
गुरुग्राम से दो दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता (36) की पुलिस की पिटाई से मौत हो गई। आरोप है कि जांच का विरोध करने पर पुलिस कर्मियों ने उनकी बेरहमी से पिटाई की थी। घटना के बाद मंगलवार को चार साल के मासूम बेटे अविराज गुप्ता को गोद में लिए मनीष की पत्नी मीनाक्षी बोल पड़ीं- बेटे को उसके पिता की मौत के बारे में क्या जवाब दूंगी? अगर वह पुलिस बनना चाहे तो कैसे बनने दूंगी? लोगों की रक्षा के लिए बनी पुलिस ने ही जान ले ली, क्या ऐसे ही सुरक्षा दे रही है पुलिस? पुलिस के ऐसे ही काम होते हैं? जिस वजह से बच्चा तक पुलिस को देखकर डरता है और नफरत करने लगता है। मीनाक्षी के इन सवालों का जवाब तो किसी के पास नहीं था, लेकिन जिसने भी उनकी बातें सुनीं, उसका कलेजा पसीज गया। आम लोग भी घटना के बारे में जानने के बाद पुलिस वालों पर सवाल उठाते दिखे।
मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी का कहना है कि उनके पति की पिटाई की गई। आखिर किस कानून के तहत पुलिस कमरे में चेकिंग के नाम पर आधी रात घुस गई और फिर पिटाई कर पति को मार डाला। इस मामले की शिकायत सभी आला अफसरों से करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस वालों ने समय से मनीष को अस्पताल भी नहीं पहुंचाया। उनकी मृत्यु होने के बाद दोस्तों ने घर पर जानकारी दी जिसके बाद सुबह पांच बजे परिजनों ने जानकारी दी और वह फिर आईं। मीनाक्षी का कहना है कि शव देखने से ही लग रहा है कि कितनी बेरहमी से पिटाई की गई है। शरीर पर कई जगह गहरे घाव इस बात की गवाही दे रहे हैं कि गिरने से नहीं, उन्हें पीटकर मारा गया है। मुझे इंसाफ चाहिए।

मुझे थाने ले जा रही पुलिस
मनीष के कमरे में जब पुलिस चेकिंग करने पहुंची थी तब उन्होंने भाजपा नेता व अपने भांजे के दोस्त लखनऊ निवासी दुर्गेश वाजपेयी को फोन करके यह बताया था कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है। दुर्गेश ने थाने के बारे में पूछा तो मनीष ने फिर पुलिस से सवाल पूछे, इस पर मौजूद पुलिसकर्मियों का कहना था कि इसे थाने लेकर चलो। मनीष ने बताया कि उन्हें थाने लेकर जाया जा रहा है, जिस पर दुर्गेश ने एसपी से बात करने की बात कही थी। फिर फोन कट गया था।

सपा नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मनीष की पत्नी मीनाक्षी से मिलने के लिए सपा के कई नेता पहुंचे। सपा के निवर्तमान महानगर अध्यक्ष जियाउल इस्लाम, पूर्व विधायक प्रतिनिधि अमरेंद्र निषाद, राजमति, राहुल गुप्ता सहित कई नेता परिजनों के पास मौजूद रहे और उन्हें न्याय दिलाने के लिए सपा के समर्थन का भरोसा दिलाया।

इन सवालों का जवाब पुलिस को देना ही चाहिए?
आखिर तीनों दोस्तों के बारे में ऐसी कौन सी सूचना थी कि आधी रात के बाद चेकिंग के लिए गई थी पुलिस?
सीधे तीसरी मंजिल के उसी कमरे में क्यों गई पुलिस?
अगर मनीष घायल हुए तो जिला अस्पताल की इमरजेंसी में क्यों नहीं ले गए, प्राइवेट अस्पताल क्यों?
प्राइवेट अस्पताल में गंभीर हालत थी तो फिर दोस्तों को एंबुलेंस में साथ क्यों नहीं भेजा गया?
पुलिस का कहना है कि गिरने से मौत हुई है तो फिर शरीर में कई जगह छेदनुमा गहरे घाव के निशान कैसे आ गए?
मनीष की मौत की जानकारी पुलिस ने परिजनों को क्यों नहीं दी? यह जानकारी दोस्तों ने परिजनों को दी।

