op rajbhar

सियासत की प्रयोगशाला से निकली ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की न्यू थ्योरी… झूठ की बुनियाद पर राजनीति करने का ऐसा तरीका बताया … दिमाग की बत्ती बुझ गई ! राजभर ने नेता बनाने के फॉर्मूले को किया ईजाद… सुभासपा कार्यकर्ताओं ने सुना तो आंखों के सामने बनी अलग ही तस्वीर. FIR लिखवाने के तरीके के तहत ऐसे दावा करने के उपाय सुझाए… जिसमें पहली प्राथमिकता यही रही… कि ‘हरिश्चंद्र’ को भूल जाओ

कभी कभी सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की थ्योरी दिमाग से ऊपर चली जाती है… समझ में नहीं आता वो क्या कह रहे हैं… क्या बताना चाह रहे हैं… जो कहना चाह रहे हैं… वो सत्यता की कसौटी पर ठीक तो नहीं है… लेकिन राजभर के स्वभाव की प्रकृति का क्या करेंगे… अपना रंग कुछ इस तरह से दिखाती है…

ओमप्रकाश राजभर वैसे तो ज्ञान देने में माहिर हैं… ज्ञान इस तरह देते हैं… कि सुनकर ही कलेजा फट जाए… विरोधी नेताओं को अक्सर वो ज्ञान दिया करते रहे… फ्लैश बैक में जाएंगे तो इसकी जानकारी मिल जाएगी… कभी सरकार को अपनी ज्ञान से वाकिफ कराते थे… कभी अखिलेश को वो ज्ञान देते थे… कभी शिवपाल पर अपना ज्ञान मंत्र साधते थे… लेकिन घोसी उपचुनाव में हीरो बनने में कामयाब नहीं रहने के बाद अब वो अपने कार्यकर्ताओं को इस तरह का ज्ञान दे रहे हैं… कि सुनकर दिमाग के चारों ओर स्टार ही नजर आने लगे… संतकबीरनगर में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अपने कार्यकर्ताओं के उत्साह में इजाफा करने आए… जोश में इजाफा करने के दौरान राजभर ने कार्यकर्ताओं को नेता बनने का फॉर्मूला और एफआईआर लिखाने का तरीका कुछ इस तरह से बताया कि मोदी-शाह सुनेंगे तो यही कहेंगे अरे ये तो अपनी सियासत की बत्ती गायब करने में लगे हैं… योगी सुनेंगे तो यही कहेंगे कब इनकी जुबान में ट्रैक पर आएगी… भाजपाई से लेकर सहयोगी सुनेंगे तो कहने से नहीं चूकेंगे राजभर के स्वभाव में परिवर्तन नहीं आने वाला है… वो जैसा हैं… वैसा ही रहेंगे… वैसा ही रहकर सियासत की लुटिया डुबोने का रास्ता बनाएंगे…

सुना आपने माननीय क्या कह रहे हैं… अपने महिला कार्यकर्ताओं को एफआईआर सीखाने की विधि बता रहे हैं… बोल रहे सत्य के प्रतीक राजा हरिश्चंद्र मत बनिए…ईमानदारी को जेब में रखिए और झूठ का स्वागत कर अपने विरोधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाइए… यही नहीं राजभर ये भी कह रहे हैं… हम तबतक आप में से किसी को नेता नहीं मानेंगे… जब तक आपके पीछे 100-50 लोग जिंदाबाद के नारे ना लगाए… तो ऐसे में सवाल बस इतना है… पिछड़ों के विकास नाम राजभर की सियासत समाज को क्या संदेश दे रहे हैं… आपके पास इस सवाल का जवाब है… तो दीजिए… पेज को लाइक करेंगे… सब्सक्राइब नहीं किया है… तो अपील सब्सक्राइब कीजिए…