बीच सबसे अजीब स्थिति में बीजेपी है…क्योंकि बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी को आनंद मोहन की रिहाई पर कोई एतराज नहीं है। उसे सिर्फ इस बात पर एतराज है कि नीतीश सरकार ने अपराधियों की रिहाई के लिए कानून में संशोधन किया। बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी हों या विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, आनंद मोहन की रिहाई पर सब ख़ामोश हैं….अब कई लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर बीजेपी की चुप्पी की वजह क्या है…तो इसका जवाब वोटबैंक है
बीजेपी को राजपूत वोट खिसकने का है डर
दरअसल बिहार में सवर्णों के तकरीबन 12 प्रतिशत वोट माने जाते हैं। इसमें चार फीसद वोट राजपूतों के हैं। एक-एक वोट जोड़ने की जुगत में जुटी बीजेपी 4 फीसद वोटरों से पंगा लेना क्यों चाहेगी ? यही वजह है कि रिहाई कानून में संशोधन पर बीजेपी आपत्ति जता रही है, लेकिन आनंद मोहन की रिहाई पर कुछ नहीं बोल रही। यह भी माना जाता है कि मंडल-कमंडल के दौर में आनंद मोहन न सिर्फ राजपूतों, बल्कि सवर्ण समाज का चेहरा बने थे। उस दौर के लोग अब बुढ़ापे की दहलीज पर हैं। राजपूत से इतर सवर्ण समाज की दूसरी जातियां भी आनंद मोहन के खिलाफ टिप्पणी से नाराज हो सकती हैं। बीजेपी दो-तीन प्रतिशत वोटों के लिए मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी जैसे लोगों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है, ऐसे में वह आनंद मोहन की रिहाई का विरोध कर किसी तरह का जोखिम कैसे मोल सकती है।
वैसे आनंद मोहन की रिहाई का सिर्फ एक पार्टी खुलकर विरोध कर रही है और वो है चिराग पासवान की पार्टी लेकिन चिराग ने भी सधे अंदाज में कहा है कि आनंद मोहन की रिहाई के नाम पर नीतीश कुमार की सरकार कानून का दुरुपयोग कर रही है। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। बिहार में एक दलित अधिकारी की हत्या कर दी गई और हत्या का आरोप जिन पर लगा, उन्हें कानून बदल कर सरकार रिहा कर रही है। इसे कहीं से जायज नहीं ठहराया जा सकता…फिलहाल विरोध के बीच आनंद मोहन की रिहाई हो चुकी है और अब इसका कितना नफा नुकसान होगा ये आने वाले वक्त में साफ हो जाएगा…आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं साथ ही राजनीति से जुड़ी हर खबर के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लें…शुक्रिया