बाराबंकी की सुमली नदी में नाव पलटने की घटना के बाद जहां प्रशासनिक लापरवाही दिखी वहीं घटना के बाद नाव में सवार लोगों व बाहर खड़े युवकों के हौसलों ने करीब आठ जानें बच गई। मेले के दौरान नाव का संचालन हो रहा था मगर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। दो बच्चों समेत तीन लोगों की मौत से सालपुर गांव में मातम का माहौल है। मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र में बैरनामऊ मंझारी गांव के कार्तिक पूर्णिमा मेले में सोमवार को दंगल का आयोजन था। इस मेले में आसपास के गांवों के लोग एकत्र होते हैं। सालपुर समेत आधा दर्जन गांवों के लोग नदी पार करके आते हैं। मंगलवार सुबह से ही नाव से लोगों का आना जारी था। लेकिन यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। एक होमगार्ड तक नहीं तैनात किया गया था। नाव बेरोकटोक चल रही थीं। जल्दी जाने के चक्कर में दोपहर करीब तीन बजे सालपुर गांव के 25 लोग नाव में सवार हो गए।

नाव में बैठने की जगह भी नहीं बची थी। वह तो अच्छा था कि मेले के कारण नदी के दोनों किनारों पर लोग मौजूद थे। नाव पलटी तो सालपुर गांव के अशोक, राज, कृपाराम, सुकई, प्रवेश, निर्मला देवी, सचिन, दूबे, पंकज, नीतू जैसे तैसे बाहर तो निकल आए मगर बाकी लोग फंस गए।विज्ञापन

इस दौरान नदी के किनारे मौजूद कुछ युवकों व नदी से तैरकर निकले लोगों ने फिर से नदी में घुसकर आठ लोगों को बाहर निकाला। इन लोगों के हौसलों से आठ जानें बच गई। मौके पर पहुंची पुलिस व अधिकारियों की मौजूदगी में करीब तीन घंटे तक रेस्क्यू चला। तीन मौतें होने से सालपुर गांव में मातम का माहौल है। मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।

नदी में पुत्र को खोजता रहा बदहवास अशोक
सालपुर के अशोक उर्फ छोटू के साथ मेला देखने के उसके पुत्र हिमांशु व राज भी नाव में सवार थे। दोनों अशोक के पास बैठे थे। हादसे के दौरान दोनों पुत्र पानी में गिर गए। अशोक ने दोनों पुत्रों को पकड़ने का प्रयास किया जिसमें छोटा पुत्र हिमांशु उसके हाथ से छूट गया और गहरे पानी में समा गया। वहीं बड़े पुत्र राज को जैसे-तैसे पानी से बाहर निकाला। इसके बाद बदहवास अशोक नदी में बार-बार गोता लगाकर अपने दूसरे पुत्र हिंमाशु को ढूंढता रहा। बाद में नदी से निकले हिंमाशु का शव देख वह बिलख पड़ा।

दो साल से निर्माणाधीन है पुल
सुमली नदी पर ककरहा गांव के पास पुल का निर्माण दो साल से चल रहा है। निर्माण सुस्त होने के कारण अभी तक पुल की स्लेप नहीं बन सकी है। यदि इस पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाता तो शायद यह हादसा टल जाता। इस पुल से दर्जनों गांव के लोगों को आने जाने में आसानी होगी। ग्रामीणों की मांग पर ही इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था।