Mohammad Sharif Padma Shri
Ayodhya: Mohammad Sharif endearingly known as 'Sharif Chacha', whose name figures in the list of Padma Shri awards for 2020, being felicitated at the 71st Republic Day function in Ayodhya on Jan 26, 2020.

अयोध्या, 27 जनवरी : मोहम्मद शरीफ अयोध्या में अचानक चर्चा का केंद्र बन गए हैं। उन्हें हमेशा से प्यार और सम्मान मिलता रहा है और उन्हें प्यार से लोग ‘शरीफ चाचा‘ के नाम से बुलाते हैं। लेकिन शनिवार को हुई पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा ने रातोंरात उनकी प्रतिष्ठा और बढ़ा दी है। शरीफ चाचा कई वर्षो से अयोध्या में लावारिश लाशों को दफनाते या दाह-संस्कार करते रहे हैं। उन्होंने अब तक 25,000 से ज्यादा शवों को दफनाया/दाह संस्कार किया है।

पेशे से साइकिल मिस्त्री मोहम्मद शरीफ हर रोज लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए कब्रिस्तान और श्मशान का चक्कर लगाया करते हैं। अगर कभी वह वहां नहीं पहुंच पाते तो श्मशान स्थल या कब्रिस्तान के निगरानीकर्ता लावारिश लाश होने पर उन्हें सूचित कर देते हैं। उन्होंने सिर्फ मुसलमानों व हिंदुओं की लाशों को दफनाया व दाह-संस्कार ही नहीं किया है, बल्कि सिखों व ईसाइयों के भी अंतिम संस्कार किए हैं।

शरीफ के अनुसार, उन्होंने अपने बेटे को 28 साल पहले खो दिया था और उसका शव रेल पटरी पर मिला था।

Ayodhya: Mohammad Sharif endearingly known as ‘Sharif Chacha’, whose name figures in the list of Padma Shri awards for 2020, being felicitated at the 71st Republic Day function in Ayodhya on Jan 26, 2020. (Photo: IANS)

शरीफ का केमिस्ट बेटा किसी काम से सुल्तानपुर गया था और वहीं से लापता हो गया था। यह वही समय था, जब बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मुद्दे को लेकर सांप्रदायिक तनाव अपने चरम पर था। बाद में पता चला कि उनका बेटा उसी सांप्रदायिक दंगे की भेंट चढ़ गया।

यह ऐसी हृदयविदारक घटना थी, जिसने मोहम्मद शरीफ के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। उनके बेटे के शव को लावारिस समझा गया। तब से उन्होंने अपने जिले में लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उठा ली और धर्म की परवाह किए बिना हर लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करने का फैसला किया।

शरीफ कहते हैं कि उन्हें कई बार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, लेकिन चंदा जुटाकर या दान में मिले पैसों से यह पुनीत काम करना जारी रखा।