इस तरह हुआ घटनाक्रम
रात 12:04 बजे: चेकिंग के लिए होटल कृष्णा पैलेस पहुंची पुलिस
रात 12:15 बजे: कमरे में चेकिंग के लिए पुलिस घुसी
रात 12:45 बजे: मनीष को लेकर छात्रसंघ चौराहे पर स्थित मानसी नर्सिंग अस्पताल गए
रात 2:05 बजे: घायल मनीष को मेडिकल कॉलेज लेकर पुलिस पहुंची
रात 2:14: मेडिकल कॉलेज में पर्ची बनी, सर्जरी विभाग भेजा गया
रात 2:30 बजे: मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया
रात 3 बजे: पुलिस ने दोस्तों को जानकारी दी, फिर परिजनों को सूचना मिली
सुबह 5 बजे: पत्नी मीनाक्षी को ससुर ने घटना की जानकारी दी
सुबह 10:45 बजे: मनीष की पत्नी मीनाक्षी, पिता नंद किशोर गुप्ता व मीनाक्षी के पिता मेडिकल कॉलेज आ गए
सुबह 11 बजे: पत्नी ने कार्रवाई की मांग उठाकर मुख्यमंत्री, आला अफसरों को ट्वीट किया
दोपहर 1 बजे: एसएसपी ने छह पुलिस वालों को निलंबित कर जांच का आदेश दिया
दोपहर 1:05 बजे: पुलिस अफसरों ने पत्नी को कार्रवाई की जानकारी दी
शाम 4 बजे: पोस्टमार्टम के लिए पंचनामा भरा गया
शाम 6 बजे: दो डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया

होटल के कमरे में साथ ठहरे दोस्त (प्रत्यक्षदर्शी) हरदीप सिंह ने बताया कि रात में पुलिस चेकिंग के नाम पर कमरे में आई थी। प्रदीप और मनीष बेड पर सोए थे और मैं एक बेड लगाकर सोया था। घंटी बजने पर दरवाजा खोला। आईडी कार्ड मांगने पर दिखाया। प्रदीप को भी जगा दिया। प्रदीप ने सब कुछ दिखाया। मनीष को जगाया तो वह बोल पड़ा-आतंकवादी हैं क्या? बस, इसी बात पर नाराज होकर पुलिस ने पिटाई शुरू कर दी। मुझे भी मारने लगे थे और बाहर कर मनीष की पिटाई करने लगे। इसी दौरन मुंह के बल वह गिर गया, जिससे उसकी हालत खराब हो गई। पुलिस उसे लेकर नर्सिंग होम गई, जहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। हम लोगों को साथ में पुलिस नहीं ले गई थी। गोरखपुर के दोस्त चंदन को रात में जानकारी दी थी, वह भी आ गए थे।

होटल में साथ में ठहरे दोस्त (प्रत्यक्षदर्शी) प्रदीप चौहान ने बताया कि पुलिस के आने पर रात में अचानक साथी हरदीप ने मनीष को उठाया था। तब मैंने देखा कि पांच से छह की संख्या में पुलिस वाले मौजूद हैं। पुलिस वालों ने आईडी मांगी और फिर सामान की तलाशी लेने लगे। इसी दौरान चेकिंग पर सवाल पूछने पर पुलिस वाले नाराज होकर पिटाई करने लगे। मनीष के साथ भी मारपीट की गई और वह नीचे गिर गया। पुलिस उसे अस्पताल ले गई। नर्सिंग होम से मेडिकल कॉलेज ले जाने पर हम लोग साथ नहीं थे। पुलिस को हम लोगों ने यह जानकारी दे दी थी कि गोरखपुर के ही चंदन सैनी ने ठहराया है, लेकिन पुलिस ने पिटाई बंद नहीं की। पुलिस ने ऐसा क्यों किया, यह समझ में नहीं आ रहा था

मनीष के दोस्त चंदन सैनी ने बताया कि देर रात मेरे पास पुलिस का फोन आया और पूछा कि तीनों दोस्त गोरखपुर किससे मिलने आए थे। मैंने, अपने दोस्तों का नाम बताया और होटल में आने की जानकारी दी। इसके बाद मेरे घर का पता पूछा। बताने के बाद फोन करने वाले ने बताया कि चलिए कोई बात नहीं है, सब ठीक है। संदेह होने पर दोबारा फोन किया तो दरोगा अक्षय मिश्रा नाम बताया और कहा कि कोई बात नहीं है, ऐसे ही जानकारी ली जा रही थी। मुझे संदेह हो गया और होटल आया तो यहां का नजारा कुछ और ही था।

होटल कृष्णा पैलेस के प्रबंधक सुभाष शुक्ला ने बताया कि पुलिस ने दिवाली के मद्देनजर सतर्कता की बात कही और होटल के कमरों की जांच करने लगी। एक कमरे में तीन लोग ठहरे थे। लिहाजा, पुलिस ने कहा कि इसी कमरे की जांच करा दें। होटल का कर्मचारी गेट के बाहर खड़ा था। तभी जोर से किसी के गिरने की आवाज आई। इस बीच पता चला कि मनीष घायल हैं। पुलिस उन्हें लेकर अस्पताल गई है। स्टाफ ने रात 12:25 बजे इसकी जानकारी दी, जिसके बाद होटल पहुंचा था। होटल पर सिर्फ दो लोग मौजूद थे, तब पुलिस जांच को आई थी। होटल परिसर में सीसीटीवी लगे हैं, जिसे पुलिस को उपलब्ध करा दिया गया है।
मानसी नर्सिंग होम के डॉ. पंकज दीक्षित ने बताया कि पुलिस की टीम 12:30 से एक बजे के बीच मरीज को लेकर आई थी। ड्यूटी पर तैनात उस समय के डॉक्टरों ने स्थिति देखकर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।