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सियासत में एक हार से कितना कुछ बदल जाता है… एक हार से विश्वास कैसे कन्फ्यूजन का शिकार होने लगता है… इसे समझना है… घोसी उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद उसके आसपास की सियासी स्थितियों को देखना जरूरी है… इसी साल 17 जुलाई को समाजवादी पार्टी के विधायक रहे दारा सिंह चौहान ने अपने पद से इस्तीफा देकर दोबारा घर वापसी की…दरअसल, विपक्षी दलों में भाजपा के मिशन डिमॉलिशन की शुरुआत यहीं से हुई… उसके बाद 24 जुलाई को ही पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी, पूर्व विधायक सुषमा पटेल, शालिनी यादव, पूर्व विधायक जगदीश सोनकर और गुलाब सरोज के साथ साथ पूर्व सांसद राजपाल सैनी भाजपा में शामिल हुए…हालांकि, उससे पहले 16 जुलाई को ही ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर से बीजेपी के साथ जाने का ऐलान कर दिया था… उस वक्त पार्टी की रणनीति यही थी कि विपक्षी दलों में सेंधमारी हर हफ्ते की जाएगी… इसके लिए पूरा प्लान भी तैयार था… लेकिन इसी बीच घोसी में उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया और पार्टी इस उपचुनाव में जुट गई… फिर घोसी उपचुनाव के बीच में ही 24 अगस्त को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के नेता और मधुबन के पूर्व विधायक उमेश पांडेय को बीजेपी ज्वाइन कराई गई…

हालांकि, जुलाई के बाद अगस्त में हुई इस एक मात्र ज्वाइनिंग के बीच भी एक महीने का गैप रहा… फिर 8 सितंबर को घोसी उपचुनाव के नतीजे आए, जिसमें बीजेपी को हार मिली और उसके बाद से ही ज्वाइनिंग फिलहाल रुकी हुई है…


2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने विपक्षी दलों में सेंधमारी का प्लान तैयार किया… बड़े स्तर पर लखनऊ में ज्वाइनिंग भी कराई गई। इसके बाद अलग-अलग सियासी दलों के नेताओं ने बीजेपी से सम्पर्क किया फिर पार्टी संगठन ने इन नेताओं की लिस्ट तैयार कराई… बीजेपी ने एक ज्वाइनिंग कमेटी बनाई और इस कमेटी के पास तकरीबन ऐसे 200 नेताओं के नाम लिस्ट में तैयार हैं… इस लिस्ट में सपा, बसपा, कांग्रेस आरएलडी के नेताओं के नाम शामिल हैं…

  • जिनमें कुछ पूर्व सांसद, कुछ पूर्व विधायक, कुछ पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और पार्टियों के पदाधिकारी शामिल हैं… इनमें अगर क्षेत्रवार देखा जाए तो…
  • पश्चिम क्षेत्र में तकरीबन 32 ऐसे नेता विभिन्न दलों के है… जो बीजेपी ज्वाइन करने वालों की लिस्ट में शामिल हैं…
  • गोरखपुर क्षेत्र की बात करें तो सपा, बसपा कांग्रेस से जुड़े तकरीबन 29 नेता जिसमें पूर्व विधायक पूर्व सांसद शामिल हैं… उनके नाम बीजेपी की ज्वाइनिंग की लिस्ट में शामिल है
  • अवध क्षेत्र के तकरीबन 33 ऐसे नेता हैं जिनका नाम पार्टी की लिस्ट में शामिल है… लेकिन अभी तक इन नेताओं को ज्वाइनिंग के लिए हरी झंडी नहीं मिली हैं
  • कानपुर क्षेत्र की बात करें तो यहां भी तकरीबन 31 ऐसे नेताओं के नाम बीजेपी की सदस्यता लिस्ट में शामिल है
  • बीजेपी ने विपक्षी दलों में जब सर्जिकल स्ट्राइक की शुरुआत की तो सबसे ज्यादा नेता काशी क्षेत्र से ही बीजेपी में शामिल हुए…
  • अभी भी काशी क्षेत्र में तकरीबन 42 के आसपास अलग-अलग दलों के नेता जॉइनिंग की कतार में खड़े हैं
  • ब्रज क्षेत्र की बात करें तो यहां भी अलग-अलग दलों के नेताओं की संख्या तकरीबन 30 के आसपास है, जो बीजेपी ज्वाइन करने के लिए तैयार हैं।


लेकिन फिलहाल पार्टी ने जिस तरह से इस ज्वाइनिंग को रोका हुआ है उससे इन नेताओं की गाड़ी फिलहाल आउटर पर ही खड़ी नजर आ रही है… प्लेटफार्म पर आने के लिए फिलहाल इन्हें पार्टी नेतृत्व की हरी झंडी का इंतजार है..


2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने विपक्षी दलों पर प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत दारा सिंह चौहान को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलवाया और उसके बाद उन्हें पार्टी ज्वाइन कराई… दरअसल बीजेपी ने एक ऐक्सपैरिमैंट के तहत ये प्लान किया था… जिसमें दूसरे दलों के जो वर्तमान विधायक या फिर सांसद बीजेपी ज्वाइन करना चाहते थे उन्हें भी इसी तरह इस्तीफा दिलाकर पार्टी में लाने की तैयारी थी… लेकिन घोसी उपचुनाव ने इस पूरी प्लानिंग पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया… अब सूत्रों की माने तो तकरीबन 10 से ज्यादा वर्तमान विधायक जो दूसरे दलों में है और तीन से चार सांसद दूसरे दलों के बीजेपी में आने को तो तैयार है… लेकिन बीजेपी फिलहाल वर्तमान विधायक और सांसदों के मामले में अभी ऐहतियात बरत रही है… ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर वो इस्तीफा देंगे तो फिर उनकी सीट पर उपचुनाव होगा खासतौर से विधायकों की सीट पर… इसीलिए अब बीजेपी ने ये रणनीति तैयार की है कि इस तरह के जो भी विधायक या सांसद बीजेपी में आना चाहते हैं उन्हें जनवरी महीने में पार्टी ज्वाइन कराई जाएगी… जिससे उनकी जो सीट रिक्त हो उसपर उप चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही हो… इसके जरिए जहां यूपी में वन नेशन वन इलेक्शन की एक झलक भी देखने को मिल जाएगी तो वहीं बीजेपी चुनाव से ठीक पहले उन्हें ज्वाइन कराकर विरोधियों पर दबाव भी बनाएगी…


हालांकि अलग-अलग दलों के जो नेता बीजेपी ज्वाइन करने की तैयारी किए बैठे हैं… लगातार उनका प्रेशर भी भारतीय जनता पार्टी पर कहीं ना कहीं बना हुआ है… इसी के चलते भाजपा अक्टूबर महीने में एक बार फिर से ज्वाइनिंग प्रक्रिया शुरू कर सकती है… माना जा रहा है… 2 अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा चल रहा है… पार्टी के पदाधिकारी फिलहाल इस अभियान में जुटे हुए हैं… इस अभियान की समाप्ति के बाद फिर पार्टी उन नेताओं को बीजेपी ज्वाइन करा सकती है जिनकी पॉजिटिव रिपोर्ट पार्टी को मिल चुकी है… और जो लंबे समय से ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे हैं…