Lalu राज में murder, सुशासन काल में सजा… अब रिहाई का रास्ता साफ, बिहार के दलित IAS कृष्णैया हत्याकांड को जानिए…
क्या एक बाहुबली को जेल से बाहर लाने के लिए सरकार ने बदल हैं नियम?
बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के लिए सरकार ने बदल दिए नियम !
एक डीएम की हत्या में जेल में उम्रकैद काट रहे हैं बाहुबली और पूर्व सांसद
29 साल पहले एक युवा होनहार IAS की भीड़ ने कर दी थी हत्या
क्या जेल से बाहर आ जाएंगे पूर्व सांसद आनंद मोहन, क्या नहीं मिलेगा IAS कृष्णैया को न्याय?
हम बचपन से सुनते आए हैं कि नियम कानून सबके लिए बराबर होते हैं…लेकिन आम लोगों से ये भी सुनते आए हैं कि पैसेवाले और बड़े लोगों के लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखते जब भी जरूरत पड़ती है तो बड़े लोगों के लिए नियम कानून बदल दिए जाते हैं….बिहार में जो हुआ है उससे इन आम लोगों की बात सही लगने लगी है क्योंकि बिहार सरकार ने ऐसा फैसला किया है कि जिससे बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है और ऐसा होने वाला है बिहार के सरकार के एक नोटिफिकेशन से…जिसमें जेल से रिहाई के लिए नियम को बदल दिया गया है…क्या है पूरा मामला बताएंगे आपको इसी वीडियो में और ये भी बताएंगे कि इस बदले नियम से एक शहीद आईएएस के परिजनों को कितना धक्का लगेगा…उस शहीद आईएएस की पूरी कहानी भी बताएंगे बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें
दरअसल गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन सजायाफ्ता हैं। फिलहाल वो सहरसा के जेल में बंद हैं। मगर अब नए नियम के मुताबिक उनकी जेल से रिहाई हो सकती है…जो आया है बिहार सरकार की तरफ से जिसमें नियम बदल दिए गए हैं…चलिए पहले आपको बताते हें कि आखिर उस नोटिफिकेशन में लिखा क्या जिसको लेकर इतना हंगामा मचा हुआ है
क्या लिखा है नोटिफिकेशन में ?
दरअसल हुआ ये है कि ये नोटिफिकेशन 10 अप्रैल को ही बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी हो गया था लेकिन मीडिया के पास ये चिट्टई अब पहुंची इसलिए अब इस पर चर्चा हो रही है….जिसमें जेल से रिहाई के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। इस अधिसूचना में कहा गया है कि
‘कारा अधिनियम, 1894 की धारा 59 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 432 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार के राज्यपाल बिहार कारा हस्तक, 2012 में अधिसूचना निर्गत होने की तिथि से निम्नलिखित संशोधन करते है
बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम – 481 (i) (क) का संशोधन:- बिहार कारा हस्तक 2012 नियम- 481 (i) (क) में वर्णित वाक्यांश ”या काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या” को विलोपित किया जाएगा।’
बता दें कि इस अधिसूचना पर बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव के दस्तखत है और सभी जरूरी विभागों समेत सभी जिलाधिकारियों को भेजा गया है। वहीं जब इस पूरे मामले पर कानून के जानकारों से राय ली गई तो उनका कहना है कि
संशोधन करके उस वाक्यांश को हटा दिया गया है, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था। नोटिफिकेशन के बाद से अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की कैटेगरी में नहीं गिना जाएगा, बल्कि ये एक साधारण हत्या मानी जाएगी।
अब इस नियम बदलने से सबसे ज्यादा फायदा जिसे होगा वो है जेल में बंद बाहुबली आनंद मोहन…और कहा जा रहा है कि बिहार सरकार के नए अधिसूचना से पूर्व सांसद आनंद मोहन के जेल रिहाई अब आसान हो जाएगी, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी। अब इसे विलोपित कर दिया गया है…आपको ये भी बता दें कि राज्य सरकार की रिमिशन की पॉलिसी-1984 में 2012 में ही दो बड़े बदलाव किए गए थे। इसके तहत पांच श्रेणी के कैदियों को नहीं छोड़ने का प्रावधान शामिल था। जिसमें एक से अधिक मर्डर, डकैती, बलात्कार, आतंकवादी साजिश रचने और सरकारी अफसर की हत्या के दोषी होंगे। मगर सरकारी अफसर वाली बाध्यता को समाप्त कर दिया गया…जिसका पहला फायदा मिल रहा है डीएम की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन को…चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर क्या था डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड जिसके चलते आनंद मोहन जेल तक पहुंचा
दरअसल 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर जिले में जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की पीटकर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे और उससे एक दिन पहले ही मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया। मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई। तब कृष्णैया मात्र 35 साल के थे…वो 1985 बैच के IAS ऑफिसर थे। आईएएस जी. कृष्णैया का जन्म आंध्रप्रदेश के महबूबनगर जिले में एक दलित परिवार में हुआ था। उनका बचपन मुश्किलों में गुजरा था लेकिन ब्यूरोक्रेसी लॉबी में एक ईमानदार अधिकारी तौर पर उनकी गिनती होती थी। शायद यही वजह रही होगी कि बिहार तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने अपने गृह जिले गोपालगंज में जिलाधिकारी के तौर कृष्णैया की तैनाती की थी…लेकिन अफसोस एक पागल भीड़ ने होनहार अधिकारी की हत्या कर दी और आज उससे भी ज्यादा अफसोस का दिन है क्योंकि उस होनहार अधिकारी के दोषी को जेल से बाहर करने की कोशिश हो रही है….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं साथ ही राजनीति से जुड़ी हर खबर के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब भी कर लें…शुक्रिया