Women Reservation Bill

Women Reservation Bill: बीजेपी खुद को अक्सर कहती है… वो आधी आबादी के साथ हैं… उसके शुभ चिंतक है… सियासत में उसकी अहमियत को लेकर अक्सर दावे करती है… लेकिन यूपी में बीजेपी की राजनीति ने उन्हें कितनी तवज्जो दी… उसे देखेंगे तो हैरान हो जाएंगे… सोच में पड़ जाएंगे बीजेपी जो कहती है… क्या वाकई में वैसा ही करती है… जैसा बीजेपी कहती है… 26 साल से पेंडिंग महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश हो गया है… महिला आरक्षण कानून से देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बड़ा बदलाव होगा… लेकिन अभी यूपी की राजनीति में महिलाएं सिर्फ सिंबोलिक दखल रखती हैं… महिलाएं सिर्फ पोस्टर तक ही सीमित हैं… बिल लाने वाली भाजपा में महिलाएं आखिरी पायदान पर हैं… बीजेपी में न उनके पास पद है, न ही कोई बड़ा कद है…

जिस यूपी होकर दिल्ली के लिए रास्ता जाता है… उसी यूपी में महिलाओं की सियासत में पार्टियों को कितना विश्वास है ? डाटा कुछ ऐसा मिला… जिसमें दिखा महिलाओं के पास न कद है न पद. महिलाओं की राजनीति को बीजेपी में कितनी मिली जगह… पूरा आंकड़ा देखकर सिर पर हाथ रखने को हो जाएंगे मजबूर

  • यूपी भाजपा में अब तक 14 प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, लेकिन इनमें से एक भी महिला नहीं रही है
  • यूपी में बीजेपी के 75 जिला अध्यक्षों में भी सिर्फ 4 महिला चेहरे हैं
  • योगी कैबिनेट में 52 मंत्री हैं, लेकिन इनमें सिर्फ 5 महिला हैं
  • प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रीमंडल में भी यूपी सिर्फ एक महिला मंत्री स्मृति ईरानी हैं।

संसद और विधानसभा में यूपी से महिलाओं की हिस्सेदारी 15 फीसदी से भी कम है… बसपा और कांग्रेस में टॉप चेहरे यानी मायावती और सोनिया गांधी को छोड़ दिया जाए तो सेकंड लाइन में यूपी में एक भी महिला लीडर नजर नहीं आती है… अगर देखा जाए तो क्षेत्रीय पार्टी होते हुए भी सपा ने इस दिशा की ओर सफर करना शुरू कर दिया है… डिंपल यादव की राजनीति को प्रमोट करने के साथ अन्य महिला नेताओं की राजनीति को भी रफ्तार देने का काम हो रहा है… काजल निषाद हो या रागिनी सोनकर उनकी सियासत की बेहतरी के लिए स्पेस दिया जा रहा है… एक तरह से प्रमोट किया जा रहा है… घोसी उपचुनाव में ये दृश्य देखने को भी मिले….


आपको बता दे कि संसद में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद सबसे ज्यादा फायदा देश के सबसे बड़े सूबे यूपी को ही मिलेगा… कानून बनने से यूपी में लोकसभा की 26 सीटें और विधानसभा में 132 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी…यूपी विधानसभा में 403 सदस्य हैं, जिनमें से अभी महज 48 महिला हैं… प्रदेश में ये संख्या कुल विधायकों की केवल 12 फीसदी है… वहीं, विधान परिषद में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 6 फीसदी है… लोकसभा सीटों की बात करें तो यूपी में कुल 80 सीटें हैं, जिसमें 11 सांसद ही महिलएं हैं। इनमें से सबसे अधिक 8 महिला सांसद बीजेपी के टिकट पर चुनी गईं। उत्तर प्रदेश में 14% महिला प्रतिनिधित्व है… इस तरह यूपी में विधानसभा और लोकसभा दोनों में महिलाओं की संख्या 15 फीसदी से भी कम है…
फिलहाल महिला आरक्षण बिल से देश के सबसे बड़े सियासी सूबे में गहमागहमी भी बढ़ गई है…ये दो लेवल पर दिखाई दे रही है… पहला- पार्टियों में और दूसरी चुनाव में… पार्टियों में तो ये दिखाई भी देना लगा है… मुख्य विपक्षी दल सपा ने आरक्षण का समर्थन किया है, लेकिन सवाल उठाया है कि PDA का क्या होगा? बसपा ने 50 फीसदी आरक्षण की मांग की है… महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद अगर समय से ये लागू हो जाए… तो इसका असर यूपी की राजनीति पर तो जरूर पड़ेगा…


आपको बता दें पिछले साल 22 सितंबर के दिन UP विधानसभा में सिर्फ महिला सदस्यों को बोलने की आजादी मिली थी… ऐसा यूपी में पहली बार हुआ था… महिला विधायकों ने 3-3 मिनट तक अपनी-अपनी बातें सदन के सामने रखी थीं… इस दौरान सीएम योगी ने कहा था सदन में पुरुष नेताओं की बातों के पीछे कहीं महिला सदस्यों की आवाज दब जाती हैं…लेकिन आज सदन की कार्यवाही में महिला सदस्यों की बातें सुनकर उन्हें अपनी गलती का अहसास हो जाए… तो घर की महिलाओं से माफी मांग सकते हैं… उस वक्त नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि महिलाओं के इतने मुद्दे हैं कि एक दिन काफी नहीं है… दलगत राजनीति से ऊपर मैं कहना चाहता हूं कि अखबारों को पढ़कर हैरान होता हूं… सपा विधायक डॉक्टर रागिनी ने महिलाओं के साथ अपराधों के मुद्दे को उठाया था… रागिनी का कहना था कि थानों में वसूली भाई बैठे हैं… क्या जिन थानों में लापरवाही की गई, उन अधिकारियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी?