वाराणसी की रियल इस्टेट सेक्टर की कंपनी नीलगिरी इंफ्रॉसिटी के संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में चेतगंज थाने में 2 और मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन 2 केस को मिलाकर नीलगिरी इंफ्रॉसिटी के संचालकों के खिलाफ अब तक 42 केस दर्ज किए जा चुके हैं। गौरतलब है कि नीरगिरि इंफ्रॉसिटी कंपनी का चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) विकास सिंह, उसकी पत्नी मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) ऋतु सिंह और मैनेजर प्रदीप यादव बीते 30 अगस्त से जिला जेल में बंद है।
तीनों पर जमीन और गोल्ड में निवेश कराने के साथ ही टूर पैकेज के नाम पर लोगों के करोड़ों रुपए हड़पने का आरोप है। आरोपियों की धोखाधड़ी की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से अलग जांच की जा रही है।

15 लाख रुपए हड़पे, सदमे में पत्नी चल बसी
हबीबपुरा निवासी विनोद विश्वकर्मा ने नीलगिरी इंफ्रॉसिटी के संचालकों और कर्मचारियों के खिलाफ चेतगंज थाने में 41वां मुकदमा दर्ज कराया है। विनोद के अनुसार विकास सिंह व ऋतु सिंह और उनके कर्मचारी प्रदीप यादव व संजय प्रजापति ने उनके 15 लाख रुपए हड़प लिए। जीवन भर की कमाई लुट जाने से उनकी पत्नी श्वेता कुमारी को ऐसा सदमा लगा कि बीती 18 मई को उनकी मौत हो गई।
विनोद ने बताया कि उन्हें 2 प्लॉट देने और अपनी स्काई टूर एंड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मुनाफे का लालच देकर जलसाजों ने अलग-अलग बार में 15 लाख रुपए का निवेश कराया था। जब प्लॉट और टूर कंपनी के मुनाफे में हिस्सा देने की बारी आई तो उन्हें जान से मारने की धमकी देकर मुंह बंद रखने को कहा गया।
9 लाख रुपए लेकर प्लॉट नहीं दिए
चेतगंज थाने में नीलगिरि इंफ्रॉसिटी कंपनी के संचालक विकास और ऋतु के अलावा उनके मैनेजर प्रदीप यादव के खिलाफ 42वां मुकदमा गाजीपुर जिले के रेवतीपुर के विमलेश राम ने दर्ज कराया है। विमलेश के अनुसार वह कंपनी के संचालकों के झांसे में आकर वर्ष 2015 में 1170 वर्ग फीट का प्लॉट खरीदने के लिए एग्रीमेंट कराए थे। इसके लिए 9 लाख 36 हजार रुपए में सौदा तय हुआ था। पूरा पैसा देने के बाद भी उन्हें प्लॉट नहीं दिया गया। कई बार टालमटोल करने के बाद उन्हें कंपनी के मलदहिया स्थित से डरा-धमका कर भगा दिया गया।
उधर, इस संबंध में पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ SIT ठोस साक्ष्य एकत्र कर रही है। हमारा प्रयास यही है कि आरोपियों को अदालत से कड़ी से कड़ी सजा मिले। इसके साथ ही जो लोग धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं उन्हें राहत मिले।