raja bhaiya

कुंडा के दो जानी दुश्मनों के घरों में अभी तो एक ही चर्चा हो रही होगी… जैसा राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh urf Raja Bhaiya) सोच रहे होंगे… ठीक वैसा ही उनके कट्टर दुश्मन गुलशन यादव सोच रहे होंगे… अभी जिस दौर से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया गुजर रहे हैं… वैसा ही सपा नेता गुलशन यादव गुजर रहे होंगे… कभी ये दोनों एक दूसरे के लिए खास हुआ करते थे… अब दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं… एक दूसरे का नाम सुनकर दोनों की जुबां से एक दूसरे के लिए अलग ही भाषा, और उस भाषा से अलग ही परिभाषा निकलने लगते हैं… अब वक्त ने ऐसी पलटी मारी… दोनों खुद को उसी दौर में पार रहे होंगे जिस दौर में दोनों एक दूसरे के लिए बहुत कुछ हुआ करते थे… राजा भैया और गुलशन यादव एक पुरानी घटना ने फिर से अपनी जद में लेने का प्रयास किया…

उस घटना के साये ने दोनों का ही पीछा नहीं छोड़ा है… भले ही दोनों एक दूसरे से आजाद पाने के लिए तरह तरह के रास्ते आपनाते आ रहे हैं… माना जा रहा है… अगर उस घटना से कुछ ऐसा वैसा तथ्य निकला तो फिर से एक दूसरे के सामने दोनों होंगे… एक दूसरे को अपनी आंखों से देखेंगे… और आंखों ही आंखों में यही सवाल करेंगे… ठीक हो ना… क्या हाल है… हम तु्म्हारे दुश्मन हो गए… तुम हमारे दुश्मन हो गए… हम दोनों की निष्ठा बदल गई… हम दोनों की सोच एक दूसरे के खिलाफत में लगी है… लेकिन वो घटना ऐसी है… जो हम दोनों के पीछे पड़ी हुई है…


उत्तर प्रदेश की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का पत्नी भानवी कुमारी से तलाक का केस चल रहा है…. इस मामले में राजा भैया पर उनकी पत्नी ने गंभीर आरोप लगाए हैं… अब एक और मामले में राजा भैया की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं… वही प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा सीट से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ चुनावी ताल ठोक चुके समाजवादी पार्टी के नेता और हिस्ट्रीशीटर गुलशन यादव सलाखों के पीछे हैं… पूर्व में राजा भैया के करीबियों में गुलशन यादव की गिनती होती थी… गुलशन यादव कुंडा नगर पंचायत से दो बार अध्यक्ष भी रहा है… गुलशन यादव राजा भैया के खिलाफ यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी रहा है… गुलशन एक और मुसीबत में फंसे हैं… बुरी तरह से फंसे हैं…


प्रतापगढ़ में 10 साल पहले हुई डीएसपी जिया उल हक की हत्‍या मामले में राजा भैया और गुलशन यादव की भूमिका की जांच सीबीआई से होगी… सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश जिया उल हक की पत्‍नी की याचिका पर दिया है…जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की बेंच ने डीएसपी की पत्‍नी परवीन आजाद की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये फैसला दिया है… इसके साथ ही कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पिछले साल के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें क्‍लोजर रिपोर्ट को मान्‍यता दी गई थी…ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की क्‍लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया था… लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए इस क्‍लोजर रिपोर्ट को वैध करार दिया था… अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।


2 मार्च 2013 को प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र के बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्‍हे सिंह यादव की हत्‍या हो गई थी… इस घटना के बाद प्रधान के समर्थक हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंचे… इसके बाद उन्‍होंने रात में करीब 8 बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी…सूचना मिलने पर कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ कामता पाल को नाराज भीड़ से बचाने के लिए बढे़, लेकिन हिंसा पर उतारू लोगों को देखकर वापस लौट आए… सीओ जिया उल हक गांव में पीछे से प्रधान के घर की तरफ चले… गांववालों की ओर से फायरिंग हो रही थी… उससे डरकर सीओ की सुरक्षा में चल रहे गनर इमरान और एएसआई विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए… जिया उल हक अकेले पड़ गए… इसी दौरान गोलीबारी में प्रधान के छोटे भाई सुरेश यादव की भी मौत हो गई… नाराज भीड़ ने सीओ जिया उल हक की निर्ममता से जान ले ली गई… इसका आरोप उस समय कैबिनेट मंत्री रहे राजा भैया और उनके करीबी गुलशन यादव पर लगा था