nitish kumar

बिहार की राजनीति को समझ पाना इतना आसान नहीं है… राजनीति की गहराईयों में जितने जाने की कोशिश करेंगे… उतने ही उसके अंदर से अलग अलग रहस्य निकलकर सामने आने लगेंगे… अब देखिए नीतीश और लालू की राजनीति के बीच इस वक्त दोस्ती है… तो जाहिर सी बात है… दोनों को दुश्मन भी एक-दूसरे के लिए दुश्मन होंगे… लेकिन ऐसा दिखता नहीं है… कम से कम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से ऐसा दिखता नहीं है… अब धीरे धीरे एक और मिथक भी टूट रहा है… जो बात कही जा रही थी… बिहार के एक बाहुबली नेता की लालू यादव की मेहरबानी से उम्रकैद की सजा से आजादी मिली… लेकिन एक वाकये ने सच्चाई से पर्दा उठा दिया… अब ऐसा कह जा रहा है… उस बाहुबली नेता को उम्रकैद की सजा से माफी दिलाने में अगर किसी की भूमिका है… तो सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की….अब हम जिस बाहुबली नेता की बात कह रहे हैं… उसका नाम आनंद मोहन… अब ये हम क्यों कह रहे हैं… चलिए बिहार में चल रही खालिश नए तरीके की राजनीति की गहराई में ले चलते हैं…


दरअसल आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने संसद में ‘ठाकुर का कुआं’ कविता पढ़ी… उस पर बिहार में सियासी घमासान की शुरूआत हुई जो थमता ही नहीं दिख रहा… आरजेडी के विधायक चेतन आनंद और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने इस मुद्दे पर आवाज बुलंद की… उन्होंने मनोज झा से माफी की मांग की… हालांकि, लालू यादव और तेजस्वी ने इस विवाद पर मनोज झा का सपोर्ट किया… उन्होंने साफ कहा कि आरजेडी सांसद ने कुछ गलत नहीं कहा… वहीं आरजेडी से तनातनी के बीच पूर्व सांसद आनंद मोहन ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की है… आनंद मोहन की बिहार के मुख्यमंत्री संग हुई इस मुलाकात को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया… अब इस मुलाकात से ही कई तरह के मायने निकल रहे हैं…


अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं… क्या आरजेडी से टकराव की वजह से आनंद मोहन अब सीएम नीतीश संग नजदीकियां बढ़ा रहे हैं? उन्होंने 5 अक्टूबर करीब 11 बजे नीतीश कुमार से मुलाकात की… ये मुलाकात सीएम आवास पर हुई… करीब आधे घंटे तक दोनों नेता मिले… इस मीटिंग में क्या बात हुई इस पर कोई जानकारी नहीं मिली है… आनंद मोहन सीएम आवास से सीधे निकल गए… हालांकि, इस मुलाकात से बिहार की राजनीति में एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गई… सवाल यह उठ रहे कि क्या बिहार में ठाकुरों के नेता माने जाने वाले आनंद मोहन आरजेडी छोड़ अब जेडीयू के करीब जाने की सोच रहे हैं… सवाल ये भी है… क्या आनंद मोहन को नीतीश कुमार का आशीर्वाद मिला हुआ है… क्या ऐसे वक्त में जब लालू-तेजस्वी जब आनंद मोहन से नाराज हैं… नीतीश कुमार को आनंद मोहन को मुलाकात का वक्त देना चाहिए था… ऐसे ढेरो सवाल है…


कहा जा रहा है… आनंद मोहन और लालू परिवार के बीच विवाद का आगाज तब हुआ था… जब राजपूतों के नेता आनंद मोहन लालू प्रसाद यादव से मिलने राबड़ी आवास पहुंचे थे… आनंद मोहन अपनी गाड़ी सहित राबड़ी आवास में एंट्री चाहते थे… हालांकि, आनंद मोहन की गाड़ी को दरवाजे पर ही रोक दिया गया… इसके बाद आनंद मोहन नाराज होकर वहां से चले गए… इससे पहले आनंद मोहन के पूरे परिवार ने राजपूतों के सम्मान को ‘ठाकुर के कुएं’ के जरिए नाराजगी जताई…ठाकुर विवाद में लालू प्रसाद यादव ने अपने राज्यसभा सांसद और मुख्य प्रवक्ता मनोज झा का साथ दिया… इसके बाद आनंद मोहन की दूरियां आरजेडी से बढ़ती दिख रही है… वहीं आनंद मोहन अब नीतीश की पार्टी संग करीबी बढ़ा रहे… इससे पहले पूर्व सांसद के जेल से बाहर निकलने में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका अहम रही… पिछले साल महाराणा प्रताप जयंती के दौरान नीतीश कुमार ने राजपूत समाज के सामने ये वादा किया था कि वह आनंद मोहन को बाहर निकलेंगे… इसके बाद कानून में संशोधन कर नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को सजा पूरा करने के बाद बाहर निकलवा