शिवपाल सियासत में ‘फ्लावर’ नहीं ‘फायर’ हैं… सपा कार्यकर्ता बोलने लगे- यूं ही कोई शिवपाल नहीं हो जाता
रात का अंधेरा था… शिवपाल लखनऊ में अपने घर में थे… तभी उनके मोबाइल फोन पर रिंग हुआ
शिवपाल ने कहा हैलो… उधर किसी सपाई ने कहा… चाचा जी गजब हो गया… अपने अंकुश शर्मा पर पुलिस ने हाथ डाल दिया
शिवपाल ने फोन पर बस इतनी बात सुनी… उधर से उसे कहा फोन रखो मैं आ रहा हूं
फोन पर बातचीत को अभी 10 मिनट भी हुआ कि नहीं… शिवपाल मौके पर पहुंच गए… अपनी राजनीति ताकत कुछ अंदाज में दिखाया
सपाई एक स्वर में कहने लगे यूं ही कोई शिवपाल नहीं हो जाता है… शिवपाल बनने के लिए ऐसा तो करना ही पड़ता
जीहां कुछ कुछ ऐसा ही हुआ… शिवपाल ने अपनी अंदाज ऐसा ही दिखाया… कि अब सब कहने लगे चाचा है तो डरने की क्या बात है… कोई भी अब कुछ ऐसा वैसा नहीं कर सकता… क्या चाचा हैं… कोई भी अब यूं गिरेबा पर हाथ यूं ही डाल नहीं सकता… चाचा है ना… उन सारी दुश्वारियों को ध्वस्त करने के लिए… जो उस वक्त पैदा होती है… जब सिस्टम को आईना दिखाने का प्रयास होता है… जमीनी नेता तो शिवपाल की तरह सियासी एक्शन लेता है… सिस्टम के एक्शन पर अपना रिएक्शन देता है… जैसा कि शिवपाल ने दिया… लखनऊ पुलिस ने मुलायम की राजनीति में पनपे शायद सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव को हल्के में ले लिया… सोचा होगा… उनके कार्यकर्ता उनके लोग उनके अपने पर हाथ डालेंगे तो शिवपाल कुछ नहीं कहेंगे… हाथ पर हाथ धरे बैठे सिर्फ रस्म अदायगी कर भूल जाएंगे… लेकिन ऐसा हुआ नहीं… सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने अपना ऐसा रूप दिखाया कि दिखाया कि लखनऊ पुलिस को अपने कदम पीछे की ओर खींचना पड़ गया… उनके कार्यकर्ताओं पर जो हाथ डाला था… उससे अपने हाथ को पीछे खींचना पड़ गया… इस लिए शिवपाल सिंह यादव के लीडरशिप के बारे में सभी उनके कायल हैं… कहने वाले कह रहे हैं… और भी बड़े नेताओं को शिवपाल से सीखने की ज़रूरत है और खुद में लीडरशिप पैदा करने की आवश्यकता है…
दरअसल लखनऊ की गौतमपल्ली पुलिस ने शिवपाल यादव के निजी सचिव सचिव अंकुश शर्मा को रोक लिया… भनक लगते ही सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव थाने पहुंच गए….PS को रोकने का कारण पूछा, उच्चाधिकारियों को खबर हुई तब अंकुश को लेकर वापस लौटे…लोकतंत्र में किसी भी दल के नेता का यही तरीका उसे नेता बनाता है…शिवपाल सिंह यादव के निजी सचिव अंकुश शर्मा को थाना गौतम पल्ली पुलिस चेकिंग के दौरान उठा कर थाने ले जाती है और अवैध असलहे दिखा कर जेल भेजने की तैयारी करती है… तभी शिवपाल सिंह यादव को ख़बर हो जाती है फिर क्या था शिवपाल सिंह यादव खुद थाने पहुंच जाते हैं जिसके बाद हज़ारों की तादाद में सपा कार्यकर्ता भी थाने के बाहर जुट कर जम कर नारेबाज़ी करते हैं और आखिरकार शिवपाल सिंह यादव अपने पीएस को छुड़ा कर लेकर चले आते हैं..
सपा के कार्यकर्ताओं की इस भीड़ को शिवपाल यादव के बुलावे पर नहीं आयी है… बल्कि उसके इस अंदाज के मुरीद बनकर आए… शिवपाल ने पहले कदम उठाया… वक्त का इंतजार नहीं किया… बल्कि वक्त के साथ चल पड़े… उन्होंने परवाह नहीं की… क्या होगा… इसका क्या परिणाम होगा… बस चल दिए… वो चल दिए… कार्यकर्ता भी घर से निकल पड़े… शिवपाल की आवाज को अपनी आवाज मान लिया… शिवपाल के मान स्वाभिमान को अपना स्वाभिमान मान कर सबके सब सिस्टम से लोहा लेने के लिए आ गए… अपनी आवाज बुलंद करने लगे… शिवपाल यादव कह रहे हैं… उनके निजी सचिव को फंसाने की कोशिश की गई… उनका निजी सचिव जा रहा था… चेकिंग के नाम पर उसके गाड़ी में असलहा रखने का प्रयास किया गया… ये बड़ा आरोप शिवपाल लखनऊ पुलिस पर लगा रहे हैं…. शिवपाल कह रहे हैं… फंसाएंगे, वसुली करेंगे और ये तो पूरे प्रदेश में ही हो रहा है… राज्य में बहुत निर्दोष लोगों को जेल भेजा जा रहा है…. जवाब दिया जाएगा… करारा जवाब दिया जाएगा…
लखनऊ पुलिस का आरोप है… शिवपाल यादव के निजी सचिव के गाड़ी से असलहा बरामद किया था… इसके बाद निजी सचिव को पुलिस ने हिरासत में लिया… उन्हें लखनऊ के गौतमपल्ली थाना पुलिस ने हिरासत में लिया था….सपा के राष्ट्रीय महासचिव के थाने पर आने की सूचना मिलते ही वहां बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ लग गई… सपा कार्यकर्ताओं ने वहां नारेबाजी भी की, हालांकि बाद में शिवपाल यादव ने उन्हें शांत कराया. शिवपाल यादव के साथ उनके बेटे आदित्य यादव भी थाना पहुंचे थे… शिवपाल तबतक थाने से बाहर नहीं निकले जबतक उनके निजी सचिव को छोड़ नहीं दिया गया… निजी सचिव के छोड़े जाने के बाद ही शिवपाल यादव थाना से निकले और मीडिया के साथ बातचीत की. उसके बाद अपने आवास के लिए रवाना हो गए… इसके बात समर्थक से लेकर आलोचक सभी यही कहने लगे यूं ही शिवपाल नहीं बन जाता है… शिवपाल बनने के लिए जमीन पर उतरना ही पड़ता है…